दिल्ली-एनसीआर को दहलाने की बड़ी आतंकी साज़िश को नाकाम किया गया है. पुलिस ने फरीदाबाद के फतेहपुर टैगा इलाके से 29 सौ किलो से ज्यादा अमोनियम नाइट्रेट बरामद किया है. ये वही केमिकल है जिससे अब तक भारत में कई बड़े धमाके किए जा चुके हैं.
जांच में सामने आया है कि इतने ज़्यादा अमोनियम नाइट्रेट से सैकड़ों की संख्या में बहुत ताकतवर IED, यानी इंप्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस, बनाई जा सकती थीं.
अमोनियम नाइट्रेट खतरनाक क्यों है?
अमोनियम नाइट्रेट एक तरह का सफेद पाउडर जैसा केमिकल होता है, जो आमतौर पर खेती में खाद बनाने में इस्तेमाल होता है. लेकिन यही चीज़ जब गलत हाथों में चली जाए तो यह खतरनाक विस्फोटक में बदल जाती है.
जब इसके साथ डेटोनेटर, बैटरी और टाइमर जोड़ दिए जाते हैं, तो ये एक घातक बम बन जाता है. यही तरीका कुकर बम या लोकल IED बनाने में भी अपनाया जाता है.
किन बड़े धमाकों में हुआ इस्तेमाल?
पुलिस रिकॉर्ड के मुताबिक, साल 2008 में दिल्ली में हुए सीरियल ब्लास्ट में आतंकियों ने अमोनियम नाइट्रेट का ही इस्तेमाल किया था. इसके बाद 2010 में कॉमनवेल्थ गेम्स से पहले हुए धमाकों में भी यही केमिकल मिला था. 2011 में मुंबई के मार्केट में जो ब्लास्ट हुआ था, उसमें भी यही केमिकल इस्तेमाल हुआ था.
साल 2008 में दिल्ली में हुए सीरियल ब्लास्ट (13 सितंबर 2008 को) में कम से कम 25 लोगों की मृत्यु हुई थी और 100 से अधिक लोग घायल हुए थे. कॉमनवेल्थ गेम्स से पहले जामा मस्जिद हमला में दो लोग घायल हुए थे और 2011 में मुंबई मार्केट में हुए धमाके में 23 लोगों की मौत हो गई थी.
क्यों चुनते हैं आतंकी यही विस्फोटक?
लोकल टेररिस्ट मॉड्यूल अक्सर अमोनियम नाइट्रेट का इस्तेमाल करते हैं क्योंकि इसे हासिल करना आसान होता है. ये खाद के तौर पर खुले में मिलता है और ज्यादा महंगा भी नहीं है. बस सही मिक्सिंग और टाइमिंग के साथ ये चीज़ एक बहुत बड़ा धमाका कर सकती है. यही वजह है कि पुलिस और खुफिया एजेंसियां इसे लेकर हमेशा अलर्ट रहती हैं.
यूपी के पूर्व डीजीपी बृजलाल ने देशभर में अलग-अलग जगह मिले विस्फोटों पर क्या कहा?
आजतक संवाददाता अरविंद ओझा ने यूपी के पूर्व डीजीपी बृजलाल से ख़ास बातचीत करके समझने की कोशिश की है कि इतने बड़े पैमाने पर अमोनियम नाइट्रेट मिलने के क्या मायने हैं.
प्रश्न: फरीदाबाद से जो सामग्री बरामद हुई है, उसकी प्रकृति क्या बताई जा रही है?
उत्तर: बरामद की गई मात्रा लगभग उनतीस सौ किलो बताई जा रही है और उसमें मुख्य रूप से अमोनियम नाइट्रेट बताया जा रहा है.
प्रश्न: इतनी मात्रा में अमोनियम नाइट्रेट से किस तरह की तबाही हो सकती है?
उत्तर: इससे बहुत बड़ी तबाही मचाई जा सकती है. उनतीस सौ किलो से कम-से-कम चार सौ से साढ़े चार सौ के करीब आईईडी बन सकती हैं — यानी काफी ताकतवर विस्फोटक उपकरण बनाकर बड़े पैमाने पर हमला किया जा सकता है.
प्रश्न: क्या यह सामग्री किसी खास संगठन से जुड़ी मानी जा रही है?
उत्तर: हां, यह इंडियन मुजाहिद्दीन से जुड़ा हुआ दिखता है. इंडियन मुजाहिद्दीन को लश्कर-ए-तैयबा का हिन्दुस्तानी अवतार कहा जा सकता है. मैंने इस पर काफी काम किया है - मैं एटीएस उत्तर प्रदेश का फाउंडर चीफ रहा हूं और साढ़े चार साल तक एसटीएफ, एटीएस, क्राइम विंग में काम किया. इसलिए इस संगठन के तरीकों और ट्रेनिंग का मुझे अनुभव है.
प्रश्न: इंडियन मुजाहिद्दीन किस तरह अमोनियम नाइट्रेट का इस्तेमाल करता था? ट्रेनिंग कहां होती थी?
उत्तर: इंडियन मुजाहिद्दीन ने लोकल मटेरियल से बम बनाने का तरीका अपनाया था और उनकी ट्रेनिंग मुजफ्फराबाद में होती थी, हाफ़िज सईद के मुख्यालय पर. वहां उन्हें सिखाया जाता था कि लोकल मटेरियल से किस तरह बम बनाए जाएं. यहां के ट्रेनर भी यहीं के आसपास - पिलखुआ जैसी जगहों पर - सक्रिय रहे हैं.
