संविधान दिवस पर राष्ट्रपति मुर्मू ने किया 9 भाषाओं में संविधान के अनुवाद का लोकार्पण

76वें संविधान दिवस के मौके संविधान सदन के सेंट्रल हॉल में आयोजित विशेष कार्यक्रम में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने संविधान का नौ भाषाओं में अनुवादित संस्करण जारी किया. कार्यक्रम में संविधान के महत्व, सामाजिक न्याय, आर्थिक सुधार और राजनीतिक एकीकरण पर जोर दिया गया.

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76वें संविधान दिवस पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करती राष्ट्रपति. (photo: X @rashtrapatibhvn ) 76वें संविधान दिवस पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करती राष्ट्रपति. (photo: X @rashtrapatibhvn )

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 26 नवंबर 2025,
  • अपडेटेड 12:35 PM IST

देश आज 76वां संविधान दिवस मना रहा है. इस मौके पर संविधान सदन के सेंट्रल हॉल में खास कार्यक्रम आयोजित किया गया है. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की अध्यक्षता में ये कार्यक्रम हो रहा है. सुबह 11 बजे से आयोजित कार्यक्रम में उपराष्ट्रपति और पीएम नरेंद्र मोदी, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, तमाम केंद्रीय मंत्री समेत राज्यसभा LoP मल्लिकार्जुन खड़गे, लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी और दोनों सदनों के सांसद शिरकत की. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू प्रस्तावना पढ़कर इस कार्यक्रम की अगुवाई करेंगी. इस मौके पर राष्ट्रपति ने मलयालम, मराठी, नेपाली, पंजाबी, बोडो, कश्मीरी, तेलुगु, ओडिया और असमिया सहित नौ भाषाओं में संविधान का अनुवादित संस्करण जारी किया.

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संविधान दिवस पर सेंट्रल हॉल में आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा, 'आज के दिन 26 नवंबर 1949 में संविधान सभा के सदस्यों ने भारत संविधान के निर्माण का कार्य संपन्न किया था. आज के दिन उस पर हम भारत के लोगों ने अपने संविधान को अपनाया था. स्वाधीनता के बाद संविधान सभा ने भारत की अंतरिम संसद के रूप में भी कर्तव्य का निर्वाहन किया. बाबा साहब डॉ भीमराव अंबेडकर हमारे संविधान के प्रमुख निर्माता में से थे. बाबा साहब के 125 वीं जयंती के वर्ष में यानी 26 नवंबर 2015 में प्रतिवर्ष संविधान दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया... ये निर्णय अत्यंत सार्थक निर्णय लिया गया...'

'सामाजिक न्याय की दिशा में उठाए ऐतिहासिक कदम'

उन्होंने कहा कि तीन तलाक से जुड़ी सामाजिक बुराई पर अंकुश लगाकर, संसद ने हमारी बहनों और बेटियों के सशक्तिकरण और सामाजिक न्याय की दिशा में ऐतिहासिक कदम उठाए. आजादी के बाद का सबसे बड़ा कर सुधार, वस्तु एवं सेवा कर, देश के आर्थिक एकीकरण को बढ़ावा देने के लिए लागू किया गया. अनुच्छेद 370 के निरसन ने देश के समग्र राजनीतिक एकीकरण में बाधा बन रही एक बाधा को दूर कर दिया. नारी शक्ति बंधन अधिनियम महिलाओं के नेतृत्व वाले विकास के एक नए युग की शुरुआत करेगा... इस वर्ष, 7 नवंबर से, हमारे राष्ट्रगान, वंदे मातरम की रचना के 150 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में एक राष्ट्रव्यापी स्मरणोत्सव आयोजित किया जा रहा है...'

