क्या इलाहाबाद हाईकोर्ट जॉइन कर पाएंगे जस्टिस यशवंत वर्मा? कैशकांड के बाद बार एसोसिएशन आज से प्रोटेस्ट पर उतरेगा

इलाहाबाद बार एसोसिएशन ने जज यशवंत वर्मा के खिलाफ कैश-एट-होम विवाद पर महाभियोग चलाने की मांग करते हुए जारी प्रस्ताव में कहा कि कहा है कि न्यायिक बिरादरी को आंतरिक जांच 'अस्वीकार्य' है.

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जस्टिस यशवंत वर्मा जस्टिस यशवंत वर्मा

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 25 मार्च 2025,
  • अपडेटेड 7:32 AM IST

पिछले कई दिनों से दिल्ली हाई कोर्ट के जज यशवंत वर्मा (Justice Yashwant Varma) सुर्खियों में हैं. सबसे पहले उनके दिल्ली स्थित आधिकारिक आवास से बड़ी तादाद में कैश बरामद होने की बात सामने आई. बाद में सोशल मीडिया पर एक वीडियो भी वायरल हुआ, जिसमें धुएं के साथ जले हुए नोट नजर आ रहे थे. यह मामले तब सामने आया, जब उनके घर पर आग लगने की घटना के बाद फायर ब्रिगेड की टीम पहुंची थी. हालांकि,  ये बात भी सामने आई कि जब जस्टिस के घर पर आग लगी थी, तो वे शहर से बाहर थे. 

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यशवंत वर्मा के विवादों में आने के बाद उन्हें इलाहाबाद हाई कोर्ट ट्रांसफर किए जाने का ऑर्डर हुआ और दिल्ली हाई कोर्ट के रोस्टर से उनका नाम हटाए जाने की बात सामने आई. 

एजेंसी के मुताबिक, बार एसोसिएशन के अध्यक्ष अनिल तिवारी ने बताया, "जस्टिस यशवंत वर्मा के इलाहाबाद हाई कोर्ट में (प्रस्तावित) ट्रांसफर के विरोध में इलाहाबाद हाई कोर्ट बार एसोसिएशन के वकील मंगलवार से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाएंगे." 

क्या है पूरा मामला?

पिछले दिनों जस्टिस यशवंत वर्मा के दिल्ली स्थित आधिकारिक आवास पर एक फायरफाइटिंग ऑपरेशन के दौरान बड़ी मात्रा में कैश मिलने का दावा किया गया था. हालांकि सूत्रों के मुताबिक, इस दौरान जस्टिस वर्मा शहर से बाहर थे. इस बीच, उनके घर के बाहर से जले नोटों के बंडल की तस्वीरें सामने आई थीं. मलबा भी जला पड़ा मिला है. इसमें जले नोट भी देखने को मिले हैं. इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने कैश कांड में अपनी रिपोर्ट सार्वजनिक की थी.  

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यशवंत वर्मा भेजे जाएंगे इलाहाबाद हाई कोर्ट!

सुप्रीम कोर्ट ने यशवंत वर्मा को इलाहाबाद हाई कोर्ट ट्रांसफर किए जाने की बात सामने आई, जहां पर वो पहले काम कर चुके हैं. सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर अपलोड किए गए स्टेटमेंट में कहा गया, "20 और 24 मार्च को हुई सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम की मीटिंग में जस्टिस यशवंत वर्मा को फिर से इलाहाबाद हाई कोर्ट भेजने की सिफारिश की गई."

चीफ जस्टिस संजीव खन्ना ने कैश मिलने पर प्रतिकूल रिपोर्ट मिलने और एक वीडियो सामने आने के बाद 20 मार्च को कॉलेजियम की बैठक बुलाई थी, जिसमें कथित तौर पर अग्निशमन कर्मियों को आवास से लगे एक स्टोर रूम में आग बुझाते समय बंडलों से टकराते हुए दिखाया गया था.

वायरल हुए वीडियो की समीक्षा के बाद कॉलेजियम ने सर्वसम्मति से उनके ट्रांसफर की सिफारिश करने का फैसला लिया, लेकिन इसका समाधान तत्काल अपलोड नहीं किया गया.

यह भी पढ़ें: 'नोट कांड' में फंसे जज यशवंत वर्मा के खिलाफ जांच में क्या अपडेट आया सामने? CJI ने लिखा जजों को लेटर

इलाहाबादा हाई कोर्ट में हो रहा विरोध 

इलाहाबाद हाई कोर्ट बार एसोसिएशन ने जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों को लेकर महाभियोग की मांग की है. बार एसोसिएशन ने अपनी जनरल बॉडी मीटिंग में 11 प्रस्ताव पास किए, जिसमें से प्रमुख मांग यह थी कि जस्टिस वर्मा के खिलाफ सीबीआई और ईडी को मामला दर्ज करने की अनुमति दी जाए.

