लोकसभा चुनाव 2024 में झटके के बाद भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने राज्य दर राज्य चुनावों में शानदार वापसी की है. बिहार में NDA की प्रचंड जीत ने स्पष्ट हो गया है कि बीजेपी ने अपनी खोई हुई जमीन को वापस हासिल करने के लिए मिशन शुरू कर दिया है.
बिहार में बीजेपी ने 2024 में 68 विधानसभा क्षेत्रों में बढ़त हासिल की थी, लेकिन हाल ही में संपन्न हुए विधानसभा चुनाव में पार्टी ने 89 सीटें हासिल की हैं. यानी बीजेपी ने 21 सीटों की बढ़त हासिल की है. वहीं, जनता दल (यूनाइटेड) ने भी अपने जनाधार में सुधार किया है, जिससे साफ हो गया है कि राज्य में एनडीए की जमीनी मशीनरी काफी मजबूत बनी हुई है.
छह बड़े राज्यों में एक जैसा पैटर्न
2024 लोकसभा चुनाव के बाद जिन छह बड़े राज्यों में विधानसभा चुनाव हुए- बिहार, हरियाणा, जम्मू-कश्मीर, झारखंड, महाराष्ट्र और दिल्ली उनमें से लगभग हर जगह BJP का ग्राफ ऊपर गया है. साथ ही पार्टी की स्थिति बेहतर हुई है.
लोकसभा चुनाव में इन राज्यों की 319 विधानसभा सीटों पर बीजेपी को बढ़त थी, लेकिन अब इन्हीं राज्यों के विधानसभा चुनाव में पार्टी ने 367 सीटें जीती हैं. यानी बीजेपी को 48 सीटों का इजाफा हुआ है. इससे बीजेपी को सीधे तौर पर लोकसभा में 7 से 8 सीटें मिल सकती हैं.
इसमें महाराष्ट्र सबसे स्पष्ट उदाहरण है, जहां लोकसभा चुनाव में उसके पास 79 सीटें थी जो अब बढ़त 132 हो गई हैं. इसी तरह हरियाणा में भी बड़ा बदलाव दिखायी दिया है. दिल्ली में भी लोकसभा की बढ़त विधानसभा में बरकरार रही.
अपवाद थी 2024 की हार?
लोकसभा चुनाव के नतीजों ने भले ही बीजेपी की गति धीमी कर दी हो, लेकिन छह में से चार राज्यों में जीत दर्शाती है कि उसका जमीनी नेटवर्क अब भी मजबूत है और अब एक-एक करके उसे वापसी करने में मदद कर रहा है. कई राज्यों में विधानसभा चुनाव के नतीजों ने बीजेपी को आम चुनावों के दौरान विधानसभाओं में मिली बढ़त से ज़्यादा सीटें दी हैं, जिससे पता चलता है कि 2024 की हार एक अपवाद हो सकती है, न कि किसी ट्रेड की शुरुआत.
कांग्रेस को सबसे बड़ा नुकसान
लोकसभा में वापसी के बाद कांग्रेस को विधानसभा चुनाव में लगातार नुकसान हुआ है. कांग्रेस के जनाधार में सबसे ज्यादा गिरावट महाराष्ट्र में दिखी गई है, जहां पार्टी 63 क्षेत्रों में बढ़त से गिरकर मात्र 16 पर आ गई. बिहार में ये आंकड़ा 12 से घटकर छह हो गया. इसी तरह हरियाणा में, जहां पार्टी को अपनी बढ़त को जीत में बदलने की उम्मीद थी, वहां सीटों की संख्या 42 से घटकर 37 पर आ गई. यहां तक कि दिल्ली में कांग्रेस को कोई राहत नहीं मिली.
क्षेत्रीय दलों ने मजबूत की पकड़
क्षेत्रीय दल राज्य चुनावों में लगातार अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं. उदाहरण के लिए, झारखंड मुक्ति मोर्चा ने 14 विधानसभा क्षेत्रों में अपनी बढ़त से बढ़कर 34 विधानसभा सीटों पर जीत हासिल की है. महाराष्ट्र में अजित पावर की राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी छह से बढ़कर 41 पर पहुंच गई. ये बढ़त गहरे स्थानीय नेटवर्क और मतदाता आधार को दर्शाती है जो राष्ट्रीय राजनीतिक बदलावों से अप्रभावित रहते हैं.
पीयूष अग्रवाल