बॉम्बे हाईकोर्ट ने इस खेल को बताया खूनी, फिर शुरू करने की मांग वाली याचिका रद्द की

अदालत ने कहा कि पारंपरिक खेल के आधार पर 'मुर्गा लड़ाई' शुरू करने की इजाजत नहीं दी जा सकती. सुनवाई बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर पीठ में हुई. हाईकोर्ट की पीठ ने कहा, 'यह हमारा सामान्य अनुभव है कि मुर्गे की लड़ाई एक खूनी खेल है.

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विद्या

  • मुंबई,
  • 25 सितंबर 2022,
  • अपडेटेड 8:37 PM IST

महाराष्ट्र में मुर्गा लड़ाई को फिर से शुरू करने की मांग वाली याचिका (PIL) को बॉम्बे हाईकोर्ट ने रद्द कर दिया है. याचिकाकर्ता ने 'मुर्गा लड़ाई' को पारंपरिक खेल बताते हुए उसे फिर से शुरू करने के लिए महाराष्ट्र सरकार को निर्देश देने की मांग की थी.

अदालत ने कहा कि पारंपरिक खेल के आधार पर 'मुर्गा लड़ाई' शुरू करने की इजाजत नहीं दी जा सकती. सुनवाई बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर पीठ में हुई. हाईकोर्ट की पीठ ने कहा, 'यह हमारा सामान्य अनुभव है कि मुर्गे की लड़ाई एक खूनी खेल है. जब दो मुर्गे लड़ रहे हों, तब कोई भी शख्स हस्तक्षेप कर उन्हें एक-दूसरे को चोट पहुंचाने से नहीं रोक सकता. 

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अदालत ने कहा कि हमने देखा है कि इस तरह के खेल का आयोजन केवल एड्रेनालिन रश के रोमांच को महसूस करने के उद्देश्य से किया जाता है. दो लड़ते हुए मुर्गों के बीच ज्यादा से ज्यादा हिंसा होते देखकर हमारी अधिवृक्क ग्रंथियों (adrenal glands) में खून और तेजी से पंप होने लगता है.

अदालत ने आगे कहा कि यह घटना उस सिद्धांत पर काम करती है कि जितनी अधिक हिंसा होगी, उतना ही अधिक खून बहेगा और अधिक एड्रेनालिन के अधिक स्राव से उत्तेजना पैदा होगी. यह जानवरों के प्रति क्रूरता की रोकथाम अधिनियम, 1960 के प्रावधानों के बिल्कुल विपरीत है.

न्यायमूर्ति एसबी शुक्रे और जीए सनप की पीठ के सामने याचिकाकर्ता ने गजेंद्र चाचरकर और अधिवक्ता एआर इंगोले के जरिए याचिका दायर की थी. उन्होंने कहा था कि अगर राज्य सरकार की राय है कि इस खेल में कुछ क्रूरता शामिल है, तो कुछ शर्ते लगाकर इसका ध्यान रखा जा सकता है.

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पीठ ने अपनी सुनवाई के दौरान कहा कि सिर्फ इसलिए कि कोई खेल, प्रथा या परंपरा सदियों से चल रही है, यह अदालत के लिए इसकी अनुमति देने का कारण नहीं हो सकता है. प्राचीन काल में खेले जाने वाले कुछ रीति-रिवाज, परंपराएं या खेल हैं, जो वास्तव में ठीक नहीं थे, और यही कारण था कि उन अस्वास्थ्यकर खेलों, परंपराओं या रीति-रिवाजों को दूर करने के लिए एक कानून बनाया गया था. उदाहरण के लिए, बाल विवाह निरोधक अधिनियम 1929.

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