हरियाणा में कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव 2024 में शानदार प्रदर्शन करते हुए राज्य की 10 लोकसभा सीटों में से 5 पर कब्जा जमाया था. 2019 के आम चुनाव से उनका वोट प्रतिशत 28.42% से बढ़कर 43.67% पर पहुंच गया है. इस शानदार प्रदर्शन के बाद कांग्रेस आगामी राज्य विधानसभा चुनाव के लिए काफी उत्साहित नजर आ रही है. पार्टी के दिग्गज नेताओं को लग रहा है कि वो विधानसभा चुनाव में कमाल कर सकते हैं.लेकिन सबसे बड़ी चुनौती कार्यकर्ताओं को एकजुट रखना है.
हरियाणा में लगातार सुधर रहा कांग्रेस का ग्राफ
राज्य में कांग्रेस का प्रदर्शन लगातार सुधर रहा है. 2014 के विधानसभा चुनाव में 25 सीटें जीतने वाली कांग्रेस पार्टी ने 2019 में अपनी सीटों की संख्या बढ़ाकर 31 कर ली थी. पार्टी का वोट शेयर 20.58 प्रतिशत से बढ़कर 28.08 प्रतिशत हो गया था. इसी तरह लोकसभा चुनाव में भी पार्टी के वोट शेयर में उछाल आया.भले ही राज्य में पार्टी का प्रदर्शन लगातार सुधर रहा हो लेकिन हरियाणा में कांग्रेस के लिए सबसे बड़ी चुनौती पार्टी संगठन का अभाव है. पार्टी के कई वरिष्ठ नेताओं ने हाल ही में जून में हुई बैठक में पार्टी आलाकमान के सामने यह मुद्दा भी उठाया था.
गुटबाजी के कारण कमजोर है संगठन
राज्य कांग्रेस की इकाई के भीतर गुटीय झगड़े के मसले उठते रहे हैं. पार्टी आलाकमान ने राज्य इकाई में बढ़ती गुटबाजी को गंभीरता से लिया था. सूत्रों का कहना है कि AICC प्रभारी दीपक बाबरिया को अनुशासनहीनता करने वाले नेताओं के खिलाफ कार्रवाई करने का अधिकार दिया गया है. इस बैठक में भूपेंद्र सिंह हुड्डा, कुमारी सैलजा, उदय भान और प्रदेश मामलों के प्रभारी दीपक बाबरिया मौजूद थे.
यह गुटबाजी तब खुलकर सामने आई थी जब कुमारी सैलजा ने हाल ही में एक साक्षात्कार में हुड्डा और बाबरिया पर निशाना साधते हुए कहा था कि ऐसे कई लोग हैं जो अकेले जाना चाहते हैं. जब कोई यह ठान ले कि वह सहयोग नहीं करेगा तो कुछ नहीं कहा जा सकता.
हरियाणा कांग्रेस पर हुड्डा गुट का कब्जा!
पूर्व मुख्यमंत्री पर आरोप लगता है कि वह कांग्रेस की राज्य इकाई को नियंत्रित करने की कोशिश करते हैं.प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष उदय भान भी हुड्डा खेमे से हैं. दिलचस्प बात यह है कि एआईसीसी के राज्य प्रभारी दीपक बाबरिया भी कथित तौर पर प्रमुख कांग्रेस खेमे की राह पर चल रहे हैं. बाबरिया पर आरोप हैं कि उनका झुकाव भी हुड्डा खेमे की ओर है. पार्टी को एकजुट रखने के लिए हाईकमान चुनाव से पहले सीएम चेहरे की घोषणा करने के पक्ष में नहीं है, लेकिन हुड्डा खेमा भूपिंदर सिंह हुड्डा को पार्टी का चेहरा घोषित करने पर अड़ा हुआ है.
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हुड्डा को जाट समुदाय से नजदीकी का मिल सकता है फायदा
लोकसभा चुनाव के नतीजों से साफ हुआ कि कांग्रेस का पारंपरिक मतदाता अभी उसके साथ ही है. जाट मतदाता एक बार फिर कांग्रेस का समर्थन करने लगा है. भूपिंदर सिंह हुड्डा गुट की उन्हें सीएम चेहरे के रूप में घोषित करने की मांग जाट समुदाय के बीच उनकी लोकप्रियता से ही जुड़ी है. राज्य में जाट वोट शेयर लगभग 25 प्रतिशत है. रोहतक, हिसार और सोनीपत सहित जाट बेल्ट में कांग्रेस के शानदार प्रदर्शन से पता चलता है कि वह जाट वोटों को एकजुट करने में सफल रही. दलित मतदाता भी कांग्रेस की ओर लौट रहे हैं. अंबाला और सिरसा पर कांग्रेस ने कब्जा जमाया था.
कांग्रेस के पास अच्छा मौका
चुनाव विशेषज्ञों का कहना है कि कांग्रेस के पास राज्य में सत्ता में वापसी का अच्छा मौका है. सत्ता विरोधी लहर के अलावा, पार्टी के 6000 रुपये प्रति माह की मासिक सामाजिक सुरक्षा पेंशन, 300 यूनिट मुफ्त बिजली, गृहिणियों को सब्सिडी वाले एलपीजी सिलेंडर, पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) की बहाली और 100 वर्ग गज के वादे के ऐलान का असर दिख रहा है. पार्टी के करीबी सूत्रों का कहना है कि राहुल गांधी ने असंतोष रोकने के लिए टिकट आवंटन का अपना फॉर्मूला तैयार कर लिया है. सर्वे में मजबूत उम्मीदवार को ही टिकट दिया जाएगा.
मनजीत सहगल