दिल्ली सरकार ने 2025 तक यमुना की सफाई पूरी करने के लिए यमुना विहार एसटीपी की क्षमता को बढ़ाने और यमुना तक साफ पानी पहुंचाने के लिए विशेष पाइपलाइन डालने की परियोजना के प्रस्ताव को मंजूरी दी है. इस परियोजना के तहत यमुना विहार एसटीपी की क्षमता 45 एमजीडी से बढ़ाकर 70 एमजीडी की जाएगी.
आधुनिक तकनीक से अपग्रेड कर सीवेज के पानी को बेहतर तरीके से शोधित किया जाएगा, ताकि गंदे पानी के बायोलॉजिकल ऑक्सीडेशन डिमांड (बीओडी) स्तर को शोधित कर 10 तक लाया जा सके. परियोजना के पूरा होने पर पूर्वी दिल्ली की करीब 6 लाख आबादी को फायदा होगा. साथ ही पूर्वी दिल्ली के नाले में गंदे पानी के बहाव को कम करने में मदद मिलेगी.
शोधित पानी के पुनर्चक्रण और दोबारा उपयोग के बारे में जानकारी देते हुए जल मंत्री मनीष सिसोदिया ने बताया कि एसटीपी से आने वाले ट्रीडेड पानी से न केवल यमुना को साफ करने में मदद करेगा, बल्कि अन्य चीजों के लिए भी बेहद उपयोगी है. इसे बागवानी और दिल्ली की झीलों का कायाकल्प करने आदि में इस्तेमाल किया जा सकेगा, ताकि पीने योग्य पानी की बढ़ती मांग को पूरा किया जा सके.
केजरीवाल सरकार की तरफ से यमुना विहार एसटीपी से यमुना नदी तक एक विशेष पाइपलाइन डाली जाएगी. वर्तमान में वहां एक पाइपलाइन पहले से ही बिछी हुई है, लेकिन सीमित क्षमता होने के चलते डीजेबी ने एक अन्य पाइपलाइन डालने की योजना बनाई है. इस पाइपलाइन के बिछने से ज्यादा से ज्यादा ट्रीटेड पानी यमुना तक पहुंच सकेगा. दिल्ली सरकार का यह कदम यमुना को 2025 तक साफ करने के लक्ष्य को भी पूरा करने में मददगार साबित होगा.
मनीष सिसोदिया ने बताया कि वर्तमान में यमुना विहार एसटीपी की क्षमता 45 एमजीडी है. इसकी क्षमता बढ़ने के बाद पूर्वी दिल्ली के ड्रेन-1 में गंदा पानी नहीं गिरेगा. ड्रेन-1 में प्रवाह कम होने से शाहदरा ड्रेन में गिर रहे गंदे पानी में कमी आएगी. शाहदरा ड्रेन यमुना में प्रदूषण करने वाली प्रमुख 4 नालों में से एक है. इसके अलावा आधुनिक तकनीक से एसटीपी अपग्रेड होने के बाद गंदे पानी के बायोलॉजिकल ऑक्सीडेशन डिमांड (बीओडी) स्तर को शोधित कर 10 तक लाया जा सकेगा. परियोजना के पूरा होने के बाद इलाके के करीब 6 लाख आबादी को लाभ मिलेगा.
जानें क्या है बीओडी और टीएसएस?
दरअसल, सीवर के पानी की बायोकेमिकल ऑक्सीजन डिमांड (बीओडी) 250 तक होती है. गंदे पानी को शोधित कर 10 तक लाया जाता है. इसके बाद नाले में डाल दिया जाता है. सीवर के शोधित पानी में दो बातों को देखा जाता है. पहला, बीओडी और दूसरा सीओडी होता है. बीओडी ऑक्सीजन की मात्रा है, जो एरोबिक स्थितियों के तहत कार्बनिक पदार्थों को विघटित करते हुए बैक्टीरिया द्वारा खपत होती है. वहीं, सीओडी पानी में कुल कार्बनिक पदार्थों के रासायनिक ऑक्सीकरण के लिए आवश्यक ऑक्सीजन की मात्रा है.
इसके अलावा टीएसएस (टीएसएस) भी पानी की गुणवत्ता जांचने का एक महत्वपूर्ण उपाय है. टोटल सस्पेंडेड सॉलिड (टीएसएस) सूक्ष्म कणों का वह भाग है, जो पानी में निलंबन में रहता है। यमुना विहार में मौजूदा 45 एमजीडी क्षमता वाले एसटीपी में बीओडी/टीएसएस को 20/30 मिलीग्राम प्रति लीटर के हिसाब से सीवर के पानी को उपचारित करने के लिए डिज़ाइन किया गया था. जबकि, वर्तमान डीपीसीसी मानदंडों के अनुसार बायो न्यूट्रिएंट रिमूवल के साथ ट्रीटेड एफ्लुएंट के पैरामीटर बीओडी (10एमजी/आई और टीएसएस)10 मिलीग्राम प्रति लीटर होना चाहिए. इसलिए मौजूदा एसटीपी को अपग्रेड किया जाएगा, ताकि सीवेज का गंदा पानी बेहतर तरीके से ट्रीट हो सके.
आधिकारिक जानकारी के मुताबिक केजरीवाल सरकार दिल्ली के अलग अलग वेस्ट वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट की क्षमता बढ़ाने के साथ उन्हें अपग्रेड कर रही है, जिससे गंदे पानी को उपचारित किया जा सकेगा और यमुना साफ होगी. कई एसटीपी टीएसएस-10 मिलीग्राम प्रति लीटर के अपशिष्ट प्रवाह मानकों के साथ नवीनतम तकनीक से बनाए गए हैं, जिसमें नाइट्रोजन, फास्फोरस हटाने के साथ-साथ कीट भी मारे जा सकते हैं.
बता दें कि दिल्ली में यमुना सफाई एक बड़ा राजनीतिक मुद्दा रहा है. मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने फरवरी 2025 तक यमुना को साफ करने की जिम्मेदारी डीजेबी को दी है. यमुना क्लीनिंग सेल नए एसटीपी, डीएसटीपी का निर्माण, मौजूदा एसटीपी का 10/10 तक उन्नयन और क्षमता वृद्धि, अनधिकृत कालोनियों में सीवरेज नेटवर्क बिछाना, सेप्टेज प्रबंधन, ट्रंक सीवर लाइनों की गाद निकालना, पहले से अधिसूचित क्षेत्रों में सीवर कनेक्शन उपलब्ध कराना, आइएसपी के तहत नालों की ट्रैपिंग, नालियों का इन-सीटू ट्रीटमेंट कर रही है.
पंकज जैन