बॉम्बे हाईकोर्ट (Bombay High Court) ने कहा कि समीर वानखेड़े (Sameer Wankhede) सरकारी पद पर हैं और कोई भी उनके कामों की जांच कर सकता है. हाईकोर्ट ने ये बात वानखेड़े के पिता की ओर से महाराष्ट्र के मंत्री और एनसीपी नेता नवाब मलिक (Nawab Malik) के खिलाफ दायर मानहानि के मामले (Defamation Case) में सुनवाई करते हुए है.
वानखेड़े के पिता ध्यानदेव वानखेड़े (Dnyandev Wankhede) ने हाईकोर्ट में नवाब मलिक के खिलाफ मानहानि का केस दायर किया है और 1.25 करोड़ रुपये के मुआवजे की मांग की है. पिता ने नवाब मलिक पर उनके परिवार को अपमानित करने का आरोप लगाया है. मुंबई क्रूज ड्रग्स केस सामने आने के बाद नवाब मलिक की ओर से समीर वानखेड़े और उनके परिवार पर कई तरह के आरोप लगाए गए हैं. मलिक ने आरोप लगाया है कि उन्होंने फर्जी सर्टिफिकेट के जरिए सरकारी नौकरी हासिल की.
सुनवाई के दौरान, ध्यानदेव वानखेड़े की ओर से पेश हुए वकील अरशद शेख ने कहा कि समीर को कोर्ट की बजाय ऐसे व्यक्ति को सफाई क्यों देनी चाहिए जो सिर्फ एक विधायक है. इस पर जस्टिस माधवा जामदार ने कहा, 'आप सरकारी अफसर हैं. जो ट्वीट किए गए हैं, उसे गलत साबित करने के लिए आपको सबूत देना होगा. आपका बेटा एक सरकारी अफसर है और सरकार में बैठा कोई भी व्यक्ति उन्हें एग्जामिन कर सकता है.'
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दूसरी ओर, कोर्ट ने नवाब मलिक के वकील अतुल दामले से कहा, 'कोई भी दस्तावेज जारी करने से पहले क्या ये आपकी ड्यूटी नहीं बनती कि उसे वेरिफाई करें? क्या एक जिम्मेदार नागरिक और राष्ट्रीय पार्टी के प्रवक्ता होने के नाते आपने उन दस्तावेजों की सत्यता जांची थी?'
वानखेड़े के वकील ने मलिक के आरोपों को झूठा साबित करने के लिए अपना जवाब दाखिल करने के लिए समय मांगा. कोर्ट ने उन्हें शुक्रवार तक अपना जवाब दाखिल करने का वक्त दिया है. इसके साथ ही कोर्ट नवाब मलिक के वकील से भी एक एफिडेविट दाखिल करने को कहा है जिसमें उन्हें बताना है कि दस्तावेजों की सत्यता जांच की गई थी या नहीं?
इस मामले में अब बॉम्बे हाईकोर्ट में 12 नवंबर को सुनवाई होगी.
विद्या