उद्धव-राज ठाकरे के साथ आने की सुगबुगाहट तेज... सुप्रिया सुले बोलीं- जितने साथी आएं, उतनी मजबूत होगी अघाड़ी

शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे ने कहा था, महाराष्ट्र के लोगों के दिल में जो है, वही होगा. हमारे और हमारे शिवसैनिकों के दिल में कोई भ्रम नहीं है. उनके (मनसे) कार्यकर्ताओं में भी कोई भ्रम नहीं है. वे एक-दूसरे के संपर्क में हैं. हम संदेश नहीं भेजेंगे. हम सीधे समाचार पहुंचाएंगे.

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उद्धव और राज ठाकरे की पार्टी के बीच अलायंस की खबरों पर सुप्रिया सुले ने प्रतिक्रिया दी. उद्धव और राज ठाकरे की पार्टी के बीच अलायंस की खबरों पर सुप्रिया सुले ने प्रतिक्रिया दी.

aajtak.in

  • मुंबई,
  • 07 जून 2025,
  • अपडेटेड 11:34 AM IST

महाराष्ट्र के राजनीतिक गलियारे में एक बार फिर उद्धव और राज ठाकरे की पार्टियों के बीच अलायंस की खबरें हैं. इस बीच, शरद पवार की बेटी और NCP (SP) सांसद सुप्रिया सुले की प्रतिक्रिया आई है. सुले ने कहा, लोकतंत्र में सभी को अधिकार है कि किसे-किसके साथ जाना है... जितने पार्टनर आएंगे तो अच्छा है महाविकास अघाड़ी के लिए. एक साथ मिलकर महाराष्ट्र के लिए काम करेंगे. ताकत बढ़ेगी. अच्छी बात है कि अगर दोनों भाई साथ आ रहे हैं तो... हमें राज ठाकरे के आने से कोई दिक्कत नहीं है.

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इससे पहले शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे ने कहा था, महाराष्ट्र के लोगों के दिल में जो है, वही होगा. हमारे और हमारे शिवसैनिकों के दिल में कोई भ्रम नहीं है. उनके (मनसे) कार्यकर्ताओं में भी कोई भ्रम नहीं है. दरअसल, उद्धव से चचेरे भाई राज ठाकरे की पार्टी के बीच अलायंस की संभावना के बारे में सवाल किया गया था. ठाकरे भाइयों द्वारा हाल में दिए गए बयानों के बाद नगर निगम चुनाव से पहले दोनों के बीच संभावित गठबंधन की अटकलें तेज हो गई हैं.

उद्धव ने क्या कहा...

उद्धव ने कहा, वे एक-दूसरे के संपर्क में हैं. हम संदेश नहीं भेजेंगे. हम सीधे समाचार पहुंचाएंगे. उद्धव ने यह बात तब कही, जब शिंदे सेना के स्थानीय नेता ने यूबीटी सेना जॉइन की. हालांकि, उद्धव ने इस सवाल को टाल दिया कि क्या उनकी पार्टी और मनसे के बीच किसी तरह की गठबंधन वार्ता चल रही है. राज ठाकरे ने शिवसेना छोड़ने के बाद साल 2006 में नई पार्टी मनसे का गठन किया था.

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अमित ठाकरे बोले- एक-दूसरे से बात करें...

वहीं, राज ठाकरे के बेटे और MNS नेता अमित ठाकरे ने गठबंधन पर कहा था, ठाकरे भाइयों को एक-दूसरे से बात करनी चाहिए. मीडिया में बात करने से गठबंधन नहीं होता. हमारे इस मुद्दे पर बात करने से कोई फर्क नहीं पड़ेगा. मुझे दोनों भाइयों के एक साथ आने से कोई दिक्कत नहीं है. अगर वो (उद्धव) चाहें तो फोन कर सकते हैं. मीडिया में बात करने से गठबंधन नहीं होता. उनके पास एक-दूसरे के मोबाइल नंबर हैं. वे एक-दूसरे से बात कर सकते हैं.

MNS नेता क्या कह रहे?

महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के नेता प्रकाश महाजन ने कहा था कि अगर शिवसेना (यूबीटी) दोनों दलों के बीच गठबंधन को लेकर वाकई गंभीर है तो आदित्य ठाकरे को आगे आकर राज ठाकरे से मिलना चाहिए. महाजन का कहना था कि शिवसेना (यूबीटी) में उचित कद के नेता को संभावित गठबंधन पर चर्चा के लिए मनसे अध्यक्ष राज ठाकरे के पास जाना चाहिए. अगर किसी जूनियर नेता को बातचीत के लिए भेजा जाता है तो राज ठाकरे भी किसी जूनियर पदाधिकारी को भेजेंगे.

उन्होंने कहा, अगर वाकई गठबंधन होना है तो आदित्य ठाकरे को आगे आकर राज साहब के विचारों को समझना चाहिए. अगर आदित्य ठाकरे बातचीत के लिए जाते हैं तो दोनों पक्ष गंभीरता को समझेंगे. मराठी लोगों में एक साथ आने की भावना है.

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अलायंस की चर्चाएं कब शुरू हुईं?

ठाकरे भाइयों के बीच सुलह की खबरें उस समय तेज हुईं, जब राज ठाकरे ने कहा कि मराठी मानुष (मराठी भाषी लोगों) के हित में एकजुट होना कठिन नहीं है. राज के बयान पर उद्धव ठाकरे ने इस बात पर जोर दिया है कि वो भी छोटी-मोटी लड़ाइयां किनारे रखने के लिए तैयार हैं. बशर्ते, महाराष्ट्र के हितों के खिलाफ काम करने वालों को जगह ना दी जाए.

क्या बोले सीएम फडणवीस?

अलायंस की खबरों पर बीजेपी नेता और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस ने शुक्रवार को प्रतिक्रिया दी. उन्होंने कहा, यह राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे को तय करना है कि उनकी पार्टियों को गठबंधन करना चाहिए या नहीं. हमारा इससे कोई लेना-देना नहीं है. उद्धव ठाकरे की टिप्पणी पर प्रतिक्रिया देना राज ठाकरे का काम है. वे तय करेंगे कि गठबंधन करना है या नहीं.

अजित पवार ने भी दिया बयान...

एनसीपी नेता और उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने भी कहा कि गठबंधन पर निर्णय संबंधित पार्टी प्रमुखों का विशेषाधिकार है. राज ठाकरे मनसे के प्रमुख हैं और उद्धव ठाकरे शिवसेना (यूबीटी) के प्रमुख हैं. वे तय करेंगे कि रेल इंजन (मनसे का चुनाव चिह्न) और जलती मशाल (सेना यूबीटी का चुनाव चिह्न) के बीच गठबंधन होगा या नहीं. यह दोनों दलों के नेताओं पर निर्भर है कि वे इस पर फैसला लें. इस मुद्दे पर आप और मेरे बीच चर्चा का क्या मतलब है.

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