तमिलनाडु पुलिस ने कोयंबटूर में ईशा फाउंडेशन की ओर से संचालित एक स्कूल के चार कर्मचारियों और एक पूर्व छात्र के खिलाफ POCSO एक्ट के तहत FIR दर्ज की है. यह मामला एक बच्चे की मां की शिकायत के आधार पर दर्ज किया गया है, जिसके साथ 2017 और 2019 के बीच कथित तौर पर छेड़छाड़ की गई थी, जब वह स्कूल में छात्र था. उधर, ईशा फाउंडेशन ने कहा कि माता-पिता की ओर से लगाए गए आरोप झूठे, दुर्भावनापूर्ण और मानहानि वाले हैं.
बच्चे के साथ छेड़छाड़ के आरोप
ईशा फाउंडेशन की ओर से जारी बयान में कहा गया है, 'स्कूल में ऐसी कोई घटना नहीं हुई. 2019 में उन्होंने कुछ आरोप लगाए थे, जिनकी जांच की गई और उनका समाधान किया गया.' बयान में आगे कहा गया है कि क्योंकि यह बदमाशी का मामला था, इस वजह से इसमें शामिल दूसरे बच्चे को माइग्रेशन सर्टिफिकेट जारी किया गया था.
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इंडिया टुडे को हासिल हुई FIR के मुताबिक, मां ने आरोप लगाया कि तमिलनाडु के कोयंबटूर में ईशा होम स्कूल में पढ़ने के दौरान, उस समय नाबालिग रहे उनके बच्चे के साथ एक सहपाठी ने बार-बार छेड़छाड़ की. हालांकि शिकायत में कहा गया है कि बच्चे को माता-पिता को इस बारे में न बताने की हिदायत दी गई थी, लेकिन कहा जाता है कि बच्चे ने स्कूल के नॉमिनेट 'हाउस पैरेंट्स' निशांत कुमार और प्रीति कुमार के साथ-साथ प्रिंसिपल प्रकाश सोमयाजी और जनरल कॉर्डिनेटर स्वामी विभु को भी इस बारे में बताया था.
'घटना के बाद भी स्कूल से जुड़ा था परिवार'
हालांकि, फाउंडेशन ने कहा कि शिकायतकर्ता परिवार ने घटना के बाद कई सालों तक स्कूल से अपना जुड़ाव जारी रखा. दंपति का बड़ा बच्चा अगले तीन साल तक स्कूल में पढ़ता रहा, शिक्षकों से सिफारिशी लेटर मांगे और हासिल भी किए, और बाद में बच्चे ने स्कूल छोड़ने पर एक पॉजिटिव लेटर भी दिया जिसे स्कूल की वेबसाइट पर पब्लिश किया गया. परिवार ने कथित घटना के तीन महीने बाद ही परिवार ने अपने छोटे बच्चे के दाखिले के लिए भी आवेदन दिया, जो तब सात साल का भी नहीं था.
लेकिन मां ने अपनी शिकायत में कहा कि उनके बच्चे के 'प्राइवेट पार्ट्स को छुआ गया, पीछे से दबाया गया और सहपाठी ने उसे कपड़े उतारकर भागने की धमकी दी, जिसकी जानकारी मैनेजमेंट को दी गई. उन्होंने आगे आरोप लगाया कि 2019 में उनके बच्चे ने एक ईमेल भेजा था जिसमें कहा गया था कि आरोपी छात्र ने बच्चे के साथ जबरदस्ती की थी, जिसे तब 'फोन करने से भी मना कर दिया गया था.'
पॉक्सो एक्ट के तहत हुई FIR
एफआईआर में मां ने कहा, 'मैंने तुरंत स्कूल को फोन किया, जिसपर उन्होंने दो दिन तक कोई जवाब नहीं दिया. इस पर मैंने एक मैसेज भेजा कि अगर उन्होंने जवाब नहीं दिया तो मुझे पुलिस के पास जाना होगा.' उन्होंने कहा कि इसके बाद भी स्कूल ने कोई सार्थक प्रतिक्रिया नहीं दी, कथित तौर पर इसलिए क्योंकि आरोपी छात्र एलीट फैमिली से था.'
