एक व्यक्ति ने अपने पिता द्वारा उन्हें जगाने के अनोखे तरीके का वर्णन किया। उनके पिता हिंसा या सीधे उठाने के बजाय कमरे में आकर या बाहर से गुजरते हुए चौपाई बोलते थे। वे अक्सर 'प्रातःकाल उठ के रघु नाथा, मात पिता गुरु ना भाई माता' जैसी चौपाई का उच्चारण करते थे। यह परंपरा प्यार और सम्मान पर आधारित थी।