राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरद पवार गुट) ने बुधवार को मुंबई में अपनी राज्य कार्यकारिणी की अहम बैठक आयोजित की. यह बैठक ऐसे समय में हुई जब शरद पवार और अजीत पवार गुटों के संभावित विलय को लेकर अटकलें तेज हैं. बैठक की अध्यक्षता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष जयंत पाटिल और विधायक दल के नेता जितेंद्र आव्हाड ने की. इसमें राज्य के सभी जिलों से पदाधिकारियों ने हिस्सा लिया, जिससे पार्टी के भीतर एकता का संदेश गया.
विलय पर बोले सिर्फ पवार
सूत्रों के अनुसार बैठक में कई रणनीतिक मुद्दों पर चर्चा हुई, जिनमें अजीत पवार के नेतृत्व वाले गुट के साथ संभावित विलय पर भी काफी चर्चा हुई. हालांकि, नेतृत्व ने स्पष्ट किया कि इस मुद्दे पर अंतिम निर्णय और वक्तव्य सिर्फ शरद पवार ही देंगे. कहा गया कि “इस विषय पर किसी और को बोलने का अधिकार नहीं है.” इसमें पवार की केंद्रीय भूमिका और नेतृत्व की स्थिति को रेखांकित किया गया.
यह भी पढ़ें: 'अगर दोनों गुट एक साथ आते हैं, तो मुझे आश्चर्य नहीं होगा...', NCP के गठजोड़ पर बोले शरद पवार
स्थानीय निकाय चुनावों में स्थानीय इकाइयों को मिली छूट
बैठक का एक अहम निर्णय यह रहा कि आगामी स्थानीय निकाय चुनावों में गठबंधन के फैसले अब पार्टी की स्थानीय इकाइयां लेंगी. यह निर्णय दर्शाता है कि पार्टी अब क्षेत्रीय परिस्थितियों के अनुसार गठबंधन की रणनीति अपनाना चाहती है. सूत्रों के अनुसार, “केंद्रीय नेतृत्व की ओर से कोई एकतरफा आदेश नहीं होगा.”
जातिगत जनगणना पर पार्टी का स्पष्ट रुख
बैठक में जातिगत जनगणना को लेकर भी विस्तृत चर्चा हुई. पार्टी नेतृत्व ने स्पष्ट किया कि वह एक व्यापक जातिगत जनगणना की मांग का पुरजोर समर्थन करता है. यह सामाजिक न्याय और प्रतिनिधित्व की समानता के एजेंडे के अनुरूप है, जिससे पार्टी जनता के बीच अपनी वैचारिक प्रतिबद्धता को मजबूत करना चाहती है.
‘अर्बन नक्सल बिल’ पर कड़ा रुख
विवादित 'अर्बन नक्सल बिल' पर भी चर्चा हुई, जिसे महाराष्ट्र की राजनीति में एक संभावित विस्फोटक मुद्दा माना जा रहा है. पार्टी ने इस बिल के प्रभावों से निपटने के लिए एक ठोस रणनीति तैयार करने का संकल्प लिया. इस मुद्दे पर पार्टी विपक्ष की भूमिका में खुद को मजबूत तरीके से प्रस्तुत करना चाहती है.
यह भी पढ़ें: 'सरकार के कदम ने संतुष्ट किया...', पहलगाम हमले पर शरद पवार ने खुलकर की शाह और राजनाथ की तारीफ
रणनीति और सिद्धांत का संतुलन
बैठक के माध्यम से NCP (SP) ने यह स्पष्ट कर दिया कि वह सिर्फ तात्कालिक चुनावी रणनीति पर ही नहीं, बल्कि अपने दीर्घकालिक वैचारिक उद्देश्यों पर भी ध्यान केंद्रित कर रही है. स्थानीय इकाइयों को सशक्त करना, सामाजिक न्याय की दिशा में जातिगत जनगणना की वकालत और राजनीतिक रूप से संवेदनशील कानूनों पर मुखर होना, पार्टी की नई दिशा को दर्शाता है.
ऐसे में अब सबकी निगाहें शरद पवार के अगले कदम पर हैं. यह तय करना उन्हीं के हाथ में है कि पार्टी का भविष्य किस दिशा में जाएगा.
ऋत्विक भालेकर