किश्तवाड़: फ्लैश फ्लड में बह गया लंगर का पूरा टेंट, जानें- मचैल माता यात्रा मार्ग पर क्या हुआ

जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ ज़िले से एक बड़ी घटना की खबर आई है. पाडर क्षेत्र के चशोटी गांव में गुरुवार को भीषण बादल फटने (Cloudburst) से कई लोगों की मौत हो गई है, जबकि कुछ के लापता होने की आशंका जताई जा रही है. जानिए आख‍िर मचैल माता मंदिर मार्ग पर क्या हुआ था जो इतनी बड़ी घटना हुई.

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किश्तवाड़ में कुदरत ने भारी तबाही मचाई है (Photo: ITG)) किश्तवाड़ में कुदरत ने भारी तबाही मचाई है (Photo: ITG))

बिदिशा साहा / शुभम तिवारी

  • नई दिल्ली,
  • 14 अगस्त 2025,
  • अपडेटेड 1:10 PM IST

जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ ज़िले में मचैल माता मंदिर की यात्रा के दौरान एक छोटे से गांव में आई फ्लैश फ्लड में कम से कम 33 लोगों की मौत हो गई. इनमें ज्यादातर श्रद्धालु थे. बताया जा रहा है कि पहाड़ों में बादल फटने से ये बाढ़ आई.

कीचड़ से लबालब बाढ़ का पानी चाशोटी गांव में घुस आया. यह वही जगह है जहां तीर्थयात्रियों ने अस्थायी कैंप और घर बनाए थे. गांव मंदिर से करीब 8 किमी दूर है और समुद्र तल से लगभग 8,000 फीट की ऊंचाई पर स्थित है. 

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मृतकों में केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (CISF) के दो जवान भी शामिल हैं. यात्रा 25 जुलाई को गुलाबगढ़ कस्बे से शुरू हुई थी और अब तक श्रद्धालु करीब 17 किमी का सफर तय कर चुके थे. हादसे में 220 से ज्यादा लोग लापता बताए जा रहे हैं. इंडिया टुडे की ओपन-सोर्स इंटेलिजेंस (OSINT) टीम ने फ्लैश फ्लड के वीडियो का विश्लेषण कर यात्रा मार्ग को सैटेलाइट इमेजरी से मैप किया.

मचैल माता मंदिर जम्मू से लगभग 306 किमी दूर है. जम्मू से बटोटे तक 120 किमी, बटोटे से किश्तवाड़ तक 121 किमी और किश्तवाड़ से अथोली होते हुए गुलाबगढ़ तक 65 किमी सड़क मार्ग. गुलाबगढ़ से मंदिर तक श्रद्धालु करीब 25 किमी पैदल ट्रैक करते हैं.

रेस्क्यू ऑपरेशन

राज्य और राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल के साथ-साथ राज्य पुलिस ने बड़े पैमाने पर राहत-बचाव अभियान शुरू किया है. घटनास्थल के आसपास तीन हेलीपैड हैं, जिनमें से सबसे नज़दीकी सिर्फ 5 किमी दूर है, लेकिन खराब मौसम के कारण हेलिकॉप्टरों की मदद लेना मुश्किल हो रहा है. आज सुबह 11 बजे कैप्चर की गई मीडियम-रिज़ॉल्यूशन सैटेलाइट इमेज में पद्दर से मचैल तक का पूरा इलाका घने बादलों से ढका दिखाई दिया.

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बादल फटने का शक

उत्तराखंड के धराली की तरह ही, चाशोटी इलाके में भी बादल फटने का शक जताया जा रहा है. हालांकि, इसकी आधिकारिक पुष्टि अभी नहीं हुई है. देश के पहाड़ी इलाकों में बादल फटने की घटनाएं अब आम होती जा रही हैं. जब नमी भरी हवा ऊपर उठती है, तो पहाड़ों की ऊंचाई उसे और ऊपर ले जाती है, जहां अचानक ठंड उसे संघनित कर देती है. नीचे से उठी गर्म और भारी हवा, ऊपर की ठंडी हवा से टकराती है और तेज ऊपर की ओर हवा के बहाव को जन्म देती है. कुछ ही पलों में बादल फटते हैं और तेज, स्थानीय बारिश का दौर शुरू हो जाता है, जो मिनटों में इलाके को डुबो देता है.

गर्म और ठंडी हवा का मिलना, तेज ऊपर की ओर हवा का बहाव (कन्वेक्शन) और ऊंचाई पर हवा में नमी की अधिकता भी बादल फटने का कारण बन सकती है. चाशोटी में आई फ्लैश फ्लड पर बात करते हुए जम्मू-कश्मीर नेशनल कॉन्फ्रेंस (JKNC) के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि मैं प्रधानमंत्री से कहना चाहता हूं कि ग्लोबल वार्मिंग के मुद्दे को बहुत गंभीरता से लें. पहाड़ी इलाकों में यह बहुत आम हो गया है. इस पर काबू पाने के लिए कोई न कोई तरीका तलाशना होगा. इसलिए, मैं इस दुख की घड़ी में उनसे अपील करता हूं कि इसका समाधान सोचें.

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