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बार एसोसिएशन ने जज यशवंत वर्मा के खिलाफ कैश-एट-होम विवाद पर महाभियोग चलाने की मांग करते हुए जारी प्रस्ताव में कहा कि कहा है कि न्यायिक बिरादरी को आंतरिक जांच 'अस्वीकार्य' है. मीटिंग में एसोसिएशन ने केंद्र सरकार के साथ ही सीजेआई से महाभियोग लाए जाने की मांग की है. जिस प्रकार से एक सिविल सर्वेंट,पब्लिक सर्वेंट या राजनेता का ट्रायल होता है इस तरह उनके केस की का ट्रायल भी हो.

"इलाहाबाद हाईकोर्ट में न करें तबादला, यह कोई कूड़ाघर नहीं..."

समिति की इस बैठक की अध्यक्षता सीनियर एडवोकेट अनिल तिवारी ने की, जिसमें यह भी फैसला लिया गया कि जज वर्मा का इलाहाबाद हाईकोर्ट तबादला ना किया जाए. समिति ने कहा कि इलाहाबाद हाईकोर्ट किसी भी प्रकार का "डंपिंग ग्राउंड" नहीं है, और अगर आवश्यक हो तो सीजेआई की अनुमति से जस्टिस वर्मा को कस्टडी में भी लिया जा सकता है.

बार एसोसिएशन के अध्यक्ष अनिल तिवारी ने कहा, "इलाहाबाद हाई कोर्ट कोई कूड़ाघर अथवा भ्रष्टाचार का अड्डा नहीं है, जहां पर किसी भी भ्रष्टाचार में आरोपी न्यायमूर्ति को ट्रांसफर कर दिया जाए. सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम का यह फैसला इलाहाबाद हाई कोर्ट को तोड़ने की मंशा को प्रदर्शित करता है, लेकिन बार एसोसिएशन ऐसा कदापि होने नहीं देगा. उसका कर्तव्य आम जनता का न्यायपालिका पर विश्वास बनाए रखना है."

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आंतरिक जांच को एसोसिएशन ने किया खारिज

बार एसोसिएशन ने सुप्रीम कोर्ट की आंतरिक जांच को भी खारिज कर दिया है और उसने जस्टिस वर्मा की दलीलों और सफाई को निरस्त कर दिया. समिति ने ज्यूडिशियल सिस्टम में 'अंकल जज सिंड्रोम' का मुद्दा भी उठाया, जिसमें यह भी कहा गया कि जिस अदालत में कोई जज हो, वहां उसके परिवार के सदस्यों को वकालत नहीं करनी चाहिए.

क्या बोले यशवंत वर्मा?

जस्टिस यशवंत वर्मा ने इस पूरे मामले पर कहा कि उनके आवास पर मौजूद कर्मचारियों को कोई कैश नहीं दिखाया गया. उन्होंने दिल्ली हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस डी के उपाध्याय को दिए जवाब में कहा, "जब आधी रात के आसपास आग लगी, तो मेरी बेटी और मेरे निजी सचिव ने अग्निशमन सेवा को इसकी जानकारी दी, जिनकी कॉल रिकॉर्ड की गई. आग बुझाने की कवायद के दौरान, सभी कर्मचारियों और मेरे घर के सदस्यों को सुरक्षा चिंताओं के मद्देनजर घटनास्थल से दूर जाने के लिए कहा गया था. आग बुझने के बाद जब वे घटनास्थल पर वापस गए, तो उन्होंने मौके पर कोई कैश या मुद्रा नहीं देखी."

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जांच में क्या मिला है?

दिल्ली हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस द्वारा जांच का विवरण इस प्रकार दिया गया, "जस्टिस यशवंत वर्मा के मोबाइल फोन नंबर के पिछले 6 महीने यानी 1.9.2024 से अब तक के कॉल विवरण रिकॉर्ड और आईपीडीआर प्राप्त करने के लिए दिल्ली के पुलिस आयुक्त को एक अनुरोध पत्र भेजा गया था. कॉल रिकॉर्ड प्राप्त हो गए हैं और उसे एक पेन ड्राइव में सीजेआई को भेज दिया गया है. आईपीडीआर भी सीजेआई को प्रस्तुत किया जाना है. जैसा कि पुलिस आयुक्त, दिल्ली से प्राप्त हुआ है."

दिल्ली पुलिस से गुजारिश की कि वह पिछले 6 महीनों के दौरान जस्टिस यशवंत वर्मा के आवास पर तैनात निजी सुरक्षा अधिकारियों और सुरक्षा गार्डों का विवरण प्रस्तुत करे.

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