मां ने यह भी दावा किया कि जनरल कॉर्डिनेटर स्वामी विभु ने टिप्पणी की थी, 'अगर पीड़ित लड़की होती तो कार्रवाई की जाती.' उन्होंने कहा कि उनके बच्चे में अलगाव और सुसाइड करने जैसे भावना दिखने लगी थे; और जब उन्होंने स्कूल मैनेजमेंट को इस बारे में बताया, तो उन्होंने कथित तौर पर उन्हें पुलिस के पास जाने से रोकने की कोशिश की.
12 दिसंबर, 2024 को एक औपचारिक पुलिस शिकायत दर्ज की गई, जिसके बाद 31 जनवरी, 2025 को पॉक्सो एक्ट की धारा 9(1), 10 और 21(2) के साथ-साथ आईपीसी की धारा 342 के तहत FIR दर्ज की गई, जिसमें छात्र (अपराध के समय वह नाबालिग था), निशांत कुमार, प्रीति कुमार, प्रकाश सोमयाजी और स्वामी विभु का नाम शामिल किया गया.
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इंडिया टुडे से बातचीत में मां ने आरोप लगाया कि तमिलनाडु पुलिस ने उन्हें एफआईआर की कॉपी देने में 60 दिन की देरी की, यह कहते हुए कि उन्हें अहमदाबाद में पढ़ रहे बच्चे को व्यक्तिगत रूप से लाना होगा. उन्होंने बताया, 'मुझे 17 मार्च की रात को व्हाट्सएप के ज़रिए 18 मार्च को पेश होने के लिए समन मिला, जो दूरी को देखते हुए नामुमकिन था. मैंने एक और तारीख मांगी और 28 मार्च को हम मजिस्ट्रेट के सामने पेश हुए जिन्होंने विस्तार से बयान दर्ज किया. जब मैंने उन्हें बताया कि मुझे एफआईआर की कॉपी नहीं मिली है, तो पुलिस ने मुझे इसे न लेने के लिए दोषी ठहराया. मजिस्ट्रेट के आदेश के बाद ही मुझे कॉपी मिली.'
उन्होंने यह भी दावा किया कि एक बार उसे वरिष्ठ पुलिस अधिकारी के साथ एक कमरे में बंद कर दिया गया था, जिसने उसे खुद को दोषी ठहराने वाले कई सवालों के जवाब देने के लिए मजबूर किया और यह सिर्फ कार्यकर्ता समर्थकों की उपस्थिति के कारण ही संभव हो पाया कि वह वहां से निकल पाई. मां ने आरोप लगाया कि उसके परिवार को तब से ऑनलाइन एब्यूज का सामना करना पड़ रहा है.
'स्कूल को बदनाम करने की कोशिश'
हालांकि, ईशा फाउंडेशन ने दावा किया कि शिकायतकर्ता के बड़े बच्चे के ग्रेजुएट होने के बाद मां ने जून 2022 से स्कूल में वॉलंटियर के तौर पर काम किया. हालांकि, उसके आचरण के बारे में छात्रों, अभिभावकों और कर्मचारियों की शिकायतों के कारण, मार्च 2024 में स्कूल के साथ उनका जुड़ाव खत्म कर दिया गया. फाउंडेशन ने कहा कि शिकायतकर्ता अपने निष्कासन से असंतुष्ट होकर अब यौन उत्पीड़न के झूठे आरोपों के जरिए स्कूल और आश्रम को बदनाम कोशिश कर रही है. उन्होंने कहा कि आरोपों के जवाब में कानूनी कार्रवाई शुरू की गई है.
प्रमोद माधव