इंडिया टुडे वुमन समिट 2025 में "रीडिफाइनिंग वुमन पावर" के मंच पर लोकसभा की तीन युवा सांसदों, इकरा हसन, शांभवी चौधरी और सायोनी घोष ने शिरकत की.
इस दौरान एक विशेष सत्र "The Future is Female: Rewriting Rules, Reimagining Politics" का आयोजन किया गया. इस सत्र में तीनों नेताओं ने खुलकर अपने विचार रखे और बताया कि वे भविष्य में महिला सशक्तिकरण के लिए क्या करना चाहती हैं.
सपा सांसद इकरा हसन ने कहा कि महिलाओं के लिए अभी भी बहुत कुछ किया जाना बाकी है. उनके अनुसार, महिलाओं की भागीदारी ही बदलाव ला सकती है और अहम पदों पर महिलाओं का होना बहुत ज़रूरी है, जिससे अन्य महिलाओं को प्रेरणा मिल सके.
इकरा हसन बोलींं- महिलाओं पर उंगुली उठाना आसान
जब निजी हमलों और पार्टी नेताओं पर विरोधियों की टिप्पणियों के बारे में पूछा गया, तो इकरा ने कहा, "मुझे यह दिखाने के लिए किसी ध्यान की ज़रूरत नहीं है कि मैं क्या पहनती हूं. एक महिला पर उंगली उठाना हमेशा आसान होता है. मैं हमेशा अपने सिर पर दुपट्टा रखती हूं क्योंकि मैं ऐसे क्षेत्र से आती हूं जहां आज भी महिलाएं ग्रामीण परिवेश से जुड़ी हैं. साइबर सुरक्षा एक अहम मुद्दा है जिस पर सरकार को ध्यान देना चाहिए, क्योंकि यहीं से महिलाओं को निशाना बनाया जाता है."
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सायोनी घोष बोलीं- बंगाल की महिलाएं सशक्त
वहीं, टीएमसी सांसद सायोनी घोष ने महिला सशक्तिकरण का ज़िक्र करते हुए कहा, "महिलाओं के लिए कहीं भी हिंसा होती है तो यह हमारे लिए अच्छी खबर नहीं है. बंगाल में महिलाओं के खिलाफ जो भी हिंसा हुई, वह बहुत भयावह थी." उन्होंने एनसीआरबी 2021-22 के डेटा का हवाला देते हुए बताया कि भारत में रोज़ाना 91 बलात्कार के मामले होते हैं, और शीर्ष 5 बीजेपी शासित राज्य हैं.
उन्होंने कहा, "जब महिला सशक्तिकरण की बात होती है, तो आपको बंगाल जाना चाहिए. यहां महिलाओं के लिए 94 योजनाएं चलाई जा रही हैं. आर.जी. कर केस के बाद हमने कई कदम उठाए. अपराजिता बिल लाया गया था जिसे राष्ट्रपति के पास भेजा गया था. कोलकाता महिलाओं के लिए सबसे सुरक्षित शहर है. बंगाल की महिलाएं बहुत सशक्त हैं. ममता बनर्जी ने महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए कई कदम उठाए हैं."
शांभवी बोलीं- मेरे लिए एजुकेशन सबसे अहम मुद्दा
लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) की शांभवी चौधरी ने शिक्षा के महत्व पर ज़ोर देते हुए कहा, "शिक्षा किसी भी तरह के सशक्तिकरण के लिए ज़रूरी है. जहां तक राष्ट्रीय शिक्षा नीति की बात है, तो यह बहुत बेहतरीन है. बिहार सरकार ने खुद साइकिल और पोशाक योजना शुरू की, जिसकी तारीफ संयुक्त राष्ट्र संघ ने भी की है. सरकारी नौकरियों में 35 फीसदी आरक्षण की व्यवस्था भी बिहार ने की. एक पॉलिसी मेकर (नीति निर्माता) होने के नाते यह हमारी ज़िम्मेदारी है कि हम ज़्यादा से ज़्यादा महिलाओं की बात करें. अगर हमारी सरकार में भी कुछ गलत होता है, तो हम उसे सही नहीं ठहरा सकते, बल्कि हम उस पर भी बोलते हैं."
पहला बदलाव जो वे लाना चाहेंगी
तीनों सांसदों से जब यह पूछा गया कि वह कौन सा बदलाव होगा जिसे वे सबसे पहले करना चाहेंगी, इस पर इकरा हसन ने कहा, "नई शिक्षा नीति का ज़िक्र करते हुए इकरा हसन ने कहा कि जब भी कोई पॉलिसी लाई जाती है, तो सबसे ज़रूरी हो जाता है कि उसे ज़मीन पर कैसे लागू किया जाता है. दूसरी बात ये है कि मुझे मौका मिलता है तो न्यूनतम मज़दूरी को पुरुषों और महिलाओं के लिए एक समान करना ज़रूरी है. आज भी महिलाओं को पुरुषों की तुलना में उसी तरह का वेतन नहीं मिलता है. महिलाओं और बच्चों के लिए शिक्षा बहुत ज़रूरी है."
वहीं, टीएमसी सांसद सायोनी घोष ने कहा, "ममता बनर्जी बंगाल के लोगों के लिए शानदार काम कर रही हैं. हमारे यहाँ कन्याश्री, रूपोश्री जैसी योजनाएं हैं, जिसमें महिलाओं और बच्चों को वित्तीय मदद मिलती है. इसके अलावा स्कूली बच्चों को साइकिल और किताबें मिलती हैं. मैं भी इसी तरह के कार्यों को आगे ले जाना चाहती हूँ. हमें किसी बिल की ज़रूरत नहीं है, हमारे पास विल है. मैं चाहती हूं कि ज़्यादा से ज़्यादा महिलाएं राजनीति में आएं. महिलाएं घर संभाल सकती हैं, राज्य और देश भी संभाल सकती हैं, मैं इसे लागू करना चाहती हूं."
लोकजनशक्ति पार्टी (आर) की शांभवी चौधरी ने कहा, "मैंने अपनी पांच साल की सैलरी शिक्षा क्षेत्र के लिए दी है. मैं महिलाओं की वित्तीय स्थिति मज़बूत करना चाहती हूं. मैं अपने क्षेत्र की बच्चियों के सपनों को पूरा करना चाहती हूं. मैं बलात्कार के अपराध के लिए मृत्युदंड की सज़ा चाहती हूं."
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