महाराष्ट्र: 12 साल के बच्चे का अपहरण और हत्या करने वाले 2 आरोपियों को बॉम्बे HC से मिली जमानत

अभियोजन पक्ष ने जमानत याचिका का विरोध करते हुए कहा कि आरोपी अपराध में समान रूप से शामिल थे और एक जघन्य कृत्य किया गया था, जिसकी वजह से 12 साल के लड़के मौत हो गई. इसलिए इस अपराध के लिए माफी नहीं दी जा सकती है.

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बॉम्बे हाईकोर्ट (फाइल फोटो) बॉम्बे हाईकोर्ट (फाइल फोटो)

विद्या

  • मुंबई,
  • 23 अप्रैल 2025,
  • अपडेटेड 6:21 AM IST

बॉम्बे हाई कोर्ट ने ठाणे के दो लोगों को जमानत दे दी है, जिन्होंने अपने एक दोस्त की मदद से 12 साल के पड़ोसी लड़के का अपहरण कर उसकी हत्या कर दी थी, क्योंकि लड़का उनके दोस्त को नपुंसक कहता था. कोर्ट ने पाया कि अभियोजन पक्ष के पास दोनों को अपराध से जोड़ने का कोई मकसद नहीं था.

यह मामला ठाणे जिले के कुलगांव पुलिस स्टेशन में दर्ज किया गया था, जिसमें पिछले साल 24 मार्च को 12 साल के लड़के के अपहरण और हत्या के आरोप में पुलिस ने तीन लोगों को गिरफ्तार किया था. आरोपी सलमान मौलवी, सफुआन मौलवी और अब्दुल मौलवी, सभी 20 साल के थे और पीड़ित इबाद बुबेरे के बगल में रहते थे.

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क्या है पूरा मामला?

इबाद ने कथित तौर पर परिवार के कुछ बुजुर्गों से सफुआन के बारे में बातें सुनी थीं और इसलिए वह उसके बारे में यौन रूप से आपत्तिजनक टिप्पणी करता था. सफुआन ने इबाद को सबक सिखाने का फैसला किया और अपने दो दोस्तों के साथ मिलकर उसे अगवा करने और उसकी हत्या करने की योजना बनाई. अपहरण के तुरंत बाद, बच्चे का मुंह बंद कर दिया गया और गला घोंटकर उसकी हत्या कर दी गई. इसके बाद शव को एक बोरे में भरकर उसके घर के पीछे रख दिया गया. 

हालांकि, तीनों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया और तब से वे सलाखों के पीछे हैं. उन्हें गिरफ्तार करने के बाद, पुलिस को पता चला कि आरोपी कुछ महीनों से हत्या की योजना बना रहा था और उसने इबाद के माता-पिता को फिरौती के लिए कॉल करने के लिए कई नकली सिम कार्ड लिए थे.

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सलमान और अब्दुल की जमानत याचिका पर अधिवक्ता एआर बुखारी और अशोक मुंदरगी ने दलील दी कि अभियोजन पक्ष ने खुद कहा है कि दोनों ने अपराध करने में मुख्य आरोपी सफुआन की मदद की थी.

यह भी पढ़ें: 14 साल के लड़के का किया था यौन उत्पीड़न! नाबालिग आरोपियों को बॉम्बे हाई कोर्ट से मिल गई जमानत

चश्मदीद ने क्या बताया था?

गवाहों के बयान एक आइसक्रीम विक्रेता और एक वड़ा पाव विक्रेता के थे, जिन्होंने देखा था कि रमजान के दौरान नमाज़ पढ़ रहे लोगों की भीड़ से सफुआन लड़के को दूर ले जा रहा था, जिसके बाद वह गायब हो गया और अन्य दो आरोपी उनका पीछा करने लगे.

अभियोजन पक्ष ने जमानत याचिका का विरोध करते हुए कहा कि आरोपी अपराध में समान रूप से संलिप्त थे और एक जघन्य कृत्य किया गया था, जिसकी वजह से 12 साल के लड़के मौत हो गई. इसलिए इस अपराध के लिए माफी नहीं दी जा सकती है.

लड़के के परिवार की तरफ से पेश वकील फिरोज उस्मान ने भी जमानत याचिकाओं का विरोध किया और कहा कि घटना के दो महीने बाद तक गांव का कोई भी बच्चा डर की वजह से अपने घरों से बाहर नहीं निकला और आरोपी को जमानत पर रिहा करने से कानून-व्यवस्था की समस्या भी पैदा होगी.

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बेंच ने दोनों आरोपियों को जमानत दे दी, लेकिन वकील उस्मान द्वारा जताई गई आशंका से निपटने के लिए कोर्ट ने निर्देश दिया कि आरोपी जांच अधिकारी के समक्ष उपस्थिति दर्ज कराने और अदालती कार्यवाही में शामिल होने के अलावा मुकदमे की सुनवाई पूरी होने तक ठाणे के कुलगांव के इलाके में प्रवेश नहीं करेंगे.
 

 
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