बंगाल की खाड़ी के ऊपर बना एक गहरा दबाव अब तेजी से चक्रवात 'मोन्था' में बदल गया है. इसी के चलते आंध्र प्रदेश और ओडिशा में अलर्ट जारी किया गया है.
क्या है चक्रवात मोन्था?
‘मोन्था’ एक उष्णकटिबंधीय तूफान (tropical storm) है, जो बंगाल की खाड़ी में बन रहा है. ये शुरू में एक लो-प्रेशर एरिया था लेकिन अब भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने इसे 'साइक्लोनिक स्टॉर्म' घोषित किया है. मौसम विभाग का कहना है कि ये और तेज होकर 'सीवियर साइक्लोनिक स्टॉर्म' में बदल सकता है. ‘मोन्था’ नाम थाईलैंड ने सुझाया था. थाई भाषा में इसका मतलब 'खुशबूदार या सुंदर फूल' होता है.
क्यों है ये खतरा और किन इलाकों पर पड़ेगा असर?
बंगाल की खाड़ी का पानी गर्म होने की वजह से यहां अक्सर तेज तूफान बनते हैं. इसकी आकृति भी ऐसी है कि हवा, बारिश और समुद्री लहरों का असर और बढ़ जाता है. IMD के मुताबिक चक्रवात 28 अक्टूबर की शाम या रात को मचलीपट्टनम और कालिंगपट्टनम के बीच काकीनाडा के पास तट से टकरा सकता है. इसकी हवा की रफ्तार 90 से 100 किमी/घंटा हो सकती है जो कभी-कभी 110 किमी/घंटा तक पहुंच सकती है.
आंध्र प्रदेश के तटीय इलाकों, ओडिशा, तमिलनाडु और तेलंगाना में 27 से 30 अक्टूबर के बीच भारी से बहुत भारी बारिश की संभावना है. कहा जा रहा है इस दौरान समुद्र में बहुत ऊंची लहरें उठेंगी और हालात बेहद खराब रहेंगे.
चक्रवातों को नाम कैसे दिया जाता है?
उत्तर हिंद महासागर में जब कोई तूफान एक तय स्तर तक तेज हो जाता है तब उसे नाम दिया जाता है. ये नाम WMO/ESCAP पैनल ऑन ट्रॉपिकल साइक्लोन्स के सदस्य देशों की लिस्ट से लिया जाता है. ‘मोन्था’ नाम उसी सूची से लिया गया है जिसे थाईलैंड ने दिया था. तूफानों को नाम देने का मकसद लोगों को अलर्ट करना आसान बनाना, रिकॉर्ड रखना और जागरूकता बढ़ाना होता है.
क्या करना चाहिए?
‘मोन्था’ बंगाल की खाड़ी से उठने वाला एक गंभीर तूफान बन चुका है. ये भारत के पूर्वी तटों पर तेज हवाएं, भारी बारिश और समुद्री लहरों के साथ तबाही मचा सकता है. आंध्र प्रदेश, ओडिशा और तमिलनाडु के तटीय इलाकों में रहने वाले लोगों को अब से ही तैयारी शुरू कर देनी चाहिए. थोड़ी सी सावधानी और योजना कई जिंदगियां बचा सकती है और नुकसान कम कर सकती है.
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