सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली आबकारी नीति घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में आम आदमी पार्टी (AAP) नेता और राज्यसभा सदस्य संजय सिंह को मंगलवार को जमानत दे दी. इससे पहले प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने कहा था कि अगर सिंह को मामले में जमानत दी जाती है तो उसे कोई आपत्ति नहीं है. जमानत मिलने के बाद आज संजय सिंह तिहाड़ जेल से बाहर आ सकते हैं. संजय सिंह की जमानत की शर्तें ट्रायल कोर्ट द्वारा तय की जाएंगी.
दरअसल मंगलवार को जमानत मिलने के बाद बेल से जुड़ी कुछ फॉर्मेलिटीज पूरी नहीं सकी थी और सुप्रीम कोर्ट का बेल से जुड़ा आदेश भी अपलोड नहीं किया गया था. सुप्रीम कोर्ट से ऑर्डर पहले ट्रायल कोर्ट को भेजा जाना था और उसके बाद ट्रायल कोर्ट बेल का ऑर्डर तिहाड़ जेल में पहुंचना था. ये तमाम औपचरिकताएं मंगलवार को पूरी नहीं होने की वजह से वह जेल से बाहर नहीं आ सके थे.
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आज सुप्रीम कोर्ट के ऑर्डर कॉपी पहले राउज एवेन्यू कोर्ट में जाएगी, जहां इस मामले की सुनवाई जारी है. कोर्ट उनकी जमानत की शर्तें तय करेगा. यहां रिलीज ऑर्डर जमा होने के बाद बेल बॉन्ड बनेगा और उसके बाद ये बेल बॉन्ड से ऑर्डर तैयार होगा जो तिहाड़ जेल सुपरिंटेंडेंट के पास भेजा जाएगा और तब जाकर संजय सिंह की रिहाई हो पाएगी.
2 बजे तक रिहाई संभव
संजय सिंह की पत्नी, दोनों बच्चे और उनके दफ्तर के सहयोगी कुछ देर में घर से अस्पताल के लिए रवाना होंगे. अपने वकील के साथ संजय सिंह की पत्नी सुबह 10 बजे राउज एवेन्यू कोर्ट पहुंचेंगी. यहां से अदालत से रिहाई का आदेश लेकर के परिवार के सदस्य और वकील तिहाड़ जेल जाएंगे. कहा जा रहा है कि 11 बजे के करीब आईएलबीएस अस्पताल से संजय सिंह को डिस्चार्ज मिलेगा. वहां से संजय सिंह को सीधे तिहाड़ जेल ले जाया जाएगा
रिहाई के आदेश जेल अथॉरिटी को सौंपने के बाद रिहाई की प्रक्रिया पूरी होगी.लगभग 2 के बाद संजय सिंह की रिहाई संभव हैं. तिहाड़ सूत्रों के मुताबिक, 24 घंटे के मेडिकल ग्राउंड पर संजय सिंह को मंगलवार सुबह 10 बजे ILBS अस्पताल ले जाया गया था.
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जमानत के साथ हिदायत
कोर्ट ने साफ किया है कि संजय सिंह को मिली राहत को नजीर की तरह ना समझा जाए. ये वाक्य लिखने का सीधा और साफ मतलब यही है कि इस आदेश के आधार पर दूसरा आरोपी ऐसी ही राहत का दावा नहीं कर सकता. संजय सिंह के वकील ने कोर्ट को आश्वस्त किया कि वो इस केस में अपनी भूमिका को लेकर जमानत पर रहने के दौरान कोई टिप्पणी नहीं करेंगे.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इसका अनिवार्य रूप से मतलब यह होगा कि इस मामले के अन्य आरोपियों को इससे राहत नहीं मिलने वाली है. कोर्ट के आदेश के आधार पर ईडी किसी भी तरह से अन्य आरोपियों को समान रियायत देने के लिए बाध्य नहीं होगी. अन्य अदालतें भी इस आदेश से आरोपियों को राहत देने के लिए बाध्य नहीं होंगी. सुप्रीम कोर्ट की इस अहम टिप्पणी ने कहीं न कहीं आम आदमी पार्टी की टेंशन बढ़ा दी है.
अमित भारद्वाज / संजय शर्मा / आशुतोष मिश्रा