नगरपालिका से शुरुआत... इंदिरा से राजीव और मनमोहन सरकार में शिवराज पाटिल की बोलती रही तूती

देश के पूर्व गृहमंत्री और कांग्रेस के दिग्गज नेता शिवराज पाटिल का निधन हो गया है. नगर पालिका से अपनी सियासी पारी शुरू करने वाले शिवराज पाटिल ने संसद तक का सफर तय किया. केंद्र में मंत्री बनने से लेकर लोकसभा के स्पीकर और राज्यपाल तक रहे.

Advertisement
पूर्व गृहमंत्री शिवराज पाटिल का 90 साल की उम्र में निधन (Photo-INC) पूर्व गृहमंत्री शिवराज पाटिल का 90 साल की उम्र में निधन (Photo-INC)

साहिल जोशी

  • मुंबई ,
  • 12 दिसंबर 2025,
  • अपडेटेड 11:02 AM IST

कांग्रेस के दिग्गज नेता और देश के पूर्व गृहमंत्री शिवराज पाटिल ने शुक्रवार का निधन हो गया है. 90 साल की उम्र में पाटिल ने लातूर में अंतिम सांस ली. वो लंबे समय से बिमार चल रहे थे और उनका इलाज घर पर ही चल रहा था. सत्तर के दशक में सियासत में कदम रखा और विधायक लेकर सांसद और देश के गृहमंत्री बनने तक का सफर तय किया.

Advertisement

शिवराज पाटिल अंतिम सांस तक कांग्रेस की राजनीति में एक्टिव रहे, लेकिन कई सालों से राजनीतिक जीवन से रिटायर हो चुके थे. महाराष्ट्र से आने वाले शिवराज पाटिल चाकूरकर मराठवाड़ा के लातूर से सांसद रह चुके हैं. फर्श से अर्श तक का सियासी सफर तय किया और राजनीति की बुलंदी तक पहुंचे. उन्हें साफ-सुथरी छवि का नेता माना जाता है.

महाराष्ट्र की लातूर ग्रामीण सीट से वह 1973 से 1980 तक विधायक रहे. 1980 के बाद वह लातूर संसदीय सीट से चुनाव जीतकर कई बार लोकसभा पहुंचे. यही नहीं केंद्र में मंत्री रहने से लेकर राज्यपाल तक बने.

शिवराज पाटिल का जन्म और शिक्षा

देश के पूर्व गृहमंत्री शिवराज पाटिल का जन्म 12 अक्टूबर 1935 में हुआ. शिवराज के पिता का नाम शिवराम पाटिल और उनकी माता का नाम शारदा पाटिल था. उनके पिता एक किसान थे और वे एक मध्यमवर्गीय परिवार से आते थे. इसके बावजूद उन्होंने अपनी सियासी पहचान बनाई.

Advertisement

शिवराज पाटिल को भारतीय राजनीति में एक अहम और अनुभवी शख्सियत के तौर पर जाना जाता है. उनका जन्म लातूर जिले के चाकुर में हुआ था. लातूर में अपनी शुरुआती शिक्षा हासिल करने के बाद उस्मानिया यूनिवर्सिटी से साइंस में ग्रेजुएशन किया. मुंबई यूनिवर्सिटी से लॉ की पढ़ाई करने के बाद उन्होंने सियासत में कदम रखा.

नगर पालिका से संसद तक का सफर

शिवराज पाटिल ने 1967-69 के दौरान लातूर नगर पालिका में काम करके अपनी राजनीतिक पारी का आगाज किया. इसके बाद लातूर ग्रामीण सीट से वह 1973 से 1980 तक विधायक रहे. 1980 के आम चुनाव में लातूर संसदीय सीट से चुनाव जीतकर लोकसभा पहुंचे और इंदिरा गांधी के नेतृत्व वाली सरकार में रक्षा राज्य मंत्री के रूप में पहली बार मंत्री बने.

1980 से लेकर 1999 तक लगातार सात बार लोकसभा जीतकर शिवराज पाटिल ने महाराष्ट्र ही नहीं, देश की राजनीति में अपनी एक मजबूत पहचान बनाई. इसके बाद कामयाबी की बुलंदी चढ़ते गए.

इंदिरा, राजीव और मनमोहन सरकार में मंत्री

इंदिरा गांधी की सरकार से लेकर राजीव गांधी की सरकार ही नहीं, बल्कि मनमोहन सरकार में भी शिवराज पाटिल की सियासी धमक बोलती थी. इंदिरा और राजीव गांधी की सरकार में उन्होंने रक्षा, वाणिज्य, विज्ञान और प्रौद्योगिकी, परमाणु ऊर्जा, इलेक्ट्रॉनिक्स और अंतरिक्ष राज्य मंत्री जैसे महत्वपूर्ण विभागों की जिम्मेदारी संभाली. इसके बाद पीवी नरसिम्हा राव की सरकार में लोकसभा स्पीकर रहे और जब मनमोहन सिंह की अगुवाई में यूपीए की सरकार बनी, तो सबसे पावरफुल मंत्री बने.

