टाटा कंसल्टिंग इंजीनियर्स और सरकारी अधिकारियों पर CBI का शिकंजा, 800 करोड़ के प्रोजेक्ट में भ्रष्टाचार की जांच शुरू

CBI ने टाटा कंसल्टिंग इंजीनियर्स के प्रोजेक्ट डायरेक्टर, JNPT के चीफ मैनेजर सहित कई अधिकारियों के खिलाफ 800 करोड़ रुपये के कॉन्ट्रैक्ट में भ्रष्टाचार का मामला दर्ज किया है. जांच में पाया गया कि अधिकारियों ने अपने पद का दुरुपयोग किया और कॉन्ट्रैक्ट के अनुमानों को बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया. जिससे सरकार को भारी आर्थिक लाभ पहुंचा.

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टाटा कंपनी पर घोटाले का केस, सरकारी अफसर भी जांच के घेरे में (फाइल फोटो) टाटा कंपनी पर घोटाले का केस, सरकारी अफसर भी जांच के घेरे में (फाइल फोटो)

दिव्येश सिंह

  • नई दिल्ली,
  • 20 जून 2025,
  • अपडेटेड 7:54 PM IST

टाटा कंसल्टिंग इंजीनियर्स लिमिटेड (TCE) के प्रोजेक्ट डायरेक्टर, जवाहरलाल नेहरू पोर्ट ट्रस्ट (JNPT) के चीफ मैनेजर और अन्य लोगों के खिलाफ करीब 800 करोड़ रुपये के कॉन्ट्रैक्ट (ठेका) में भ्रष्टाचार को लेकर केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) ने एफआईआर दर्ज की है. 

क्या है आरोप?

CBI के अनुसार, JNPT के बंदरगाह अधिकारियों और निजी कंपनियों के अधिकारियों के बीच मिलीभगत हुई और कॉन्ट्रैक्ट के अनुमानों को बढ़ा-चढ़ाकर दिखाया गया. ऐसा करके देश में कंपटीशन को सीमित किया गया, ताकि इंटरनेशनल कंपनियों को फायदा मिल सके. स्वतंत्र विशेषज्ञों और संगठनों की रिपोर्ट को ठुकराया गया. जिससे ठेकेदार को अनुचित लाभ पहुंचाया गया.

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इन वजहों की वजह से सरकार को 2003 से 2014 के बीच परियोजना के पहले चरण में 365.90 करोड़ रुपये और 2013 से 2019 के बीच परियोजना के दूसरे चरण में 438 करोड़ रुपये का कथित तौर पर नुकसान हुआ. 

सीबीआई ने बताया कि JNPT के अधिकारियों ने अपने पदों का दुरुपयोग किया, जिससे निजी कंपनियों को भी लाभ पहुंचा. सीबीआई ने निजी कंपनियों को लाभ पहुंचाने के आरोपों की भी जांच की. 

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मामला किसके खिलाफ दर्ज हुआ?

CBI ने जेएनपीटी के चीफ मैनेजर सुनील कुमार मदाभावी, टाटा कंसल्टिंग इंजीनियर्स लिमिटेड के सीनियर जनरल मैनेजर देवदत्त बोस, टाटा कंसल्टिंग इंजीनियर्स का मुंबई मुख्यालय, बोस्कालिसस्मिट इंडिया एलएलपी, जान डे नुल ड्रेजिंग इंडिया प्राइवेट लिमिटेड, अन्य आज्ञात सरकारी और निजी अधिकारियों के खिलाफ मामला दर्ज किया है.

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सीबीआई का आरोप है कि सरकार पद का अधिकारियों ने दुरुपयोग किया ताकि कॉन्ट्रैक्ट लेने वालों को आर्थिक लाभ पहुंचाया जा सके. इससे सरकारी खजाने को भारी नुकसान हुआ.
 

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