'क्या हमें ब्रिटिश सरकार से रजिस्टर कराना चाहिए था?', RSS के रजिस्ट्रेशन पर बोले मोहन भागवत

आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने बेंगलुरु में कहा कि आजादी के बाद सरकार ने संघ का पंजीकरण अनिवार्य नहीं किया था. उन्होंने पूछा, "क्या हमें ब्रिटिश सरकार से रजिस्टर कराना चाहिए था?" वहीं कर्नाटक के मंत्री प्रियंक खड़गे ने आरएसएस की पारदर्शिता पर सवाल उठाते हुए उसके चंदे और सुरक्षा विशेषाधिकारों पर जवाब मांगा है.

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RSS के रजिस्ट्रेशन को लेकर कांग्रेस की तरफ से लगातार सवाल उठाए जाते हैं. (File Photo) RSS के रजिस्ट्रेशन को लेकर कांग्रेस की तरफ से लगातार सवाल उठाए जाते हैं. (File Photo)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 09 नवंबर 2025,
  • अपडेटेड 12:41 PM IST

बेंगलुरु में एक कार्यक्रम के दौरान राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत ने संगठन के पंजीकरण को लेकर चल रही बहस पर प्रतिक्रिया दी. उन्होंने कहा, "आरएसएस की स्थापना 1925 में हुई थी. क्या हमें ब्रिटिश सरकार के साथ रजिस्ट्रेशन कराना चाहिए था? आजादी के बाद भी सरकार ने इसे अनिवार्य नहीं किया." उन्होंने कहा कि संघ पर तीन बार प्रतिबंध लगाया गया, 'अगर हम अस्तित्व में नहीं होते, तो सरकार हमें किस आधार पर प्रतिबंधित करती?"

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मोहन भागवत ने कहा कि संघ को लेकर बार-बार एक ही सवाल पूछे जाते हैं. उन्होंने कहा, "हम हर सवाल का जवाब देते हैं, फिर भी वही प्रश्न दोहराए जाते हैं. आलोचना से हमें केवल प्रसिद्धि मिलती है - कर्नाटक में यह सबके सामने है. कुछ लोग समझना नहीं चाहते, बस लगातार हमें कोसते रहते हैं."

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भागवत की यह टिप्पणी उस समय आई है जब कर्नाटक के मंत्री और कांग्रेस नेता प्रियंक खड़गे ने आरएसएस के खिलाफ एक नया विवाद छेड़ दिया है. उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा कि आरएसएस ने खुद माना है कि वह एक पंजीकृत संस्था नहीं है. 

एनजीओ की तरह पंजीकरण क्यों नहीं कराता संघ- खड़गे

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प्रियंक खड़गे ने कहा, "अगर संघ सचमुच राष्ट्रसेवा करता है, तो वह अन्य पारदर्शी एनजीओ की तरह पंजीकरण क्यों नहीं कराता?" उन्होंने यह भी पूछा कि आरएसएस को मिलने वाला चंदा कहां से आता है और दानदाताओं की सूची क्यों सार्वजनिक नहीं की जाती. उन्होंने सवाल उठाया कि "एक अपंजीकृत संगठन के प्रमुख को प्रधानमंत्री और गृह मंत्री जैसी 'एडवांस्ड सिक्योरिटी लायजन' सुरक्षा क्यों दी जाती है?"

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सिद्धारमैया सरकार से आरएसएस पर बैन की मांग

कुछ सप्ताह पहले प्रियंक खड़गे ने मुख्यमंत्री सिद्धारमैया से आग्रह किया था कि सरकारी परिसरों और सहायता प्राप्त संस्थानों में आरएसएस गतिविधियों पर प्रतिबंध लगाया जाए, यह आरोप लगाते हुए कि शाखा युवाओं में "नकारात्मक विचार" फैलाती हैं.

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