'चुनाव आयोग कर रहा नियमित संवाद, 4 महीने में 5 हजार मीटिंग्स...', CEC ज्ञानेश कुमार ने खारिज किए विपक्ष के आरोप

मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने कहा कि आयोग ने हाल ही में 5 राष्ट्रीय और 4 राज्य स्तरीय दलों से भी औपचारिक बैठकें की हैं, अगर कोई मुद्दा सामने आता है तो सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल भी चुनाव आयोग से मिलते हैं.

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मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार (फोटो- पीटीआई) मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार (फोटो- पीटीआई)

aajtak.in

  • फिरोजाबाद ,
  • 05 जुलाई 2025,
  • अपडेटेड 6:58 PM IST

मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने शनिवार को स्पष्ट किया कि आयोग सभी राजनीतिक दलों के साथ लगातार संवाद करता है. उन्होंने बताया कि बीते 4 महीनों में देशभर में 5000 बैठकें आयोजित की गई हैं, जिनमें 28 हजार से अधिक लोग शामिल थे, इनमें राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों ने भी हिस्सा लिया. फिरोजाबाद में एक निजी कार्यक्रम में शामिल होने आए मुख्य चुनाव आयुक्त ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि वोटरों के बाद राजनीतिक दल चुनाव आयोग के सबसे अहम साझेदार होते हैं.

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विपक्ष के आरोपों पर दिया जवाब

समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक जब उनसे ये पूछा गया था कि विपक्षी दल बिहार चुनाव को लेकर आयोग पर ये आरोप लगा रहे हैं कि उनकी चिंताओं को दरकिनार किया जा रहा है. इस पर सीईसी ने कहा कि चुनाव आयोग विभिन्न राजनीतिक दलों के साथ नियमित संवाद करता है. हर विधानसभा क्षेत्र में, हर जिले में और हर राज्य के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी के साथ सर्वदलीय बैठकें की गई हैं. मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने कहा कि आयोग ने हाल ही में 5 राष्ट्रीय और 4 राज्य स्तरीय दलों से भी औपचारिक बैठकें की हैं, अगर कोई मुद्दा सामने आता है तो सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल भी चुनाव आयोग से मिलते हैं.

बिहार में वोटर लिस्ट के विशेष पुनरीक्षण पर दी जानकारी

मुख्य चुनाव आयुक्त ने बिहार में विशेष गहन पुनरीक्षण (Special Intensive Revision- SIR) प्रक्रिया को लेकर भी महत्वपूर्ण जानकारी साझा की. उन्होंने कहा कि जिन मतदाताओं के नाम 1 जनवरी 2003 की मतदाता सूची में दर्ज हैं, उन्हें किसी अतिरिक्त दस्तावेज की जरूरत नहीं होगी. उनके बच्चों को भी मतदाता पहचान पत्र बनवाने के लिए माता-पिता के दस्तावेज नहीं देने होंगे.

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आयोग जल्द ही 2003 की मतदाता सूची ऑनलाइन उपलब्ध कराएगा, ताकि लगभग 4.96 करोड़ मतदाता इसका उपयोग कर सकें. बिहार में कुल लगभग 7.89 करोड़ मतदाता हैं, जिसमें से 60% पुराने मतदाता हैं, जो 2003 की सूची में शामिल थे. शेष 3 करोड़ लोगों को 11 में से कोई एक वैध दस्तावेज देना होगा, जिससे उनकी जन्मतिथि या जन्मस्थान का प्रमाण हो सके.

क्या है प्रक्रिया का उद्देश्य?

सीईसी ज्ञानेश कुमार ने दोहराया कि विशेष गहन पुनरीक्षण का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि कोई पात्र व्यक्ति सूची से छूटे नहीं और कोई अपात्र व्यक्ति शामिल न हो. उन्होंने कहा कि बिहार में आगामी विधानसभा चुनावों से पहले पारदर्शी और अपडेट वोटर लिस्ट तैयार करना चुनाव आयोग की प्राथमिकता है.

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