दिल्ली ब्लास्ट की जांच में अब एजेंसियों का फोकस एक नए नाम पर है- डॉ. शाहीन शाहिद, जो कभी यूपी की एक मेधावी मेडिकल टॉपर थी और अब जैश-ए-मोहम्मद की महिला विंग जमात-उल-मोमिनात की कमांडर बताई जा रही है. जांचकर्ताओं का मानना है कि शाहीन ने जम्मू-कश्मीर के आतंकी नेटवर्क को हरियाणा और दिल्ली में मौजूद लोकल सपोर्ट सिस्टम से जोड़ने में अहम भूमिका निभाई.
एजेंसियां यह पता लगाने में जुटी हैं कि पिछले एक दशक में शाहीन ने कितने कश्मीरी छात्रों से संपर्क किया या उन्हें अपने प्रभाव में लिया. इसके लिए उसकी कॉल डिटेल, चैट रिकॉर्ड और यात्राओं की पूरी जांच की जा रही है.
कम्युनिकेशन और ट्रैवल रिकॉर्ड्स की जांच
एटीएस और जम्मू-कश्मीर पुलिस मिलकर 2015 से 2023 के बीच डॉ. शाहीन की डिजिटल कम्युनिकेशन और ट्रैवल रिकॉर्ड्स की जांच कर रही हैं. माना जा रहा है कि इन्हीं रिकॉर्ड्स में इस बात की कुंजी छिपी है कि एक होनहार डॉक्टर कैसे आतंकियों के हैंडलरों और उत्तर भारत में कट्टरपंथी बने छात्रों के बीच अहम कड़ी बन गई.
2015 में मुजम्मिल अहमद से मिली थी शाहीन
2015 में शाहीन की मुलाकात पुलवामा के डॉक्टर मुजम्मिल अहमद से हुई थी, जो उस समय फरीदाबाद की अल-फलाह यूनिवर्सिटी से जुड़ा था. मुजम्मिल पर कई आतंकी साजिशों में शामिल होने का आरोप है. जांच में सामने आया है कि इसी के जरिए शाहीन की पहचान उन कश्मीरी छात्रों से हुई जो मेडिकल एजुकेशन और रिसर्च के नाम पर कट्टर नेटवर्क का हिस्सा बने हुए थे.
कौन है डॉ. शाहीन शाहिद?
लखनऊ की रहने वाली शाहीन ने इलाहाबाद के मोतीलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस और एमडी की पढ़ाई की थी और 2006 में यूपीपीएससी के जरिए कानपुर मेडिकल कॉलेज में असिस्टेंट प्रोफेसर बनी थी. लेकिन 2015 में अपने पति डॉ. जाफर हयात से तलाक के बाद उसका जीवन अचानक बदल गया. वह समाज से कटती चली गई और धीरे-धीरे कट्टरपंथ की ओर बढ़ गई.
जितेंद्र बहादुर सिंह