प्रश्न: अमोनियम नाइट्रेट क्या है और यह कैसे मिलता है?
उत्तर: अमोनियम नाइट्रेट एक सफेद पाउडर है, आमतौर पर खाद में उपयोग होता है. आतंकी कोड में इसे 'सफ़ेद पाउडर' कहा जाता है क्योंकि यह आसानी से उपलब्ध होता है और कोई विशेषज्ञीय प्रक्रिया न होने पर भी उससे विस्फोटक बनाया जा सकता है.
प्रश्न: अमोनियम नाइट्रेट से किस तरह के विस्फोटक बनाए जाते रहे हैं - कोई विशिष्ट मॉडल या तरीका?
उत्तर: अमोनियम नाइट्रेट से आईईडी या कुकर-बम बनाए जा सकते हैं. उत्तर प्रदेश में इंडियन मुजाहिद्दीन के आजमगढ़ मॉडल ने अमोनियम नाइट्रेट के साथ स्थानीय मटेरियल मिलाकर आईडी बनाना सिखाया और इस्तेमाल किया. शुरुआत में साइकिल बम, टिफिन बॉक्स, झोले में रखकर ब्लास्ट किए गए - बाज़ारों में रखकर नुकसान पहुंचाया गया. कहीं-कहीं आरडीएक्स या रॉ मटेरियल भी मिलाया गया था.
प्रश्न: इस प्रकार के माड्यूल और उपयोग का इतिहास क्या रहा है - कोई पुरानी घटनाएं जिनका आपने ज़िक्र किया?
उत्तर: इंडियन मुजाहिद्दीन ने कई बार अमोनियम नाइट्रेट का इस्तेमाल किया - जयपुर ब्लास्ट, अहमदाबाद ब्लास्ट, मुंबई के 26 जुलाई 2006 के सीरियल ट्रेन ब्लास्ट, बटला हाउस से पहले 19 सितंबर 2008 के आसपास हुई घटनाएं, उत्तर प्रदेश के कचहरी ब्लास्ट, लखनऊ, अयोध्या, फैजाबाद में किए गए हमलों में भी अमोनियम नाइट्रेट का इस्तेमाल हुआ. धनतेरस के दिन 29 अक्टूबर 2005 को भी अमोनियम नाइट्रेट इस्तेमाल की घटनाएं हुईं. ये सब उदाहरण हैं कि यह किस तरह प्रयोग किया गया.
प्रश्न: क्या सिर्फ अमोनियम नाइट्रेट ही इस्तेमाल होता है, या अन्य पदार्थ भी मिलाए जाते रहे हैं?
उत्तर: कभी-कभी अमोनियम नाइट्रेट में आरडीएक्स या हाइड्रोजन पेरोक्साइड जैसे अन्य रसायन भी मिलाए गए है. उदाहरण के तौर पर शीतला घाट ब्लास्ट में हाइड्रोजन पेरोक्साइड का इस्तेमाल हुआ था. कुछ मॉड्यूल्स में डायनामाइट जैसी चीज़ें भी मिलीं - खदानों में इस्तेमाल होने वाले पदार्थों की लीक के कारण. इसलिए कभी-कभी विस्फोटक सामग्री में मिश्रण भी पाया गया.
प्रश्न: क्या इस बरामदगी से यह संकेत मिलता है कि कोई बड़ी साजिश चल रही थी?
उत्तर: हां, ऐसा लगता है. अंदरूनी इलाकों (हिंटरलैंड) में जो ब्लास्ट घटनाएं होती रहीं और जिनके लिए कार्रवाई भी हुई, अब ऐसा प्रतीत होता है कि वे संगठन अपनी उपस्थिति दिखाना चाहते हैं. मेरी समझ यह है कि यह कोई बड़ी प्लानिंग का हिस्सा था और एजेंसियों ने समय रहते उसे पकड़ लिया. हमें इसे गंभीरता से लेना चाहिए क्योंकि यह किसी बड़ी घटना की तैयारी हो सकती थी.
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प्रश्न: क्या यह स्थानीय मॉड्यूल है या अंतरराष्ट्रीय कनेक्शन की आशंका भी है?
उत्तर: दोनों संभावनाएं हैं. अमोनियम नाइट्रेट लोकल मटीरियल है इसलिए लोकल टेरर मॉड्यूल इसका इस्तेमाल करते हैं ताकि शक दूसरी देशों पर कम जाए. पर अगर आरडीएक्स जैसा बड़ा मटीरियल मिलता है तो वहां पर विदेश या अन्य कनेक्शन का शक होता है. उत्तर प्रदेश में ऐसे मामलों में कभी-कभी बांग्लादेश बेस्ड समूहों या बाहर से लाया गया मटीरियल मिला था.
प्रश्न: हम किस तरह सचेत रहें?
उत्तर: बहुत सतर्क रहना चाहिए. इतनी मात्रा में विस्फोटक मिलना स्वयं में चिंता की बात है. सरकारी और सुरक्षा एजेंसियों को गहनता से जांच करके यह सुनिश्चित करना होगा कि यह कोई बड़ी घटना की तैयारी न थी और सभी नेटवर्क्स को तंग किया जाए. मुझे लगता है कि यह एक बड़ी साजिश का हिस्सा हो सकता था और इसलिए हमें और ज़्यादा सतर्क होना चाहिए.
अरविंद ओझा / सचिन गौड़