'2022 में गुट बदलने के लिए शिवसेना MLA ने लिए 50 करोड़ रुपये', महाराष्ट्र BJP विधायक का आरोप

महाराष्ट्र में बीजेपी, एकनाथ शिंदे की शिवसेना और अजित पवार की एनसीपी गठबंधन के तहत सत्ता में है. इस बीच हिंगोली से बीजेपी विधायक तानाजी मुटकुले ने दावा किया कि कलमनुरी सीट से शिवसेना विधायक संतोष बांगड़ ने 2022 के राजनीतिक संकट के दौरान पैसे लेकर गुट बदला.

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बीजेपी विधायक तानाजी मुटकुले ने शिंदे गुट शिवसेना के विधायक पर गंभीर आरोप लगाया (File Photo- ITG) बीजेपी विधायक तानाजी मुटकुले ने शिंदे गुट शिवसेना के विधायक पर गंभीर आरोप लगाया (File Photo- ITG)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 27 नवंबर 2025,
  • अपडेटेड 11:26 AM IST

महाराष्ट्र की महायुति सरकार में सहयोगी दलों के बीच मतभेद एक बार फिर सामने आ गए हैं. बीजेपी विधायक तानाजी मुटकुले ने गुरुवार को आरोप लगाया कि सहयोगी पार्टी शिंदे गुट शिवसेना के विधायक संतोष बांगड़ ने 2022 में उद्धव ठाकरे गुट छोड़कर शिंदे गुट में आने के लिए 50 करोड़ रुपये लिए थे.

बीजेपी, एकनाथ शिंदे की शिवसेना और अजित पवार की एनसीपी महाराष्ट्र में महायुति गठबंधन के तहत सत्ता में हैं.

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न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक हिंगोली से विधायक तानाजी मुटकुले ने मीडिया से बातचीत में दावा किया कि कलमनुरी सीट से शिवसेना विधायक संतोष बांगड़ ने 2022 के राजनीतिक संकट के दौरान पैसे लेकर गुट बदला.

मुतकुले ने आरोप लगाया, "ऐसी बातें सामने आई थीं कि उन्होंने 50 करोड़ रुपये लेकर पक्ष बदला. मुझे पूरा यकीन है कि यह सच होगा, क्योंकि वह बिना पैसे कोई काम नहीं करते. बांगड़ पहले लोगों से अपील कर रहे थे कि वे उद्धव ठाकरे से दूर न हों, लेकिन रातों-रात उन्होंने अपनी स्थिति बदल ली."

जब मुतकुले से पूछा गया कि वह महायुति सहयोगी पार्टी के विधायक पर आरोप क्यों लगा रहे हैं, तो उन्होंने कहा कि बांगड़ उनके साथी नहीं हैं और न ही कभी होंगे, क्योंकि दोनों की विचारधारा अलग है.

गौरतलब है कि जून 2022 में एकनाथ शिंदे ने लगभग 40 विधायकों के साथ बगावत कर दी थी. उस समय “50 खोके, एकदम ओके” का नारा खूब चर्चा में था, जो कथित तौर पर विधायकों को पैसे मिलने से जोड़कर देखा गया.

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इधर पिछले हफ्ते ही शिवसेना के अधिकांश मंत्रियों ने कथित रूप से स्थानीय निकाय चुनावों से पहले बीजेपी द्वारा शिवसेना नेताओं और कार्यकर्ताओं को तोड़ने के विरोध में मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की अध्यक्षता वाली साप्ताहिक कैबिनेट बैठक से दूरी बना ली थी. यह विवाद अब महायुति के भीतर तनाव को और बढ़ा सकता है.

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