अस्पताल में सर्जरी के दौरान फॉल्स सीलिंग तोड़कर अचानक ऑपरेशन थिएटर में गिरा कुत्ता, मच गया हड़कंप

धनबाद रेलवे अस्पताल के ऑपरेशन थिएटर में उस वक्त अफरा-तफरी मच गई जब फॉल्स सीलिंग तोड़कर एक कुत्ता नीचे गिर पड़ा. घटना में एक कर्मचारी को मामूली चोट आई, लेकिन मरीज बाल-बाल बच गए. लगातार बारिश और कुत्ते के वजन से सीलिंग कमजोर हो चुकी थी. इस घटना ने अस्पताल की लापरवाही और सुरक्षा उपायों पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं.

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ऑपरेशन के दौरान फॉल्स सीलिंग तोड़कर नीचे गिरा कुत्ता ऑपरेशन के दौरान फॉल्स सीलिंग तोड़कर नीचे गिरा कुत्ता

सिथुन मोदक

  • धनबाद,
  • 10 जुलाई 2025,
  • अपडेटेड 6:21 PM IST

झारखंड के धनबाद रेलवे अस्पताल में उस समय हड़कंप मच गया जब ऑपरेशन थिएटर की फॉल्स सीलिंग तोड़कर एक कुत्ता नीचे गिर पड़ा. उस दौरान कमरे में किसी मरीज का ऑपरेशन भी चल रहा था. घटना के समय वहां मौजूद मरीज और स्वास्थ्यकर्मी बाल-बाल बच गए. हालांकि एक कर्मी को मामूली चोट आई है. यह हादसा रविवार को उस वक्त हुआ जब ऑपरेशन थिएटर में मरीज का इलाज चल रहा था.

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फॉल्स सीलिंग तोड़कर नीचे गिरा कुत्ता

प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, कुत्ता वेंटिलेटर के रास्ते छत से होकर सीलिंग तक पहुंच गया था. लगातार हो रही बारिश से कुत्ते का वजन फॉल्स सीलिंग झेल नहीं सका, जिससे वह अचानक टूटकर गिर गया. कुत्ता सीलिंग समेत ऑपरेशन थिएटर के ठीक बीचोंबीच आ गिरा, जहां कुछ ही देर पहले एक सर्जरी हुई थी.

अस्पताल के इंजीनियरिंग विभाग की टीम ने मौके पर पहुंचकर निरीक्षण किया और पाया कि वेंटिलेशन एरिया के पास से ही फॉल्स सीलिंग बनाई गई थी, जिससे कुत्तों को अंदर आने का रास्ता मिल गया. अधिकारियों ने कुत्तों के बार-बार छत तक पहुंचने पर गंभीर आपत्ति जताई और जल्द समाधान की बात कही.

अक्सर दिखाई देता है कुत्तों का झुंड

अस्पताल कर्मियों का कहना है कि छत पर अक्सर कुत्तों का झुंड दिखाई देता है. बरसात के समय वो छुपने के लिए वेंटिलेटर के रास्ते फॉल्स सीलिंग के अंदर पहुंच जाते हैं. इससे मरीजों और स्टाफ की सुरक्षा पर बड़ा खतरा मंडरा रहा है.

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अस्पताल कर्मचारी आभा कुमारी ने बताया कि 'सीलिंग से पानी भी रिस रहा था और वह पहले से कमजोर हो चुकी थी. कुत्ते के वजन से वह अचानक गिर गई. सौभाग्य से उस कोई बड़ी अनहोनी नहीं हुई.'

इस घटना ने रेलवे अस्पताल की व्यवस्था और मरीजों की सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं. अब सभी की निगाहें इस पर टिकी हैं कि आखिर कब तक मरीज और कर्मी इस तरह की अनदेखी के शिकार बनते रहेंगे.


 

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