'गुरूर छोड़िए, फडणवीस के जरिए सुलह कर लीजिए,' शिवसेना के 4 सांसदों की उद्धव को सलाह!

Maharashtra Politics: बगावत के समय एकनाथ शिंदे ने कई बार कहा था कि वह असली शिवसेना का नेतृत्व कर रहे हैं, लेकिन फिलहाल ये लड़ाई किसी कानूनी मोड़ पर नहीं पहुंची है. शिवसेना सांसदों को चिंता है कि इस लड़ाई का असर आगामी बीएमसी चुनाव पर भी पड़ सकता है.

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देवेंद्र फडणवीस/उद्धव ठाकरे देवेंद्र फडणवीस/उद्धव ठाकरे

साहिल जोशी

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  • 03 जुलाई 2022,
  • अपडेटेड 6:36 AM IST
  • शिवसेना की कमान किसे मिलेगी, फिलहाल सस्पेंस बरकरार
  • आने वाले बीएमसी चुनावों को देखते हुए सांसदों ने दी सलाह

Maharashtra Politics: महाराष्ट्र के नए मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने उद्धव ठाकरे का साथ छोड़कर बीजेपी के साथ सरकार बनाने में सफलता तो हासिल कर ली है, लेकिन अब नई बहस इस बात को लेकर शुरू हो गई है कि शिवसेना की कमान और सिंबल किसके पास रहेगा.

वैसे तो सीएम एकनाथ शिंदे गुवाहाटी में बगावत के दौरान कई बार कह चुके हैं कि वह असली शिवसेना को लीड कर रहे हैं, लेकिन फिलहाल ये लड़ाई किसी कानूनी मोड़ पर नहीं पहुंची है. इस बीच सूत्रों के हवाले से जानकारी मिल रही है कि उद्धव का साथ चुनने वाले सांसदों को अब पार्टी के अस्तित्व और सिंबल की चिंता सताने लगी है.

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फडणवीस के जरिए आगे बढ़ने की सलाह

सूत्रों की मानें तो शिवसेना (उद्धव ठाकरे गुट) के 4 सांसदों ने उद्धव से अपना अभिमान छोड़कर शिंदे के साथ सुलह करने की सलाह दी है. उन्होंने कहा है कि सुलह की पूरी प्रक्रिया डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस के जरिए आगे बढ़ाई जा सकती है. 

उद्धव गुट को BMC चुनावों की चिंता

दरअसल, जल्द ही मुंबई में बीएमसी के चुनाव होने वाले हैं. ऐसे में शिवसेना के दोनों गुट एक ही चुनाव चिन्ह के साथ मैदान में उतर सकते हैं. अगर ऐसा होता है तो मामला कोर्ट में चला जाएगा और अदालत में किसी एक गुट को मुंह की खानी पड़ेगी.

सहमति बनने में लग सकता है समय

बातचीत की वकालत करने वाल शिवसेना के सांसदों का मानना है कि सुलह करने में ही दोनों पक्षों की भलाई होगी. उद्धव के लिए सुलह के रास्ते को कुछ इस तरह देखा जाएगा कि शिवसेना के ब्रांड को बचाने के लिए वे आगे आए हैं. वहीं, शिंदे भविष्य में संभावित निगेटिव कानूनी परिणाम के खतरे से बच सकते हैं. हालांकि सूत्रों की मानें तो इस पर उद्धव और शिंदे क्या रुख दिखाते हैं. यह अभी स्पष्ट नहीं है. अगर इस फैसले पर सहमति बनती भी है तो समय लग सकता है.

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क्यों सामने आई सुलह की बात?

दरअसल, देवेंद्र फडणवीस ने कल विधायकों को संबोधित करते हुए कहा था कि हम थोड़ी देर के लिए अलग हो गए, लेकिन ऐसा लगता है कि हम वापस साथ आ गए हैं. हिंदुत्व के वोटों का बंटवारा नहीं होना चाहिए. दोनों के साथ आने के कयास इसलिए भी लगाए जा रहे हैं क्योंकि 2018 में भी शिवसेना ने एक प्रस्ताव पारित किया था कि वे 2019 का चुनाव अकेले लड़ेंगे, लेकिन इसके बावजूद दोनों दलों ने आखिरकार लोकसभा और विधानसभा चुनाव के लिए गठबंधन कर लिया था.

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