BJP को आशा, कांग्रेस में आत्मविश्वास... हिमाचल में होने वाले 3 उपचुनावों से किसे क्या उम्मीदें?

राज्य में कमल खिलाने की कई कोशिशें नाकाम रहीं. यह पहली बार तब हुआ जब राज्यसभा चुनाव के दौरान जब कांग्रेस के छह विधायकों के साथ-साथ तीन स्वतंत्र विधायकों ने भाजपा उम्मीदवार के पक्ष में क्रॉस वोटिंग की थी. स्पीकर कुलदीप सिंह पठानिया ने कांग्रेस विधायकों को अयोग्य घोषित कर दिया, जिसका बीजेपी को नुकसान हुआ.

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हिमाचल प्रदेश में 10 जुलाई को होने हैं तीन विधानसभा उपचुनाव हिमाचल प्रदेश में 10 जुलाई को होने हैं तीन विधानसभा उपचुनाव

मनजीत सहगल

  • नई दिल्ली,
  • 06 जुलाई 2024,
  • अपडेटेड 5:02 PM IST

सरकार बनाने के लिए पर्याप्त संख्या बल की कमी के बावजूद, विपक्षी भाजपा को ऐसी उम्मीद थी कि 10 जुलाई को होने वाले तीन विधानसभा उपचुनावों में अप्रत्याशित तौर पर कुछ लाभ मिल सकता है. सुक्खू सरकार को दो बार गिराने में नाकाम रहने के बावजूद भाजपा अभी भी कुछ उम्मीद रख रही है. यह बात हिमाचल के पूर्व मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर के बयान से स्पष्ट हो जाती है, जिन्होंने यह दावा करके राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है कि उपचुनाव के नतीजे हिमाचल की राजनीति को हिला देंगे.

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जय राम ठाकुर ने हमीरपुर में पार्टी उम्मीदवार आशीष शर्मा का समर्थन करने के लिए हुई एक सार्वजनिक सभा को संबोधित करते हुए कहा, "हाल ही में हुए लोकसभा चुनावों में क्लीन स्वीप के बाद, भाजपा तीन विधानसभा उपचुनाव जीतने जा रही है. ये जीत हिमाचल की राजनीति को हिला देगी." 

हिमाचल में कमल खिलाने की नाकाम कोशिश!
राज्य में कमल खिलाने की कई कोशिशें नाकाम रहीं. यह पहली बार तब हुआ जब राज्यसभा चुनाव के दौरान जब कांग्रेस के छह विधायकों के साथ-साथ तीन स्वतंत्र विधायकों ने भाजपा उम्मीदवार के पक्ष में क्रॉस वोटिंग की थी. स्पीकर कुलदीप सिंह पठानिया ने कांग्रेस विधायकों को अयोग्य घोषित कर दिया, जिसका बीजेपी को नुकसान हुआ क्योंकि कांग्रेस विधायकों की सदस्यता खत्म हो गई थी.

बाद में तीन निर्दलीय विधायकों ने विधानसभा से इस्तीफा दे दिया और अगले दिन भाजपा में शामिल हो गए लेकिन यह रणनीति भी काम नहीं आई. उनका इस्तीफा छह विधानसभा उपचुनावों की घोषणा से एक दिन पहले 3 जून, 2024 को स्वीकार किया गया था.

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4 जून को चुनाव परिणाम घोषित होने पर भाजपा छह विधानसभा क्षेत्रों में से सिर्फ दो में जीत हासिल कर सकी. कांग्रेस ने चार उपचुनाव जीते और उसे 35 का जादुई आंकड़ा मिला. भाजपा दो विधानसभाएं जीतकर अब 27 सीटों तक पहुंच गई है. 

कांग्रेस के पास पहले से 38 विधायकों का समर्थन
कांग्रेस के पास पहले से ही 38 पार्टी विधायकों का समर्थन है और जैसा कि उसके नेताओं ने दावा किया है. बीजेपी के पास कुल 27 विधायक हैं और कांग्रेस सरकार को उखाड़ फेंकने के लिए उसे आठ विधायकों के समर्थन की जरूरत होगी. इसलिए, तीन उपचुनाव जीतना सत्तारूढ़ कांग्रेस और भाजपा के लिए महत्वपूर्ण है. मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के लिए ये दांव खासतौर पर जीतना जरूरी है. उन्होंने अपनी पत्नी कमलेश ठाकुर को देहरा से मैदान में उतारा है.

तीनों विधानसभा क्षेत्रों को जीतने से जहां विधानसभा में कांग्रेस की ताकत मजबूत हो जाएगी, वहीं भाजपा अपनी ताकत 30 तक ले जाएगी, लेकिन सरकार फिर भी नहीं बना पाएगी. हालाँकि, पार्टी नेता हालिया लोकसभा चुनावों में क्लीन स्वीप के बाद उपचुनावों को लेकर उत्साहित हैं. इसके अलावा विपक्ष में होने के बावजूद बीजेपी को 56.44% वोट मिले, जबकि कांग्रेस को 41.67% वोट मिले.

शिमला संसदीय क्षेत्र में कांग्रेस को न केवल मुख्यमंत्री और उप-मुख्यमंत्री के क्षेत्रों में बल्कि पांच कैबिनेट मंत्रियों के प्रतिनिधित्व वाले क्षेत्रों में भी बढ़त नहीं मिल सकी. देहरा (कांगड़ा), हमीरपुर और नालागढ़ में विधानसभा उपचुनाव हो रहे हैं. विपक्षी भाजपा हालिया विधानसभा उपचुनाव में कमल खिलाने में विफल रही, जो निर्दलीय विधायक होशियार सिंह, आशीष शर्मा और केएल ठाकुर के इस्तीफा देने के बाद खाली हुई थी.

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उपचुनाव का सजा मैदान, आरोप-प्रत्यारोप जारी
इस बीच, सत्तारूढ़ कांग्रेस ने तीन पूर्व निर्दलीय विधायकों, जो अब देहरा, हमीरपुर और नालागढ़ से भाजपा के उम्मीदवार हैं, उन पर विश्वासघात का आरोप लगाया है और उन्हें अनावश्यक रूप से उपचुनाव में घसीटा है. मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने अपनी पत्नी कमलेश ठाकुर के खिलाफ चुनाव लड़ रहे भाजपा प्रत्याशी होशियार सिंह पर निशाना साधा है. सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा, "उन्होंने (होशियार सिंह) ने देहरा के लोगों को धोखा दिया है. उन्होंने चुनाव जीता था और विधायक थे तो डेढ़ साल के भीतर इस्तीफा क्यों दिया? उन्होंने अपनी ईमानदारी बेच दी है."

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