दक्षिण मुंबई के एक 60 वर्षीय व्यवसायी को साइबर जालसाज़ों ने रात भर 'डिजिटल गिरफ़्तारी' में रखा. फिर 53 लाख रुपये ठग लिए. इस बात की जानकारी एक पुलिस अधिकारी ने एक न्यूज एजेंसी को दी.
एक अधिकारी ने बताया कि जालसाज़ों ने व्यवसायी पर धन शोधन के एक मामले में शामिल होने का आरोप लगाया और उसे पूरी रात वीडियो कॉल पर रहने के लिए मजबूर किया. उन्होंने कहा कि अगले दिन अदालत में उसकी ऑनलाइन ज़मानत पर सुनवाई है. इसके अलावा उसे सुप्रीम कोर्ट का एक फ़र्ज़ी नोटिस भी जारी किया.
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पुलिस के अनुसार, अग्रीपाड़ा निवासी पीड़ित को 2 नवंबर को एक अज्ञात नंबर से कॉल आया और कॉल करने वाले ने खुद को भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) का अधिकारी राजीव सिन्हा बताते हुए दो घंटे में दिल्ली पुलिस के सामने पेश होने को कहा.
जब पीड़ित ने दिल्ली पहुंचने में असमर्थता जताई, तो कॉल करने वाले ने दिल्ली में उनके खिलाफ दर्ज एक अपराध के बारे में बताया और कहा कि पुलिस उन्हें फोन करेगी. अधिकारी ने बताया कि इसके बाद व्यवसायी को एक व्यक्ति का वीडियो कॉल आया जिसने खुद को दिल्ली पुलिस का अधिकारी विजय खन्ना बताया.
उसने पीड़ित को बताया कि उसका नाम मनी लॉन्ड्रिंग के एक मामले में सामने आया है और उसके आधार कार्ड का इस्तेमाल दिल्ली के दरियागंज स्थित एक राष्ट्रीयकृत बैंक में बैंक खाता खोलने के लिए किया गया है. धोखेबाजों ने पीड़ित को घंटों तक परेशान रखा और कॉल को वरिष्ठ अधिकारी बनकर दूसरे लोगों को ट्रांसफर कर दिया, जिन्होंने उसे "भ्रष्टाचार निरोधक शाखा", "निरीक्षण विभाग" और "प्रवर्तन निदेशक" के लेटरहेड पर जारी नोटिस दिखाए.
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यह कॉल रात भर चलती रही और पीड़ित से उसकी चल-अचल संपत्तियों और बचत के बारे में पूछताछ की गई. अधिकारी ने बताया कि धोखेबाजों ने पीड़ित को बताया कि उसे गिरफ्तार कर लिया गया है और अगले दिन उसकी ऑनलाइन ज़मानत सुनवाई तक उसे अपने कमरे में ही रहना होगा.
व्यवसायी को ऐसे हुआ ठगी का अहसास
अगले दिन, "ऑनलाइन सुनवाई" के दौरान अदालत ने उसे ज़मानत देने से इनकार कर दिया और आदेश दिया कि उसके सभी बैंक खाते फ्रीज कर दिए जाएं और पैसा राष्ट्रीयकृत बैंकों में ट्रांसफर कर दिया जाए. पुलिस ने बताया कि धोखेबाजों में से एक ने पीड़ित को सुप्रीम कोर्ट के नाम से एक फ़र्ज़ी नोटिस और एक बैंक खाते का विवरण भेजा, जिसमें पीड़ित को 53 लाख रुपये जमा करने के लिए मजबूर किया गया था.
कुछ देर बाद जब कॉल करने वाले ने और पैसे मांगे, तो पीड़ित को एहसास हुआ कि उसके साथ धोखाधड़ी हुई है. वह शौचालय जाने के बहाने कमरे से बाहर निकलने में कामयाब रहा और पुलिस हेल्पलाइन 1930 पर कॉल करके उन्हें डिजिटल गिरफ्तारी की सूचना दी. अधिकारी ने बताया कि उसने मध्य क्षेत्र साइबर पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई, जिसके बाद मामला दर्ज कर लिया गया है और जांच जारी है.
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