साल 2008 के मालेगांव ब्लास्ट केस में मुंबई की एनआईए अदालत ने गुरुवार को फैसला सुनाते हुए पूर्व सांसद साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर और लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित समेत सभी सात आरोपियों को बरी कर दिया. कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा कि आरोपों को साबित करने के लिए जरूरी सबूतों की कमी है और इस वजह से किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंचा जा सकता.
कर्नल पुरोहित के खिलाफ सबूत नहीं
कोर्ट ने कहा कि धमाके में इस्तेमाल की गई बाइक का प्रज्ञा ठाकुर से लिंक साबित नहीं हो सका. साथ ही RDX मुहैया कराने और बम बनाने में कर्नल पुरोहित के खिलाफ सबूत नहीं मिले. अपने फैसले में कोर्ट ने कहा कि साजिश को साबित करने के लिए भी सबूत नहीं थे, धमाके की फंडिंग को लेकर भी कोई बात पुष्ट नहीं हो पाई है.
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एनआईए कोर्ट से बरी होने के बाद उन्होंने कहा, 'मैं एक सैनिक हूं जो इस देश से बिना शर्त प्यार करता हूं. देश हमेशा सर्वोच्च है, इसकी नींव मज़बूत होनी चाहिए.' कर्नल पुरोहित ने भावुक होकर अदालत को संबोधित करते हुए अपनी आपबीती सुनाई और कहा, 'मैं मानसिक रूप से बीमार लोगों का शिकार हूं.' उन्होंने आगे कहा कि कुछ लोगों ने अपनी ताकत का दुरुपयोग किया, हमें इसे सहना पड़ा और अपनी बात का समापन मजबूती से 'जय हिंद' कहकर किया.
कर्नल पुरोहित ने आगे कहा कि देश के प्रति और न्याय व्यवस्था के प्रति आभारी हूं. उन्होंने कहा कि पूरे केस के दौरान सेना मेरे साथ खड़ी रही और मेरे मन में अपनी फोर्स के लिए बहुत सम्मान है. बीते बातों को भुलाकर अब मैं आगे देश की सेवा करने के लिए तैयार हूं. लेकिन अब सवाल यह कि क्या कर्नल पुरोहित फिर से सेना में एक्टिव तौर पर काम करेंगे.
सेना में प्रमोशन के मौके गंवाए
कर्नल पुरोहित का मामला 17 साल तक चला. कोर्ट से जमानत मिलने के बाद उन्हें एक्टिव सर्विस सेवा में वापस तो लिया गया, लेकिन उन्होंने प्रमोशन के सारे मौके गंवा दिए. मालेगांव का मामला कोर्ट में चलने के दौरान मुंबई या आस-पास के क्षेत्रों में ही कर्नल पुरोहित को तैनाती दी गई.
उनके कुछ सहकर्मी प्रमोशन पाकर सेना में ब्रिगेडियर और यूनिट हेड के लेवल तक पहुंच गए, लेकिन वह इतने साल तक लेफ्टिनेंट कर्नल की पोस्ट पर ही रहे. मामला विचाराधीन रहने के दौरान उनका फिजिकल और मेंटल चेकअप लगातार होता रहा, ताकि उनकी हेल्थ का पता लगाया जाए सके.
'उम्र 53 लेकिन दिल से 21 साल के'
अब मालेगांव केस में फैसला आने के के बाद कर्नल पुरोहित की पत्नी अपर्णा ने कहा कि इतने सालों की सारी मेहनत रंग लाई है. अब मैं जहां भी उनकी पोस्टिंग हो, वहां जीवन को आगे बढ़ाने के लिए तैयार हूं. कर्नल पुरोहित अब 53 साल के हो चुके हैं, लेकिन अदालत में उनकी मदद कर रहे सेना के अधिकारियों ने कहा, 'दिल से वह 21 साल के हैं.'
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सूत्रों के मुताबिक सेना अब मालेगांव ब्लास्ट केस में अदालत के फैसले का मूल्यांकन करेगी और कर्नल पुरोहित की आगे की सर्विस अदालत के फैसले के आधार पर तय की जाएगी.
एनआईए अफसरों ने किया प्रताड़ित
बीते साल अपने वकील के जरिए कर्नल पुरोहित ने एनआईए की विशेष अदालत को बताया था कि मुंबई एटीएस के अधिकारियों ने उन्हें प्रताड़ित किया और उनका दाहिना घुटना तोड़ दिया था. पुरोहित ने अपने बयान में कहा है कि अफसर अवैध रूप से उनसे पूछताछ कर रहे थे और RSS-विश्व हिंदू परिषद के वरिष्ठ सदस्यों समेत गोरखपुर के तत्कालीन सांसद योगी आदित्यनाथ का नाम लेने का दबाव डाल रहे थे.
कर्नल पुरोहित ने दावा किया कि उन्हें 29 अक्टूबर 2008 को गिरफ्तार किया गया था, हालांकि एटीएस ने रिकॉर्ड में उनकी गिरफ्तारी नहीं दिखाई थी. कर्नल पुरोहित ने कहा कि मुंबई में उनकी गिरफ्तारी के बाद उन्हें खंडाला में एक बंगले में ले जाया गया, जहां तत्कालीन एटीएस प्रमुख दिवंगत हेमंत करकरे और परम बीर सिंह (एटीएस के तत्कालीन जॉइंट कमिश्नर) सहित कई अधिकारी उनसे पूछताछ कर रहे थे.
रिटायर्ड मेजर संग साजिश के आरोप
कर्नल पुरोहित पर धमाके के लिए विस्फोटक मुहैया कराने का आरोप था. साथ ही उनपर 'अभिनव भारत' को फंड देने और संगठन से जुड़े लोगों को ट्रेनिंग देने के आरोप भी लगे. नौ साल जेल में रहने के बादसाल 2017 में सुप्रीम कोर्ट से कर्नल पुरोहित को जमानत मिली थी. पुरोहित पर आर्मी से रिटायर्ड मेजर रमेश उपाध्याय के साथ मिलकर मालेगांव धमाके की साजिश रचने का भी आरोप था. अभिनव भारत संगठन के फाउंडर उपाध्याय भी ब्लास्ट केस में बरी हुए हैं.
विद्या