जलवायु परिवर्तन हो रहा है और इसलिए ऐसे पैरामीटर जो आमतौर पर किसी विशेष क्षेत्र से संबंधित नहीं होते हैं, नाटकीय रूप से बदल रहे हैं. पूरे उत्तर-पश्चिमी क्षेत्र में शनिवार-रविवार की रात को हुई बारिश और आंधी-तूफान ने जनजीवन को प्रभावित किय. यह काल बैसाखी हो सकती है जो देश के पश्चिमी हिस्सों में आमतौर पर प्री-मानसून की घटना होती है.
काल बैसाखी या नॉरवेस्टर क्या है?
नॉरवेस्टर (Nor'wester), जिसे भारत में काल बैशाखी के नाम से भी जाना जाता है, एक भयंकर तूफान है जो मुख्य रूप से पूर्वी भारत में, आमतौर पर पश्चिम बंगाल, ओडिशा, असम, झारखंड और बिहार तथा बांग्लादेश में, अप्रैल और मई में प्री-मानसून सीजन के दौरान आता है. नॉरवेस्टर शब्द उत्तर-पश्चिम से पूर्व की ओर तूफान की विशिष्ट गति को दर्शाता है. जबकि काल बैसाखी एक स्थानीय नाम है जिसका मतलब 'बैसाख महीने की आपदा' (अप्रैल-मई) होता है, जो इसकी विनाशकारी प्रकृति को दर्शाता है.
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तेज हवाएं: नॉरवेस्टर शक्तिशाली सीधी-रेखा में चलने वाली हवाएं उत्पन्न करते हैं, जो अक्सर 100 किमी/घंटा से अधिक होती हैं, जो कुछ मामलों में डेरेचो की विशेषताओं से मिलती जुलती हैं. डेरेचो, टॉरनेडो के समान एक हवा का पैटर्न है जिसमें टॉरनेडो की घुमावदार हवाओं के विपरीत हवा एक सीधी रेखा में चलती है.
भारी वर्षा: काल बैशाखी या नॉरवेस्टर तूफान अचानक तेज बारिश लेकर आते हैं, जिससे जलभराव की समस्या आ सकती है. कल देर रात करीब 2 बजे दिल्ली एनसीआर में भी ऐसी ही बारिश देखने को मिली.
ओलावृष्टि और बवंडर: कुछ नॉरवेस्टर ओलावृष्टि या कभी-कभी बवंडर उत्पन्न करते हैं, जिससे उनकी विनाशकारी क्षमता और बढ़ जाती है.
रविवार रात दिल्ली-एनसीआर में तेज हवा और गरज-चमक के साथ हुई बारिश की गतिविधि प्री-मानसून वेदर सिस्टम से जुड़ी घटना हो सकती है. कई कारक एक साथ काम कर रहे हैं, जिसने पूरे वेदर सिस्टम को पाकिस्तान और जम्मू-कश्मीर से दिल्ली-एनसीआर और उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्सों में ला दिया है.
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दिल्ली-एनसीआर में तूफान के पीछे ये चार कारण
पश्चिमी विक्षोभ: ये भूमध्य सागरीय क्षेत्र से उत्पन्न होने वाली निम्न दबाव प्रणालियां हैं जो दिल्ली एनसीआर सहित उत्तरी भारत में बेमौसम बारिश ला सकती हैं. मई में, ये मौसमी सिस्टम स्थानीय गर्मी और नमी के साथ मिलकर तूफान और भारी बारिश का कारण बन सकते हैं. दिल्ली-एनसीआर में एक पश्चिमी विक्षोभ ने अरब सागर और बंगाल की खाड़ी से नमी के साथ मिलकर इस क्षेत्र में भारी बारिश की.
चक्रवाती परिसंचरण: अरब सागर और बंगाल की खाड़ी से आने वाली नमी के कारण हरियाणा और पंजाब के ऊपर एक चक्रवाती परिसंचरण ने दिल्ली-एनसीआर में भारी बारिश और ओलावृष्टि की. इसी तरह की प्रणाली इस सप्ताह की शुरुआत में कुछ दिन पहले बारिश का कारण बनी थी.
संवहन प्रणालियां: मैदानी इलाकों में भीषण गर्मी, उच्च आर्द्रता और नमी के प्रवाह के साथ मिलकर संवहनीय प्रणाली का निर्माण होता है, जिसमें गर्म, नम हवा का तेजी से ऊपर की ओर बढ़ना शामिल होता है. उत्तर-पश्चिम भारत के ऊपर एक संवहनीय प्रणाली दक्षिण-पूर्व की ओर बढ़ी, जिससे गरज के साथ बारिश हुई.
मानसून गर्त का प्रभाव: मई के अंत तक, मानसून की कम दबाव रेखा ने उत्तरी भारत को भी प्रभावित करना शुरू कर दिया, जिससे नमी का प्रवाह बढ़ गया और प्री-मानसून वर्षा होने लगी. मानसून की कम दबाव रेखा अपनी सामान्य स्थिति के दक्षिण से गुजरती है, जिससे नमी बढ़ती है और क्षेत्र में तूफानी मौसम बनने में योगदान मिलता है. इन कारकों का संयोजन- संभवतः पश्चिमी विक्षोभ, चक्रवाती परिसंचरण, या गर्मी और नमी से प्रेरित संवहनीय गतिविधि, दिल्ली-एनसीआर में तीव्र वर्षा का कारण बना.
कुमार कुणाल