प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने दिल्ली के शराब घोटाले मामले में चरणप्रीत सिंह को गिरफ्तार किया है. ये इस मामले में 17वीं गिरफ्तारी है. ईडी ने चरणप्रीत पर 2022 गोवा विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी के प्रचार के लिए धन मुहैया कराने का आरोप लगाया है. वहीं, AAP का कहना है कि ईडी की जांच राजनीति से प्रेरित है और उसे अभी तक इस मामले में एक भी रुपया नहीं मिला है.
सूत्रों का कहना है कि चरणप्रीत सिंह को 12 अप्रैल को पीएमएलए के तहत हिरासत में लिया गया था और अगले दिन विशेष कोर्ट के समक्ष पेश किया गया था. सिंह को कोर्ट ने 18 अप्रैल तक ईडी की हिरासत में भेज दिया है.
दिल्ली शराब घोटाले मामले में ईडी इससे पहले दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया, बीआरएस नेता के.कविता और कई शराब कारोबारी और अन्य को गिरफ्तार कर चुकी है.
चरणप्रीत सिंह को इसी मामले में सीबीआई भी पहले गिरफ्तार कर चुकी है. मनी लॉन्ड्रिंग का ये मामला सीबीआई की एफआईआर पर ही आधारित है. ईडी ने कोर्ट को बताया कि चरणप्रीत सिंह ने 2022 गोवा चुनाव के दौरान आम आदमी पार्टी के प्रचार के लिए नकद पैसे का इंतजाम किया था. चरणप्रीत का आम आदमी पार्टी से गहरा ताल्लुक है.
ईडी का आरोप है कि के. कविता, ओंगोल लोकसभा सीट से टीडीपी उम्मीदवार मागुंटा श्रीनिवासुलु रेड्डी, उनके बेटे राघव मागुंटा, कारोबारी सरथ चंद्र और अन्य ने दिल्ली में शराब लाइसेंस के लिए आम आदमी पार्टी को 100 करोड़ रुपये की रिश्वत दी थी. ईडी का कहना है कि रिश्वत के इस पैसे में से 45 करोड़ रुपये का इस्तेमाल पार्टी ने गोवा चुनाव प्रचार में किया था.
आरोप है कि आम आदमी पार्टी ने गोवा में चुनाव प्रचार से जुड़ी गतिविधियों के लिए सर्वे वर्कर्स, एरिया मैनेजर्स, असेंबली मैनेजर्स और अन्य को कैश में पेमेंट किया था. इन लोगों ने ईडी को बताया कि इस काम की जिम्मेदारी चरणप्रीत सिंह के नाम को सौंपी गई थी.
ईडी का कहना है कि दिल्ली का रहने वाला चरणप्रीत सिंह हवाला ऑपरेटर्स से पैसा इकट्ठा कर रहा था और AAP के गोवा विधानसभा चुनाव कैंपेन के दौरान इन पैसों को अलग-अलग जगह बांट रहा था. बता दें कि चैरियट मीडिया गोवा चुनाव के दौरान AAP का कैंपेन संभाल रही थी.
कौन है चरणप्रीत सिंह?
चरणप्रीत सिंह आम आदमी पार्टी का कार्यकर्ता है. सिंह 2022 गोवा चुनाव में आम आदमी पार्टी के प्रचार के लिए मई-जून 2021 में शामिल हुए थे. सरकारी सूत्रों के मुताबिक, सिंह को फरवरी 2022 में पार्टी से वेतन मिला था.
जानिए कब सामने आया पूरा घोटाला?
दिल्ली में 17 नवंबर 2021 को आम आदमी पार्टी की सरकार ने आबकारी नीति लागू की थी. सरकार ने राजस्व में 9500 करोड़ रुपए की बढ़ोतरी का अनुमान लगाया था. इस नीति के आने से सरकार शराब कारोबार से बाहर हो गई थी और इसे निजी कंपनियों के हवाले कर दिया गया था.
दिल्ली में 32 जोन बनाए गए और हर जोन में शराब की अधिकतम 27 दुकानें खोलने को मंजूरी दी गई. तत्कालीन मुख्य सचिव नरेश कुमार को नीति में गड़बड़ी लगी तो उन्होंने उपराज्यपाल वीके सक्सेना को रिपोर्ट सौंपी. इसमें तत्कालीन डिप्टी सीएम और आबकारी मंत्री मनीष सिसोदिया पर गलत तरीके से एक्साइज पॉलिसी तैयार करने का आरोप लगाया.
सबसे पहले दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा ने कथित अनियमितताओं की जांच शुरू की. उसके बाद एलजी ने सीबीआई जांच की सिफारिश कर दी. 17 अगस्त 2022 को सीबीआई ने पहली बार केस दर्ज किया. सीबीआई ने पीसी एक्ट यानी भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम-1988 की धारा 120बी और 477ए के तहत FIR दर्ज की. इसमें सिसोदिया, तीन पूर्व सरकारी अफसर, 9 कारोबारी और दो कंपनियों को आरोपी बनाया गया. इस बीच, सरकार ने इस पूरी पॉलिसी को रद्द कर दिया.
दिल्ली सरकार को 2873 करोड़ का नुकसान होने का दावा
चूंकि इस पूरे मामले में पैसों की हेराफेरी का आरोप भी था, इसलिए प्रवर्तन निदेशालय की भी एंट्री हुई और पीएमएलए कानून के तहत मनी लॉन्ड्रिंग के सिलसिले में जांच शुरू की गई. इधर, सीबीआई ने घोटाले की परतें खोलना शुरू कर दिया. वहीं, ईडी ने पैसों की हेराफेरी में शामिल आरोपी और उनकी कड़ियां जोड़ीं और उनकी भूमिका का पता किया. सीबीआई और ईडी ने आरोपियों के ठिकानों पर सिलसिलेवार छापे मारे और गिरफ्तारियां कीं. दोनों एजेंसियों ने कोर्ट में अपनी-अपनी चार्जशीट भी दायर की हैं. इसमें आरोप लगाया है कि 2021-2022 की आबकारी नीति में दिल्ली सरकार को कथित तौर पर 2873 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है. हालांकि, आम आदमी पार्टी और दिल्ली सरकार शुरू से ही आरोपों को नकार रही है.
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