विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने गुरुवार को कहा कि भारत को हाल ही में पहलगाम हमले के बाद अंतरराष्ट्रीय समुदाय से व्यापक समर्थन मिला है. उन्होंने बताया कि होंडुरास में भारत का नया दूतावास खुला है और वहां की सरकार ने भारत का खुलकर समर्थन किया. भारत ने 7 मई की सुबह संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भी पाकिस्तान को आतंकवाद के लिए जवाबदेह ठहराया.
विदेश मंत्री ने 7 से 10 मई के बीच ऑपरेशन सिंदूर के तहत भारत की सैन्य कार्रवाई को लेकर भी बयान दिया. उन्होंने कहा कि भारत ने पाकिस्तान को पहले ही चेतावनी दी थी कि यह कार्रवाई केवल आतंक के ढांचों पर होगी, सैन्य ठिकानों पर नहीं. लेकिन पाकिस्तान की सेना ने सही सलाह नहीं मानी और 10 मई को उन्हें करारा जवाब मिला. 7 मई को जो लोग झुकने को तैयार नहीं थे, वे 10 मई को खुद झुकते नजर आए. सैटेलाइट तस्वीरें इस बात का सबूत हैं कि पाकिस्तान को कितनी बड़ी क्षति हुई है.
जयशंकर ने स्पष्ट किया कि भारत की पाकिस्तान के साथ कोई आम बातचीत नहीं होगी. उन्होंने कहा, "हमारी पाकिस्तान से कोई बातचीत नहीं है जब तक आतंकवाद बंद नहीं होता. बातचीत केवल आतंक पर ही होगी." उन्होंने यह भी कहा कि पाकिस्तान को अपने आतंकवादी ढांचे को पूरी तरह से बंद करना होगा.
सिंधु जल संधि को लेकर बड़ा फैसला
सिंधु जल संधि सस्पेंड करने के फैसले पर पुनिर्विचार के सवालों पर विदेश मंत्री ने दोहराया कि भारत सरकार का रुख पूरी तरह स्पष्ट है. उन्होंने कहा कि जब तक पाकिस्तान आतंक का समर्थन करता रहेगा, सिंधु जल संधि (IWT) को स्थगित रखा जाएगा.
कश्मीर को लेकर भारत की स्थिति फिर से दोहराते हुए जयशंकर ने कहा, "कश्मीर पर यदि कोई बातचीत होगी तो केवल पीओजेके (पाक अधिकृत जम्मू-कश्मीर) पर होगी. हम उस पर चर्चा के लिए खुले हैं."
व्यापार समझौते पर ट्रंप के दावे पर कही ये बात
विदेश मंत्री ने अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के उस दावे पर भी प्रतिक्रिया दी जिसमें कहा गया था कि भारत ने शून्य शुल्क (Zero Tariff) के साथ व्यापार समझौते की पेशकश की है. जयशंकर ने कहा कि भारत और अमेरिका के बीच व्यापार वार्ताएं जारी हैं, जो कि जटिल प्रकृति की हैं और अभी किसी निष्कर्ष पर पहुंचना जल्दबाज़ी होगी. उन्होंने स्पष्ट किया कि कोई भी व्यापार समझौता तब तक अंतिम नहीं माना जा सकता जब तक सभी पहलुओं पर सहमति न बन जाए.
जयशंकर ने कहा, "भारत का मानना है कि व्यापार समझौता ऐसा होना चाहिए जो दोनों देशों के लिए लाभकारी हो. जब तक यह प्रक्रिया पूरी नहीं होती, तब तक इस पर कोई भी टिप्पणी करना उचित नहीं होगा."
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