Advertisement

रक्षा राज्य मंत्री के रूप में शिवराज पाटिल को वाणिज्य मंत्रालय का पूर्ण स्वतंत्र प्रभार दिया गया था (1982-83). इसके बाद उन्हें लगभग एक वर्ष के लिए विज्ञान और प्रौद्योगिकी, परमाणु ऊर्जा, इलेक्ट्रॉनिक्स, अंतरिक्ष और महासागर विकास मंत्रालय की जिम्मेदारी सौंपी गई.

1983 में, पाटिल को सी.एस.आई.आर. इंडिया के उपाध्यक्ष के रूप में चुना गया था. उन्होंने रक्षा, विदेश मामले, वित्त, संसद सदस्यों के वेतन और भत्ते सहित विभिन्न समितियों में भी अपनी सेवाएं दीं। राजीव गांधी के नेतृत्व वाली सरकार में उन्हें कार्मिक एवं रक्षा उत्पादन मंत्री नियुक्त किया गया था. इसके बाद उन्होंने नागरिक उड्डयन और पर्यटन का स्वतंत्र प्रभार संभाला. अस्सी के दशक से लेकर 2008 तक कांग्रेस की जितनी भी सरकारें बनीं, उन सभी में शिवराज पाटिल मंत्री रहे.

लोकसभा स्पीकर रहे शिवराज पाटिल

नब्बे के दशक में कांग्रेस दोबारा से सत्ता में लौटी और जब प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव बने तो उनकी सरकार में लोकसभा स्पीकर का पद शिवराज पाटिल ने संभाला. वह 1991 से 1996 तक लोकसभा के 10वें स्पीकर रहे. उन्होंने लोकसभा के आधुनिकीकरण, कंप्यूटरीकरण, संसद की कार्यवाही का सीधा प्रसारण और एक नई लाइब्रेरी बिल्डिंग जैसे कामों को तेज किया. उन्होंने देश और विदेश में कई संसदीय सम्मेलनों में भारत का नेतृत्व किया.

शिवराज पाटिल ने स्पीकर रहते हुए 1992 में उत्कृष्ट सांसद पुरस्कार देने की शुरुआत की. लोकसभा अध्यक्ष के रूप में शिवराज पाटिल ने संसद सदस्यों को सूचना वितरण, संसद पुस्तकालय भवन के निर्माण और लोकसभा की कार्यवाही के प्रसारण, जिसमें संसद के दोनों सदनों के प्रश्नकाल का सीधा प्रसारण भी शामिल था, जैसी पहलों में योगदान देना शुरू किया.

Advertisement

2004 में चुनाव हार के बाद बने गृह मंत्री

शिवराज पाटिल 2004 का लोकसभा चुनाव हार गए थे, जिसके बाद सोनिया गांधी ने उन पर अपना भरोसा कायम रखा. उन्हें राज्यसभा के जरिए संसद का सदस्य बनाया और मनमोहन सिंह की सरकार में केंद्रीय गृह मंत्रालय का जिम्मा उन्हें सौंपा. हालांकि, 2008 के मुंबई आतंकवादी हमलों के बाद, उन्होंने सुरक्षा में हुई चूक की नैतिक ज़िम्मेदारी लेते हुए 30 नवंबर 2008 को इस्तीफा दे दिया.

केंद्रीय गृहमंत्री का पद छोड़ने और राज्यसभा का कार्यकाल पूरा होने के बाद शिवराज पाटिल को राज्यपाल बनाया गया. वह साल 2010 से लेकर 2015 तक पंजाब के राज्यपाल रहे और साथ ही चंडीगढ़ केंद्र शासित प्रदेश के प्रशासक भी रहे. सोनिया गांधी के नेतृत्व वाली कांग्रेस पार्टी में शिवराज पाटिल ने कई महत्वपूर्ण ज़िम्मेदारियां निभाईं, जिसमें घोषणापत्र समिति की अध्यक्षता भी शामिल है.

लिंगायत समुदाय से आते थे शिवराज

शिवराज पाटिल  लिंगायत कम्युनिटी से हैं और उन्होंने 1963 में विजया पाटिल से शादी की. उनका एक बेटा और एक बेटी है. उनकी बहू, डॉ. अर्चना पाटिल चाकुरकर, पॉलिटिक्स में एक्टिव हैं. उनकी दो भतीजी हैं. शिवराज पाटिल को सत्य साईं बाबा का एक पक्का फॉलोवर भी माना जाता है.

लगभग पांच दशक के पार्लियामेंट्री और एडमिनिस्ट्रेटिव एक्सपीरियंस, अलग-अलग मिनिस्ट्री में काम करने और लोकसभा स्पीकर के तौर पर अपने योगदान के साथ, शिवराज पाटिल को इंडियन पॉलिटिक्स में एक अहम और जानकार इंसान माना जाता है.

Advertisement

 

---- समाप्त ----

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement