निर्वाचन आयोग (ECI) ने सुप्रीम कोर्ट में दायर एक याचिका पर अपना पक्ष रखते हुए स्पष्ट किया है कि आधार कार्ड नागरिकता, पता या जन्मतिथि का प्रमाण नहीं माना जा सकता. साथ ही 2026 में विधानसभा चुनाव होने वाले राज्यों में विशेष गहन संशोधन (SIR) के लिए समय-सारिणी को आयोग अपनी नियमों के अनुसार समय पर अधिसूचित किया जाएगा. वर्तमान में SIR का कोई निश्चित शेड्यूल मौजूद नहीं है.
याचिका में पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, असम, केरल और पुदुचेरी जैसे उन राज्यों के लिए SIR की समय-सारिणी तय करने के निर्देश मांगे गए थे, जहां 2026 में विधानसभा चुनाव निर्धारित हैं. याचिकाकर्ताओं का तर्क था कि SIR प्रक्रिया को समयबद्ध तरीके से शुरू करने से मतदाता सूची को पारदर्शी और अपडेट बनाने में मदद मिलेगी. हालांकि, ECI ने कोर्ट को सूचित किया कि SIR का शेड्यूल समय आने पर (in due course) जारी किया जाएगा.
'अलग से समय-सारिणी की जरूरत नहीं'
आयोग ने जोर देकर कहा कि हर चुनाव से पहले वोटर रोल का संशोधन वैसे भी किया जाता है, इसलिए अलग से समय-सारिणी तय करने की कोई जरूरत नहीं है.
ECI ने दोहराया कि आधार कार्ड केवल पहचान का प्रमाण है, न कि नागरिकता का. ये स्पष्टीकरण हाल ही में बिहार SIR मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के संदर्भ में आया है, जहां कोर्ट ने आधार को 12वें दस्तावेज के रूप में स्वीकार करने का निर्देश दिया था, लेकिन साथ ही ये स्पष्ट किया था कि आधार अधिनियम, 2016 और प्रतिनिधित्व ऑफ द पीपल एक्ट, 1950 के तहत ये नागरिकता, जन्मतिथि या निवास प्रमाण नहीं है.
मुख्य निर्वाचन आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने हालिया प्रेस कॉन्फ्रेंस में भी कहा था कि आधार को केवल पहचान स्थापित करने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है और आयोग को आधार की प्रमाणिकता की जांच का अधिकार होगा.
वोटर लिस्ट साफ-सुथरा बनाने की प्रक्रिया
विशेष गहन संशोधन (SIR) मतदाता सूची को साफ-सुथरा बनाने की एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है, जिसमें फर्जी वोटरों को हटाया जाता है और वास्तविक मतदाताओं को शामिल किया जाता है.
ECI ने बताया कि बिहार में चल रही SIR प्रक्रिया के अनुभव के आधार पर अन्य राज्यों में भी इसे लागू किया जाएगा. आयोग का कहना है कि SIR से नागरिकता खत्म नहीं होती, बल्कि केवल मतदाता पात्रता की जांच होती है. 2003 के बाद से बिहार जैसे राज्यों में पहले से सूचीबद्ध मतदाताओं को दस्तावेज जमा करने से छूट दी गई है जो प्रक्रिया को सरल बनाता है.
इसी को लेकर RJD, TMC और अन्य दलों ने बिहार SIR के खिलाफ याचिकाएं दायर की थीं, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि प्रक्रिया समावेशी है और केवल वास्तविक नागरिकों को ही वोट का अधिकार मिलना चाहिए. ECI ने आश्वासन दिया है कि SIR से कोई वैध मतदाता वंचित नहीं होगा, लेकिन फर्जी दस्तावेजों पर सख्ती बरती जाएगी.
अनीषा माथुर