हरियाणा: कैसे खट्टर से ज्यादा चौटाला की चिंता बढ़ाएगा हुड्डा का अविश्वास प्रस्ताव?

पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने मनोहर लाल खट्टर के नेतृत्व वाली बीजेपी-जेजेपी गठबंधन सरकार के खिलाफ विधानसभा सत्र के पहले दिन ही अविश्वास प्रस्ताव लाने का फैसला किया है. कांग्रेस के इस कदम से सीएम मनोहर लाल खट्टर से कहीं ज्यादा उनके सहयोगी डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला के लिए चिंता बढ़ सकती है, क्योंकि किसान संगठन जेजेपी पर बीजेपी से अलग होने के लिए लगातार दबाव बना रहे हैं. 

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दुष्यंत चौटाला और मनोहर लाल खट्टर दुष्यंत चौटाला और मनोहर लाल खट्टर

कुबूल अहमद

  • नई दिल्ली ,
  • 25 फरवरी 2021,
  • अपडेटेड 12:49 PM IST
  • हरियाणा में किसान आंदोलन का ज्यादा असर
  • जेजेपी-बीजेपी के खिलाफ कांग्रेस लाएगी अविश्वास प्रस्ताव
  • दुष्यंत चौटाला पर बढ़ रहा किसानों का दबाव

कृषि कानून के खिलाफ हरियाणा में एक तरफ किसान आंदोलित हैं तो दूसरी ओर कांग्रेस ने भी सरकार को घेरने के लिए मोर्चा खोल दिया है. पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने मनोहर लाल खट्टर के नेतृत्व वाली बीजेपी-जेजेपी गठबंधन सरकार के खिलाफ विधानसभा सत्र के पहले दिन ही अविश्वास प्रस्ताव लाने का फैसला किया है. कांग्रेस के इस कदम से सीएम मनोहर लाल खट्टर से कहीं ज्यादा उनके सहयोगी डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला की चिंता बढ़ सकती है, क्योंकि किसान संगठन जेजेपी पर बीजेपी से अलग होने के लिए लगातार दबाव बना रहे हैं. 

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हरियाणा में पांच मार्च से शुरू होने वाले विधानसभा के बजट सत्र में कांग्रेस ने बीजेपी-जेजेपी सरकार को घेरने की तैयारी कर रखी है. विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा की अध्यक्षता में हुई बैठक में कांग्रेस ने तय किया है कि वह राज्यपाल सत्यदेव नारायण आर्य के बजट अभिभाषण के बाद खट्टर सरकार के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव लाएगी. इसके अलावा कृषि कानून में संशोधन कर उसमें किसान के लिए एमएसपी की गारंटी का प्रावधान जोड़ने के लिए कांग्रेस की तरफ से एक प्राइवेट मेंबर्स बिल भी इसी सत्र में लाए जाने का फैसला हुआ है. 

हरियाणा के वरिष्ठ पत्रकार संजय गर्ग कहते हैं कि कांग्रेस  द्वारा लाए जा रहे प्रस्ताव को विधानसभा अध्यक्ष अगर स्वीकार करते हैं तो दस दिन के भीतर अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा करानी जरूरी होगा. ऐसे में अविश्वस प्रस्ताव से मनोहर लाल खट्टर सरकार के लिए कोई बड़ा खतरा नहीं है, क्योंकि कुछ जेजेपी विधायकों के बागी रुख अपनाने के बाद भी निर्दलीय विधायकों के जरिए सरकार बहुमत का नंबर हासिल कर सकती है. लेकिन सदन में अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला को भी बोलना पड़ेगा. ऐसे में दुष्यंत चौटाला कृषि कानून के समर्थन में बोलेंगे तो किसान नाराज होंगे और अगर विरोध में बोलते हैं तो अपनी सरकार के फैसले पर सवाल खड़े करेंगे. यही वजह है कि हुड्डा का दांव खट्टर से ज्यादा दुष्यंत के लिए चिंता बढ़ाने वाला माना जा रहा है. 

