आजाद भारत के पहले मतदाता श्याम सरन नेगी का शनिवार को राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया. इस दौरान उनके पार्थिव शरीर को तिरंगे में लपेटकर हिमाचल के शोंगठोंग स्थित सतलुज किनारे श्यमशान घाट तक ले जाया गया. जहां होमगार्ड बैंड बजाकर राजकीय सम्मान के साथ उन्हें अंतिम विदाई दी गई. किन्नौर पुलिस ने उन्हें गार्ड ऑफ ऑनर भी दिया. उनके अंतिम संस्कार में बड़ी संख्या में लोग शामिल हुए. वहीं पीएम नरेंद्र मोदी ने भी शोक व्यक्त किया.
मंडी में जनसभा को संबोधित करते हुए पीएम नरेंद्र मोदी ने श्याम सरन नेगी के निधन पर शोक व्यक्त किया. इस दौरान उन्होंने कहा, "मुझे स्वतंत्र भारत के पहले मतदाता श्याम सरन नेगी के दुखद निधन के बारे में पता चला, जिनका 106 वर्ष की आयु में निधन हो गया. 2 नवंबर को उन्होंने पोस्टल बैलेट के माध्यम से इस बार के हिमाचल प्रदेश चुनाव के लिए मतदान किया था. मृत्यु से पहले उन्होंने अपना कर्तव्य पूरा किया, यह हर नागरिक को प्रेरित करता है.
प्रियंका गांधी ने भी संवेदनाएं प्रकट कीं
कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने भी एक ट्वीट के जरिए अपनी संवेदनाएं प्रकट की हैं. उन्होंने लिखा, ' स्वतंत्र भारत के पहले मतदाता किन्नौर के श्याम सरन नेगी जी के निधन का दुखद समाचार मिला. श्री श्याम सरन नेगी जी ने इतनी लंबी उम्र तक सदैव मतदान करके लोकतंत्र के प्रति कर्तव्य की अद्वितीय मिसाल पेश की है. उनकी यह कर्तव्यनिष्ठा हमें हमेशा प्रेरित करती रहेगी.'
नेगी ने 33 बार वोट डाला
स्वतंत्र भारत के पहले मतदाता के तौर पर मशहूर हिमाचल के किन्नोर निवासी नेगी को भारतीय लोकतंत्र का लीविंग लीजेंड भी कहा जाता था. अपने सुदीर्घ जीवन में उन्होंने 33 बार वोट दिया. बैलेट पेपर से ईवीएम का बदलाव भी देखा. इस विधानसभा के लिए भी उन्हें मतदान के दिन का बेसब्री से इंतजार था. उन्होंने इसी 2 नवंबर को फॉर्म 12डी के जरिए मतदान किया था. यूं तो वह हर बार की तरह इस बार भी बूथ पर जाकर वोट डालना चाहते थे, लेकिन तबीयत खराब होने के चलते उन्होंने घर से ही बैलट पेपर के जरिए वोट डाला.
1951 में डाला था पहला वोट
एक जुलाई 1917 को किन्नौर जिले के तब के गांव चिन्नी और अब के कल्पा में जन्मे नेगी अक्सर याद करते और दिलाते थे कि स्वतंत्र भारत के पहले चुनाव के लिए देश भर ने 1952 में वोट डाले थे, लेकिन तब की राज्य व्यवस्था में किन्नौर सहित ऊंचे हिमालयी पर्वतीय क्षेत्रों में 25 अक्टूबर,1951 को वोट डाले गए थे. क्योंकि वैसे तो भारत के अन्य हिस्सों में फरवरी-मार्च, 1952 में वोट डाले जाने थे. किन्नौर जैसी ऊंची बर्फबारी वाली जगहों में जाड़ा और हिमपात के मद्देनजर पहले ही मतदान करा लिया गया था. अक्टूबर, 1951 में नेगी ने पहली बार संसदीय चुनाव में वोट डाला था.
कल्पा के स्कूल में थे टीचर
नेगी को साफ-साफ याद था कि 1951 में उस वक्त उनके गांव के पास के गांव मूरांग के स्कूल में वह पढ़ाते थे. लेकिन मतदाता वो अपने गांव कल्पा में थे. उस वक्त कल्पा को चिन्नी गांव के नाम से जाना जाता था. 9वीं तक की पढ़ाई तो कष्ट झेलकर कर ली. लेकिन उम्र ज्यादा हो जाने से तब दसवीं में दाखिला नहीं मिला तो मास्टर श्याम सरण नेगी ने शुरू में 1940 से 1946 तक वन विभाग में वन गार्ड की नौकरी की. उसके बाद शिक्षा विभाग में चले गए और कल्पा लोअर मिडल स्कूल में अध्यापक बने.
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