चीन के विदेश मंत्री वांग यी के दिल्ली दौरे के दौरान भारत-चीन संबंधों पर अहम बातचीत हुई. चीन की तरफ से जारी प्रेस रिलीज में दावा किया गया कि विदेश मंत्री एस जयशंकर ने मुलाकात के दौरान ताइवान पर भारत की स्थिति को दोहराया है. चीन का दावा था कि जयशंकर ने ताइवान को चीन हिस्सा माना है, जिसपर भारत ने अपना रुख स्पष्ट किया है.
चीनी विदेश मंत्रालय की तरफ से अंग्रेजी में जारी प्रेस रिलीज में दावा था कि जयशंकर ने सोमवार को वांग यी से मुलाकात में कहा, "स्टेबल, को-ऑपरेटिव और फॉर्वर्ड-लुकिंग इंडिया-चाइना रिलेशंस दोनों देशों के हित में हैं", और ये कि, "ताइवान चीन का हिस्सा है." इस पर भारत ने अपना रुख साफ करते हुए कहा कि भारत के पोजीशन में कोई बदलाव नहीं हुआ है.
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सूत्रों ने बताया कि भारत ने कहा है, "हमने दोहराया कि बाकी दुनिया की तरह भारत का भी ताइवान से रिश्ता मुख्य रूप से इकोनॉमी, टेक्नोलॉजी और कल्चरल संबंधों पर आधारित है. हम इसे आगे भी जारी रखेंगे."
भारत ताइवान को नहीं मानता एक अलग देश, लेकिन होते हैं ट्रेड
भारत ताइवान के साथ व्यापार करता है लेकिन कोई डिप्लोमेटिक संबंध नहीं हैं. डिप्लोमेटिक संबंध बनाने का मतलब ताइवान को एक अलग देश के रूप में मान्यता देना होगा. हालांकि, भारत और ताइवान में एक-दूसरे देशों के रिप्रेजेंटेटिव ऑफिस मौजूद हैं, जो खासतौर से ट्रेड और कल्चरल एक्टिविटीज पर फोकस करते हैं. अब दोनों मुल्कों में टेक्नोलॉजी के मोर्चे पर भी काम हो रहे हैं.
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भारत दौरे पर आए चीन के विदेश मंत्री वांग यी
चीन के विदेश मंत्री दो दिनों के भारत दौरे पर आए थे, और यहां से वे पाकिस्तान के लिए रवाना हुए हैं. उनके दौरे का मकसद, भारत-चीन के बीच सीमा पर जारी तनाव को खत्म करने के लिए स्पेशल रिप्रेजेंटिटव लेवल की बातचीत करना था, जहां उन्होंने भारत की तरफ से स्पेशल रिप्रेजेंटिटव एनएसए अजित डोभाल के साथ तमाम मुद्दों पर चर्चा की. इनके अलावा उन्होंने भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर के साथ द्विपक्षीय वार्ता की और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात भी की, जो इसी महीने एससीओ समिट के लिए चीन जाने वाले हैं.
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