'गांधी ने बताया था... अंग्रेजों ने भारत की एकता पर झूठी कहानी गढ़ी', बोले मोहन भागवत

नागपुर में राष्ट्रीय पुस्तक महोत्सव के दौरान RSS प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि महात्मा गांधी ने 'हिंद स्वराज' में लिखा था कि ब्रिटिशों ने भारत की एकता को लेकर झूठा नैरेटिव गढ़ा था. उन्होंने कहा कि भारत का 'राष्ट्र' अवधारणा प्राचीन, सांस्कृतिक और पश्चिमी नेशन मॉडल से बिल्कुल अलग है, और विविधता में एकता ही इसकी असली ताकत है.

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आरएसएस चीफ मोहन भागवत. (Photo: PTI) आरएसएस चीफ मोहन भागवत. (Photo: PTI)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 03 दिसंबर 2025,
  • अपडेटेड 3:29 AM IST

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के सरसंघचालक मोहन भागवत ने नागपुर में आयोजित राष्ट्रीय पुस्तक महोत्सव में कहा कि महात्मा गांधी ने एक सदी पहले ही स्पष्ट कर दिया था कि ब्रिटिशों ने भारत के बारे में यह झूठा नैरेटिव फैलाया कि देश में कभी एकता थी ही नहीं. आरएसएस चीफ ने कहा कि गांधी ने अपनी प्रसिद्ध कृति 'हिंद स्वराज' में लिखा था कि अंग्रेजों का यह दावा पूरी तरह आधारहीन था और उन्होंने सत्ता जमाने के लिए भारतीयों में यह भ्रम पैदा किया.

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मोहन भागवत ने गांधी का उद्धरण पढ़ते हुए बताया कि "अंग्रेजों ने हमें सिखाया कि हम एक राष्ट्र नहीं थे और राष्ट्र बनने में सदियां लगेंगी. यह बिना किसी आधार का दावा है. हम हमेशा से एक राष्ट्र थे और एक समान जीवन-दर्शन ने हमें जोड़े रखा."

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RSS चीफ भागवत ने कहा कि भारत की 'राष्ट्र' अवधारणा पश्चिमी राष्ट्र-राज्य मॉडल से बिल्कुल अलग है, जहां एक केंद्रीय सत्ता या राजनीतिक ढांचा ही राष्ट्र की पहचान बनाता है.

हमारा भाईचारे को बढ़ावा देने का- मोहन भागवत

आरएसएस प्रमुख ने कहा कि भारत की राष्ट्र-चेतना सांस्कृतिक रही है, और यह विविधता में मौजूद एकता से विकसित हुई है. उन्होंने कहा, "हमारा स्वभाव विवाद से दूर रहने और भाईचारे को बढ़ावा देने का रहा है. हम राष्ट्रीयता शब्द का प्रयोग करते हैं, न कि नेशनलिज़्म, क्योंकि अत्यधिक राष्ट्रवादी अहंकार ने ही दो विश्व युद्ध कराए."

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RSS प्रमुख ने कहा कि भारत हजारों वर्षों से ‘राष्ट्र’ रहा है, चाहे शासन किसी का भी रहा हो - विदेशी, स्वदेशी या विभिन्न राजवंशों का... भारत का राष्ट्रत्व अहंकार से नहीं, बल्कि पारस्परिक जुड़ाव और प्रकृति के साथ सहअस्तित्व से निकला है.

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मोहन भागवत ने AI पर भी बात की

युवाओं के साथ संवाद करते हुए भागवत ने AI पर भी बात की. उन्होंने कहा कि तकनीक का आना रोका नहीं जा सकता, लेकिन "हमें उसके मालिक बने रहना चाहिए, उसका दास नहीं." AI को मानवता के लाभ के लिए उपयोग में लाना चाहिए.

वैश्वीकरण पर पूछे गए सवाल पर भागवत ने कहा कि दुनिया अभी असली वैश्वीकरण देख ही नहीं रही. उन्होंने कहा, "सच्चा वैश्वीकरण भारत लाएगा, जिसे हम 'वसुधैव कुटुंबकम' कहते हैं - दुनिया एक परिवार है."

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