वक्फ एक्ट पर SC के फैसले का जमीयत ने किया स्वागत, कहा- कानून रद्द होने तक जारी रहेगा संघर्ष

सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ एक्ट को असंवैधानिक नहीं माना और मामले में अगली सुनावाई 20 मई 2026 के लिए टाल दिया. सीजेआई बीआर गवई और जस्टिस ऑगस्टाइन जॉर्ज मसीह की पीठ ने कहा कि पूर्वधारणा हमेशा विधायिका से पारित कानून की संवैधानिकता के पक्ष में होती है. न्यायालय का हस्तक्षेप केवल दुर्लभतम मामलों में ही होता है.

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 जमीयत उलमा-ए-हिंद प्रमुख मौलाना अरशद मदनी. (File Photo: ITG) जमीयत उलमा-ए-हिंद प्रमुख मौलाना अरशद मदनी. (File Photo: ITG)

संजय शर्मा

  • नई दिल्ली,
  • 15 सितंबर 2025,
  • अपडेटेड 6:57 PM IST

वक्फ (संशोधन) अधिनियम 2025 की तीन विवादित धाराओं पर सुप्रीम कोर्ट के अंतरिम फैसले का मुस्लिम संगठन जमीअत उलेमा-ए-हिंद ने स्वागत किया है. संगठन के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि यह फैसला न्याय की उम्मीद को मजबूत करता है. उन्होंने बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने कानून को पूरी तरह रद्द करने से इनकार कर दिया, लेकिन कुछ खतरनाक प्रावधानों पर रोक लगा दी. जमीअत प्रमुख ने ऐलान किया कि वह इस 'काले कानून' को पूरी तरह खत्म करने तक अदालती लड़ाई जारी रखेंगे. 

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वक्फ (संशोधन) अधिनियम 2025 की संवैधानिकता को कई संगठनों और व्यक्तिगत याचिकाकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी. मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई और जस्टिस ऑगस्टाइन जॉर्ज मसीह की बेंच ने 14 सितंबर को अंतरिम आदेश दिया. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि नए कानून की कुछ धाराएं ऐसी हैं जिन्हें अभी लागू नहीं किया जा सकता. 

यह भी पढ़ें: वक्फ कानून को ग्रीन सिग्नल, गैर-मुस्लिम CEO, कलेक्टर की पावर पर अंकुश... SC ने किस पक्ष की कौन सी दलील मानी?

धारा 3(आर): यह शर्त कि किसी व्यक्ति को वक्फ बनाने के लिए कम से कम पांच वर्षों तक इस्लाम का अनुयायी होना चाहिए. अदालत ने कहा कि जब तक नियम नहीं बनते, यह शर्त मनमानी हो सकती है और स्थगित रहेगी. कोर्ट ने उस पर वक्फ करने की पांच साल की लिमिट पर रोक लगा दिया है. 

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धारा 2(सी) का उपबंध: जब तक नामित अधिकारी की रिपोर्ट दाखिल नहीं होती, संपत्ति को वक्फ संपत्ति न माना जाए. कोर्ट ने इस प्रावधान को स्थगित कर दिया है. 

धारा 3(सी): कलेक्टर को संपत्ति अधिकार तय करने का अधिकार देना शक्तियों के पृथक्करण का उल्लंघन है. अंतिम निर्णय तक संपत्ति अधिकार प्रभावित नहीं होंगे और वक्फ को कब्ज़े से वंचित नहीं किया जाएगा. 

गैर-मुस्लिम सदस्यों की सीमा: वक्फ बोर्ड में 3 से अधिक गैर-मुस्लिम सदस्य नहीं होंगे और कुल संख्या 4 से अधिक नहीं हो सकती. इसके अलावा, धारा 23 के तहत सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वक्फ बोर्ड का सीईओ जहाँ तक संभव हो सके, वह मुस्लिम हो.

सुप्रीम कोर्ट ने सेंट्रल वक्फ काउंसिल में गैर-मुस्लिम सदस्यों की संख्या 4 से ज्यादा न रखने और राज्य वक्फ बोर्डों में 3 से ज्यादा न रखने का आदेश दिया. बोर्ड के सीईओ के लिए मुस्लिम को प्राथमिकता देने पर जोर दिया, लेकिन गैर-मुस्लिम सीईओ की नियुक्ति पर रोक नहीं लगाई. वक्फ संपत्तियों के पंजीकरण की शर्त को पुराना बताते हुए इसे छोड़ दिया. कोर्ट ने कहा कि विवाद सुलझने तक कोई पक्ष संपत्ति हस्तांतरित न करे.

यह भी पढ़ें: वक्फ पर सुप्रीम कोर्ट के अंतरिम फैसले से सभी पक्ष खुश, आखिर अदालत के आदेश में ऐसा क्या है?

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मौलाना मदनी ने कहा, 'सरकार ने वक्फ कानून में बदलाव कर मुसलमानों के धार्मिक अधिकारों पर हमला किया था. अब कलेक्टर का वक्फ विवादों पर फैसला करने का अधिकार खत्म हो गया है.' उन्होंने उम्मीद जताई कि अंतिम सुनवाई में पूरा कानून रद्द हो जाएगा. अन्य संगठनों जैसे ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने भी फैसले का स्वागत किया.

सरकार ने कहा था कि ये बदलाव पारदर्शिता के लिए हैं, लेकिन याचिकाकर्ताओं ने इसे भेदभावपूर्ण बताया था. सीजेआई जस्टिस गवई ने कहा कि सिर्फ Rarest of Rare यानी दुर्लभतम स्थिति में ही समग्र कानून पर रोक का आदेश दिया जा सकता है. पीठ ने कहा कि पूर्वधारणा हमेशा विधायिका से पारित कानून की संवैधानिकता के पक्ष में होती है. न्यायालय का हस्तक्षेप केवल दुर्लभतम मामलों में ही होता है. सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ एक्ट को असंवैधानिक नहीं माना और मामले में अगली सुनावाई 20 मई 2026 के लिए टाल दिया. 

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