जर्मन चांसलर की आज PM मोदी से मुलाकात, गोवा भी जायेंगे ओलाफ स्कोल्ज

जर्मन के चांसलर ओलाफ स्कोल्ज भारत के दौरा पर हैं. वे आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात करने वाले हैं. दोनों वैश्विक नेता आज 7वें अंतर सरकारी परामर्श (IGC) का हिस्सा बनेंगे. सरकारी कार्यक्रम के बाद स्कोल्ज गोवा जाएंगे और वहां से वापस जर्मनी के लिए उड़ान भरेंगे.

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PM Modi with Olaf Scholz (File Photo) PM Modi with Olaf Scholz (File Photo)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 25 अक्टूबर 2024,
  • अपडेटेड 8:59 AM IST

जर्मनी के चांसलर ओलाफ स्कोल्ज तीन दिन के भारत दौरे पर दिल्ली पहुंचे हैं. आज वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात करने वाले हैं. दोनों वैश्विक नेता आज 7वें अंतर सरकारी परामर्श (IGC) का हिस्सा बनेंगे. सरकारी कार्यक्रम के बाद स्कोल्ज गोवा जाएंगे और वहां से वापस जर्मनी के लिए उड़ान भरेंगे. दरअसल, जर्मनी भारत के बड़े बाजार में पकड़ बनाने और चीन पर निर्भरता कम करने की कोशिशों में जुटा हुआ है.

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जर्मन चांसलर का पूरा कार्यक्रम

> चांसलर स्कोल्ज 24 अक्टूबर को रात 10.55 बजे नई दिल्ली पहुंच चुके हैं.

> 25 अक्टूबर की सुबह (आज) 10 बजे पीएम मोदी से उनके सरकारी आवास पर मुलाकात करेंगे.

> स्कोल्ज सुबह 11 बजे ताज होटल में 18वें एशिया-प्रशांत जर्मन बिजनेस सम्मेलन (APK 2024) का उद्घाटन करेंगे.

> सुबह 11.50 बजे से हैदराबाद हाउस में फोटो सेशन होगा.

> उसके बाद दोपहर 12 बजे अंतर सरकारी परामर्श (IGC) में हिस्सा लेंगे.

> दोपहर 1.15 बजे हैदराबाद हाउस में भारत-जर्मनी के बीच समझौतों का आदान-प्रदान होगा.

> 26 अक्टूबर की सुबह प्लेन से गोवा के लिए रवाना होंगे. शाम 5.30 बजे जर्मनी रवाना होंगे.

जर्मनी से हो सकती है बड़ी डील

जर्मनी, भारत में मैन्युफैक्चरिंग बढ़ाने पर जोर दे रहा है, जिससे चीन पर निर्भरता कम हो सके. यही वजह है कि बड़ी संख्या में जर्मन कंपनियां भारत की तरफ रुख कर रही हैं और उम्मीद भरी निगाहों से देख रही हैं. आने वाले दिनों में यह संख्या बढ़ सकती है. जर्मन कंपनियों से अगले 6 साल में 4.5 लाख करोड़ निवेश भारत की संभावना जताई जा रही है. यह आंकड़ा अभी से दोगुना है. जानकारों का कहना है कि अगर जर्मनी से बड़ी डील होती है तो मतलब साफ है कि अमेरिका-ब्रिटेन से भी ज्यादा ये देश भारत के काम आ सकता है.

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2022 में लगा था बड़ा झटका

चांसलर ओलाफ स्कोल्ज का ये दौरा ऐसे वक्त पर हो रहा है, जब जर्मनी की निर्यात आधारित अर्थव्यवस्था लगातार दूसरे साल मंदी के दौर से गुजर रही है. इसके साथ ही यूरोपीय संघ और चीन के बीच व्यापार विवाद को लेकर चिंताएं हैं, जो जर्मन कंपनियों को नुकसान पहुंचा सकती हैं. इससे पहले 2022 में यूक्रेन युद्ध की वजह से जर्मनी को बड़ा झटका लगा था.

चीन पर निर्भरता कम करने की कोशिश

बता दें कि रूस की सस्ती गैस पर जर्मनी की अत्यधिक निर्भरता बढ़ गई थी. उसके बाद जर्मनी ने डि-रिस्किंग की पॉलिसी अपनाई. अब जर्मनी, चीन पर भी अपनी निर्भरता को कम करने की कोशिश कर रहा है. हालांकि, चीन अब भी जर्मनी का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार बना हुआ है.

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