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बता दें कि दुष्यंत चौटाला खुद को पूर्व मुख्यमंत्री चौधरी देवीलाल के असली सियासी वारिस बताते हुए किसान नेता के तौर पर हरियाणा में अपनी सियासी जगह बनाना चाहते थे, लेकिन अब किसान आंदोलन में जेजेपी का मौन धारण करना कहीं ना कहीं किसानों में गुस्से का कारण बन गया है. हरियाणा के जींद जिले में जेजेपी का गठन हुआ था और वहीं पिछले दिनों हुई खाप पंचायत ने जेजेपी विधायकों को बीजेपी से गठबंधन तोड़ने का दबाव बनाया था.  

हरियाणा में 2019 में हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी पूर्ण बहुमत तो नहीं पा सकी, लेकिन वह दुष्यंत चौटाला की जेजेपी के 10 विधायकों के समर्थन से हरियाणा में सरकार बनाने में कामयाब रही. जेजेपी को चुनाव में ग्रामीण इलाकों में वोट मिला था और पार्टी का राजनीतिक आधार भी किसान और मजदूर वर्ग माने जाते हैं. यही वजह है कि किसानों की नाराजगी दुष्यंत चौटाला को लेकर ज्यादा है. पूर्व मुख्यमंत्री भूपिंद्र सिंह हुड्डा ने कहा था हरियाणा में बेमेल सरकार बनी है. जेजेपी को भाजपा के खिलाफ जनादेश मिला, जिसका दुष्यंत चौटाला ने सम्मान नहीं किया. कुर्सी के खातिर किसानों के मुद्दे से समझौता कर लिया है. 

हरियाणा में खट्टर सरकार को सहयोग दे रहे जेजेपी का मूल वोटर जाट और किसान माने जाते हैं. किसान आंदोलन के कारण एनडीए के सहयोगी जेजेपी पर काफी दबाव है. कृषि कानून को लेकर हरियाणा में गांव-गांव पंचायत हो रही है, जिससे दुष्यंत चौटाला के खिलाफ माहौल बनता जा रहा है. हालांकि, दुष्यंत चौटाला आश्वासन दे चुके हैं कि उनके रहते किसानों के हितों पर आंच नहीं आने दी जाएगी, लेकिन किसान संगठन और खाप पंचायतें उन पर बीजेपी से अलग होने के लिए लगातार दबाव बना रही हैं

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बिनाइन खाप के नेता नफे सिंह कहते हैं कि चौटाला के विधायक किसानों के वोट से जीतकर सरकार में हिस्सेदारी किए बैठे हैं और आज किसानों के मुद्दे पर खामोश हैं. उन सभी का हमने समाज बहिष्कार कर रखा है. वह कहते हैं कि दुष्यंत चौटाला को जींद के उचाना सीट से विधायक बनकर उप-मुख्यमंत्री की कुर्सी मिली है जबकि उनकी मां नैना चौटाला दादरी के बाढड़ा सीट से विधायक हैं. किसानों ने उनका खुलकर समर्थन किया था, लेकिन किसान के दुख में वो साथ नहीं दे रहे हैं. 

वहीं, दादरी के निर्दलीय विधायक सोमवीर सांगवान ने किसान आंदोलन और खापों के दबाव में चेयरमैन की कुर्सी से इस्तीफा देने के बाद सरकार से अपना समर्थंन वापिस ले लिया है. सोमवीर सांगवान ने कहा था कि सरकार में हिस्सेदारी सबको अच्छी लगती है लेकिन किसान पर अत्याचार से समाज में काफ़ी रोष है और उसी के चलते उन्होंने  सरकार से समर्थन वापस लिया है. नारनौंद विधायक राम कुमार गौतम, बरवाला विधायक और पार्टी के नेता जोगी राम सिहाग, शाहबाद से रामकरण काला, गुहला चीका से ईश्वर सिंह, और जुलाना से अमरजीत ढांडा इस मुददे पर किसानों के समर्थन में हैं. इस तरह से कांग्रेस के अविश्वास प्रस्ताव से दुष्यंत चौटाला के लिए परेशानी और भी बड़ी हो गई है. 

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