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'हमारा संंविधान समझ और अनुभव से बना'

संविधान दिवस पर उपराष्ट्रपति सीपी राधाकृष्णन ने कहा, 'हमारे संविधान का ड्राफ्ट, बहस और उसे भारत माता के हमारे महान नेताओं ने संविधान सभा में अपनाया. ये आज़ादी के लिए लड़ने वाले हमारे लाखों देशवासियों की मिली-जुली समझ, त्याग और सपनों को दिखाता है. महान विद्वानों, ड्राफ्टिंग कमेटी और संविधान सभा के सदस्यों ने करोड़ों भारतीयों की उम्मीदों और आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए गहरी सोच दी. उनके बिना किसी स्वार्थ के योगदान ने भारत को आज दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र बनाया है. हमारा संविधान समझ और अनुभव, त्याग, उम्मीदों और आकांक्षाओं से बना है. हमारे संविधान की आत्मा ने साबित कर दिया है कि भारत एक है और हमेशा एक रहेगा...'

स्पीकर ने संविधान सभा को किया याद

अपने संबोधन में लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने संविधान सभा को याद किया और राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और अतिथियों का स्वागत किया. उन्होंने कहा, संविधान सभा का केंद्रीय कक्ष वह स्थान है, जहां संवाद और विचार मंथन के बाद संविधान को आकार दिया गया. जनता की आकांक्षाओं को ध्यान में रखा गया.

लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा, 'सभी देशवासियों को बधाई और शुभकामनाएं. इस पावन अवसर पर आज भारत विधानसभा के अध्यक्ष डॉ राजेंद्र प्रसाद, हमारे संविधान के शिल्पकार बाबा साहब डॉ भीमराव अंबेडकर जी और संविधान सभा के सभी मान्य सदस्यों को आदरपूर्वक नमन करते हैं. उनके अद्भुत ज्ञान, वेग, दूरदृष्टि और अथक परिश्रम से ऐसा महान संविधान मिला है जो हमें न्याय, समानता, हर नागरिक के सम्मान और गरिमा की गारंटी देता है. इस अवसर पर पधारे हमारे राष्ट्रपति महोदया जी, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, राज्यसभा में सदन के नेता, संसदीय कार्य मंत्री, राज्यसभा में सदन के प्रतिपक्ष नेता, लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष...सभी दल के नेतागण, सदस्यगण अतिथियों आप सभी का इस ऐतिहासिक संविधान सदन में हार्दिक स्वागत अभिनंदन.'

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PM मोदी ने देशवासियों को लिख पत्र

वहीं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संविधान दिवस के अवसर पर देशवासियों को पत्र लिखा है. उन्होंने 1949 में संविधान के ऐतिहासिक अंगीकरण को याद करते हुए इसकी राष्ट्र की प्रगति में मार्गदर्शक भूमिका को रेखांकित किया.

प्रधानमंत्री ने कहा कि साल 2015 में सरकार ने 26 नवंबर को संविधान दिवस घोषित किया था, जिससे इस पवित्र दस्तावेज का सम्मान किया जा सके.

प्रधानमंत्री ने लिखा कि कैसे संविधान ने सामान्य पृष्ठभूमि के लोगों को देश की सर्वोच्च सेवाओं में योगदान करने का सामर्थ्य दिया है. उन्होंने स्वयं संसद और संविधान के प्रति श्रद्धा के अपने अनुभव साझा किए- 2014 में संसद की सीढ़ियों पर नमन करना और 2019 में संविधान को अपने माथे पर रखना, ये सब उनकी श्रद्धा का प्रतीक रहा. प्रधानमंत्री ने कहा कि संविधान ने अनगिनत नागरिकों को सपने देखने और उन्हें साकार करने की शक्ति दी है. प्रधानमंत्री ने संविधान सभा के सदस्यों को श्रद्धांजलि अर्पित की, विशेष रूप से डॉ. राजेंद्र प्रसाद, डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर जैसे महान व्यक्तित्वों व कई विशिष्ट महिला सदस्यों को याद किया, जिनकी दृष्टि से संविधान समृद्ध हुआ.

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