पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान के साथ 6 दशक पुराने सिंधु जल समझौते को स्थगित कर दिया है. इसके बाद दोनों देशों के बीच नदियों से जुड़ा कोई भी डेटा शेयर नहीं किया जाएगा. दूसरी तरफ चीन ने साल 2022 से नदियों से जुड़ा कोई डाटा भारत के साथ शेयर नहीं किया है, जबकि इसके लिए करार हुआ था. जल शक्ति मंत्रालय ने आरटीआई में इस बात का खुलासा किया कि 2022 के बाद से चीन से हाइड्रोलॉजिकल डेटा नहीं मिला है, जबकि ब्रह्मपुत्र और सतलुज पर MoUs क्रमश: साल 2023 और 2020 में खत्म हो चुके हैं.
चीन ने रोका भारत का डेटा
इंडिया टुडे की ओर से सूचना के अधिकार (आरटीआई) दाखिल करने पर जल शक्ति मंत्रालय से जवाब हासिल हुआ है. इसके मुताबिक चीन ने 2022 से भारत के साथ अहम हाइड्रोलॉजिकल डेटा शेयर करना बंद कर दिया है. मंत्रालय ने बताया कि चीन ने 2022 से भारत के साथ हाइड्रोलॉजिकल डेटा या हाइड्रो स्ट्रक्चर के बारे में कोई जानकारी शेयर नहीं की है.
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चीनी हाइड्रोलॉजिकल डेटा भारत की जल सुरक्षा और बुनियादी ढांचे के विकास के लिए काफी अहम है, खासकर ब्रह्मपुत्र और सतलुज जैसी ट्रांसबाउंड्री नदियों को लेकर, जो चीन से ही आती हैं. यह डेटा भारत के बाढ़ पूर्वानुमान, अर्ली वॉर्निंग सिस्टम, बांधों और पुलों जैसे बुनियादी ढांचे की प्लानिंग और मैनेजमेंट के लिए अहम है.
रिन्यू नहीं किया गया MoU
सतलुज और ब्रह्मपुत्र नदियों के लिए हाइड्रोलॉजिकल डेटा शेयर करने पर भारत और चीन के बीच MoU की मौजूदा स्थिति के बारे में सवालों का जवाब देते हुए जल शक्ति मंत्रालय ने बताया कि ब्रह्मपुत्र नदी पर MoU पांच जून 2023 और सतलुज नदी पर समझौता 6 नवंबर 2020 को खत्म हो चुका है.
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इंडिया टुडे ने आरटीआई में इन समझौते पर साइन किए जाने की तारीख और उनके खत्म होने की तारीख के बारे में भी जानकारी मांगी गई थी, जिसके जवाब में जल शक्ति मंत्रालय ने कहा कि ब्रह्मपुत्र नदी पर मूल रूप से 2002 में समझौते पर साइन किए गए थे और यह 2008 में खत्म हो गया था. सतलुज नदी पर 2005 में MoU साइन हुआ था, जो कि 2010 में खत्म हो गया था.
मंत्रालय ने आगे कहा कि ब्रह्मपुत्र नदी पर समझौता 2008, 2013 और 2018 में रिन्यू किया गया था, जबकि सतलुज नदी पर 2010 और 2015 में MoU को रिन्यू किया गया था. जब इन MoUs को रिन्यू न करने के कारणों के बारे में पूछा गया, तो मंत्रालय ने डिटेल शेयर करने से इनकार कर दिया और कहा कि इस बारे में आरटीआई अधिनियम, 2005 की धारा 10(1) के तहत जानकारी नहीं दी जा सकती है.
अशोक उपाध्याय