भारत ने बांग्लादेशी वस्तुओं के आयात पर की सख्ती, कपड़े और प्रोसेस्ड फूड अब चुनिंदा रूट्स से ही आएंगे

अधिसूचना के मुताबिक अब बांग्लादेश से रेडीमेड कपड़ों का आयात किसी भी ज़मीनी सीमा चौकी (Land Port) से नहीं किया जा सकेगा. ये आयात केवल मुंबई के न्हावा शेवा और कोलकाता के समुद्री बंदरगाहों से ही संभव होगा.

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 भारत ने बांग्लादेशी वस्तुओं के आयात पर सख्ती की है (सांकेतिक तस्वीर) भारत ने बांग्लादेशी वस्तुओं के आयात पर सख्ती की है (सांकेतिक तस्वीर)

aajtak.in

  • नई दिल्ली ,
  • 17 मई 2025,
  • अपडेटेड 11:55 PM IST

भारत सरकार ने बांग्लादेश से आने वाले कुछ खास उत्पादों के आयात पर नए बंदरगाह प्रतिबंध लगा दिए हैं. इन प्रतिबंधों के तहत अब कपड़े (रेडीमेड गारमेंट्स), प्रोसेस्ड खाद्य उत्पाद जैसे बिस्किट, स्नैक्स, ड्रिंक्स, प्लास्टिक और लकड़ी से बने सामान, कपास वेस्ट, डाई और पीवीसी जैसे सामानों को केवल चुनिंदा समुद्री बंदरगाहों के जरिए ही भारत में लाने की अनुमति होगी. वाणिज्य मंत्रालय के तहत डायरेक्टरेट जनरल ऑफ फॉरेन ट्रेड (DGFT) ने इस संबंध में अधिसूचना जारी की है, जो तत्काल प्रभाव से लागू हो गई है.

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अधिसूचना के मुताबिक अब बांग्लादेश से रेडीमेड कपड़ों का आयात किसी भी ज़मीनी सीमा चौकी (Land Port) से नहीं किया जा सकेगा. ये आयात केवल मुंबई के न्हावा शेवा और कोलकाता के समुद्री बंदरगाहों से ही संभव होगा. इसके अलावा फल, फ्लेवर और कार्बोनेटेड ड्रिंक्स, प्रोसेस्ड फूड आइटम्स, प्लास्टिक उत्पाद, लकड़ी का फर्नीचर, कॉटन यार्न वेस्ट आदि का आयात असम, मेघालय, त्रिपुरा, मिजोरम की सभी सीमा चौकियों और पश्चिम बंगाल की चांगरबांधा और फूलबाड़ी सीमा चौकियों से प्रतिबंधित कर दिया गया है. हालांकि ये प्रतिबंध बांग्लादेश से होकर नेपाल और भूटान जाने वाले ट्रांजिट सामान पर लागू नहीं होगा. साथ ही, मछली, एलपीजी, खाद्य तेल और क्रश्ड स्टोन जैसे उत्पादों के आयात को इन प्रतिबंधों से छूट दी गई है.

ये फैसला भारत-बांग्लादेश संबंधों में हालिया तनाव के बाद आया है. 9 अप्रैल को भारत ने पहले ही बांग्लादेश को दी गई ट्रांसशिपमेंट सुविधा को रद्द कर दिया था, जिससे उसे भारत के बंदरगाहों और एयरपोर्ट्स के माध्यम से तीसरे देशों (जैसे यूरोप, मिडिल ईस्ट) में सामान भेजने की अनुमति मिली हुई थी. यह सुविधा जून 2020 में दी गई थी.

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बांग्लादेश के अंतरिम प्रधानमंत्री मोहम्मद यूनुस के हाल ही में चीन में दिए गए विवादास्पद बयान ने इस फैसले को और गति दी. यूनुस ने कहा था कि भारत के पूर्वोत्तर राज्य समुद्र से कटे हुए हैं और उन्हें समुद्र तक पहुंचने के लिए बांग्लादेश पर निर्भर रहना पड़ता है. उन्होंने यह भी दावा किया था कि बांग्लादेश 'हिंद महासागर का एकमात्र संरक्षक' है और चीन को अपने सामान की आपूर्ति के लिए बांग्लादेश के रास्ते का उपयोग करने का आमंत्रण दिया था.

भारत ने इस बयान को अपनी क्षेत्रीय अखंडता पर हमला माना और राजनीतिक स्तर पर तीखी प्रतिक्रियाएं सामने आईं. इसके अलावा भारत के रेडीमेड गारमेंट्स उद्योग से जुड़े कई निर्यातक लंबे समय से मांग कर रहे थे कि बांग्लादेश को दी जा रही सुविधाएं वापस ली जाएं, जिससे घरेलू उद्योग को नुकसान हो रहा है.

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