'न परमाणु हथियार की जरूरत और ना ही बनाने का इरादा...', खामेनेई बोले- दबाव में झुकेंगे नहीं

ईरान के सर्वोच्च नेता अली खामेनेई ने अमेरिका से बातचीत को "हानिकारक" बताते हुए साफ कहा कि ईरान दबाव में झुकेगा नहीं. उन्होंने कहा कि देश को परमाणु हथियारों की जरूरत नहीं है और यूरेनियम संवर्धन पर कोई समझौता नहीं होगा. वहीं, ईरान यूरोपीय देशों के साथ संयुक्त राष्ट्र प्रतिबंध रोकने के लिए बातचीत जारी रखेगा.

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ईरान के सुप्रीम लीडर आयतुल्ला अली खामेनेई. (File Photo) ईरान के सुप्रीम लीडर आयतुल्ला अली खामेनेई. (File Photo)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 23 सितंबर 2025,
  • अपडेटेड 11:31 PM IST

ईरान के सर्वोच्च नेता आयतुल्ला अली खामेनेई ने मंगलवार को अमेरिका के साथ किसी भी तरह की बातचीत को देश के लिए "बेकार और हानिकारक" करार दिया. उन्होंने साफ कहा कि मौजूदा हालात में अमेरिका से वार्ता ईरान के हितों के खिलाफ होगी और यह "डेड-एंड" साबित होगी. उन्होंने यह भी कहा कि ईरान को न्यूक्लियर की जरूरत नहीं है और ऐसा कुछ बनाने का इरादा भी नहीं रखते.

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अपने रिकॉर्डेड संदेश में खामेनेई ने कहा कि ईरान किसी भी दबाव के आगे झुकेगा नहीं, खासकर यूरेनियम संवर्धन के मुद्दे पर. उन्होंने दोहराया कि ईरान को परमाणु हथियारों की जरूरत नहीं है और न ही उनका उत्पादन करने का कोई इरादा है.

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खामेनेई ने कहा, "अमेरिका चाहता है कि ईरान अपने मिसाइल कार्यक्रम को छोड़ दे, जिसमें मध्यम दूरी की मिसाइलें भी शामिल हैं, लेकिन दबाव में आकर समझौता करना आत्मसमर्पण जैसा होगा, और कोई भी सम्मानजनक राष्ट्र ऐसा स्वीकार नहीं करेगा."

ब्रिटेन, फ्रांस और जर्मनी के साथ बातचीत जारी रहेगी

ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अरागची ने इससे पहले कहा था कि ईरान ब्रिटेन, फ्रांस और जर्मनी समेत सभी संबंधित पक्षों से परामर्श जारी रखेगा. न्यूयॉर्क में हुई बैठक के बाद जारी बयान में उन्होंने साफ किया कि ईरान संयुक्त राष्ट्र के प्रतिबंधों के दोबारा लागू होने से रोकने के लिए बातचीत की प्रक्रिया को जारी रखना चाहता है.

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अमेरिका के साथ सीधी वार्ता की संभावना अब बेहद कम

गौरतलब है कि ईरान और यूरोपीय ताकतों के बीच आखिरी दौर की बातचीत जारी है ताकि संयुक्त राष्ट्र के पुराने प्रतिबंध फिर से न लगाए जाएं, लेकिन खामेनेई के इस बयान ने यह संकेत दिया है कि अमेरिका के साथ सीधी वार्ता की संभावना अब बेहद कम है.

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अली खामेनेई ने कहा, "अमेरिका धमकियों और दबाव की भाषा बोलता है. ऐसी स्थिति में बातचीत करना आत्मसमर्पण करना है, और ईरानी राष्ट्र कभी इसे स्वीकार नहीं करेगा."

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