उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ की एमपी-एमएलए कोर्ट में राहुल गांधी समेत कांग्रेस के कई शीर्ष नेताओं के खिलाफ एक नया केस दायर किया गया है. यह मामला राहुल गांधी के उस विवादित बयान से जुड़ा है जिसमें उन्होंने कहा था, "हम अब बीजेपी से नहीं, बल्कि आरएसएस और भारतीय राज्य से लड़ रहे हैं." इस बयान को लेकर एक वकील की ओर से राष्ट्रद्रोह और देशद्रोह के तहत मुकदमा दर्ज कराने की याचिका दाखिल की.
आलोक वर्मा ने न्यायालय में यह परिवाद दायर किया है जिसमें राहुल गांधी के साथ-साथ कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, केसी वेणुगोपाल, सोनिया गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा का भी नाम शामिल है. आरोप है कि राहुल गांधी का यह बयान न केवल राष्ट्र विरोधी है बल्कि यह देश की एकता, अखंडता और संवैधानिक संस्थाओं के खिलाफ एक सुनियोजित साजिश है.
शिकायत में कहा गया है कि राहुल गांधी ने कांग्रेस मुख्यालय के उद्घाटन के दौरान यह टिप्पणी पूरी मानसिक स्थिरता और सोच-समझकर की, जो विदेशी ताकतों के निशाने पर भारत की संप्रभुता को प्रभावित करने की कोशिश है.
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परिवाद पत्र में यह भी दावा किया गया है कि इस बयान से देश में गृहयुद्ध जैसी स्थिति पैदा होने का खतरा है और यह भारत की संप्रभुता और अखंडता के लिए बड़ा खतरा है. इसलिए अधिवक्ता ने न्यायालय से मांग की है कि राहुल गांधी और अन्य नेताओं को भारतीय दंड संहिता 2023 की देशद्रोह और षड्यंत्र संबंधित धाराओं के तहत जल्द तलब कर कड़ी कार्रवाई की जाए. यह मामला राजनीतिक और कानूनी दोनों स्तरों पर चर्चा का केंद्र में बना हुआ है.
राहुल गांधी ने कब दिया था बयान?
राहुल गांधी के जिस बयान के ख़िलाफ़ केस चलाने की याचिका दाखिल की गई है वह जनवरी में दी गई थी. जब वह राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में कांग्रेस के नए मुख्यालय का उद्घाटन कार्यक्रम में कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए दिया था.
राहुल ने आरोप लगाया था कि बीजेपी और RSS ने देश की हर संस्था पर कब्जा कर लिय है. अब कांग्रेस न केवल बीजेपी के ख़िलाफ़ संघर्ष कर रही है बल्कि ख़ुद भारतीय राज्य से. लड़ाई अब सिस्टम से है.
संतोष शर्मा