PUC का फर्जीवाड़ा, प्रतिबंधित बसों की एंट्री... 'ऑपरेशन लक्ष्मण रेखा' से दिल्ली की हवा में जहर घोलते 'मौत के सौदागरों' का पर्दाफाश

'आजतक' के स्टिंग ऑपरेशन ने दिल्ली में चल रहे पीयूसी सर्टिफिकेट के गोरखधंधे और प्रतिबंधित बसों की अवैध एंट्री का सनसनीखेज खुलासा किया है. जांच में सामने आया कि दिल्ली और गाजियाबाद में कई पीयूसी सेंटर खुलेआम बिना वाहन जांचे सर्टिफिकेट जारी कर रहे हैं.

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सरकार ने प्रदूषण पर लगाम लगाने के लिए पीयूसी सर्टिफिकेट अनिवार्य किया है (File Photo- PTI) सरकार ने प्रदूषण पर लगाम लगाने के लिए पीयूसी सर्टिफिकेट अनिवार्य किया है (File Photo- PTI)

आजतक ब्यूरो

  • नई दिल्ली,
  • 24 दिसंबर 2025,
  • अपडेटेड 11:48 PM IST

देश की राजधानी दिल्ली में जहां 3 करोड़ 40 लाख आबादी हर सर्दियों में जहरीली हवा और 'स्मॉग' के साये में जीने को मजबूर है, वहां प्रशासन की नाक के नीचे एक ऐसा सिंडिकेट चल रहा है जो चंद रुपयों के लिए लोगों के फेफड़ों में जहर भर रहा है. 'आजतक' के स्टिंग 'ऑपरेशन लक्ष्मण-रेखा' ने दिल्ली और एनसीआर में चल रहे पीयूसी (Pollution Under Control) सर्टिफिकेट के गोरखधंधे और प्रतिबंधित बसों की अवैध एंट्री का सनसनीखेज खुलासा किया है.

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जांच में सामने आया कि दिल्ली और उससे सटे गाजियाबाद में कई पीयूसी (Pollution Under Control) सेंटर खुलेआम बिना वाहन जांचे सर्टिफिकेट जारी कर रहे हैं. गोकुलपुरी रोड स्थित अधिकृत पीयूसी सेंटर के संचालक हर्ष खन्ना, लोनी-भोपुरा रोड के संतोष और भीम मावी जैसे लोग सिर्फ गाड़ी की तस्वीर या वीडियो के आधार पर 300-400 रुपये लेकर पीयूसी सर्टिफिकेट बना रहे थे.

फर्जी पीयूसी का खुला खेल

प्रदूषण पर लगाम लगाने के लिए सरकार ने पीयूसी सर्टिफिकेट अनिवार्य किया है, लेकिन जांच में सामने आया कि यह केवल एक कागजी खानापूर्ति बनकर रह गया है. आजतक के खुफिया कैमरे में ऐसे ही कई लोग कैद हुए जो खुलेआम फर्जी पीयूसी जारी कर रहे हैं. हमारी अंडरकवर टीम दिल्ली के गोकुलपुरी रोड स्थित अधिकृत पीयूसी सेंटर P-1083 पर पहुंची. यहां सेंटर संचालक हर्ष खन्ना बिना किसी वाहन जांच के सिर्फ फोटो के आधार पर पीयूसी सर्टिफिकेट बनाने को तैयार हो गया. सरकारी रेट 95 रुपये होने के बावजूद 400 रुपये नकद लेकर फर्जी पीयूसी जारी किया गया.

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स्टिंग के दौरान दिल्ली के ज्योति नगर थाने में खड़ी BS-4 कार (DL12CH0139) और एक बाइक (DL5SCP9887), जिनके पीयूसी महीनों पहले एक्सपायर हो चुके थे, उनकी तस्वीर भेजते ही चंद मिनटों में वैध पीयूसी सर्टिफिकेट जारी कर दिए गए. जांच करने पर ये सर्टिफिकेट सरकारी पोर्टल पर सही पाए गए.

गाजियाबाद में भी वही कहानी

इसके बाद हमारी टीम ने गाजियाबाद के सेंटर का रुख किया ताकि पता चले दिल्ली की तरह यहां तो पीयूसी के नाम पर धांधली नहीं हो रही. लोनी-भोपुरा रोड पर स्थित सीएनजी पंप पर बने पीयूसी सेंटर पर संतोष नाम का व्यक्ति मिला. वह भी बिना गाड़ी चेक किए PUC बनाने को तैयार हो गया. अब हमें संतोष को किसी भी गाड़ी के नंबर प्लेट की फोटो भेजनी थी. सवाल यही था क्या थाने के मालखाने में खड़ी गाड़ी का भी पीयूसी सर्टिफिकेट बन सकता है. हमने भजनपुरा थाने में खड़ी कार, जिसका नंबर है DL8CW3207, की फोटो भेजी. इसका पीयूसी 2023 में एक्सपायर हो चुका है और गाड़ी की हालत ऐसी है कि यहां से हिलना भी संभव नहीं है. ठीक ऐसे ही एक बाइक जिसका नबंर DL5SBC2655, की तस्वीर संतोष को वाट्सअप के जरिए भेजी. चंद मिनटों में थाने में खड़ी गाड़ियों का पीयूसी बनकर हमारे पास आ गया. ये पीयूसी सर्टिफिकेट भी सही निकला.

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इ्स फर्जीवाड़े का खुलासा करने के बाद टीम लोनी-भोपुरा रोड पर ही एक और PUC चेकिंग सेंटर पर पहुंची. यहां मुलाकात भीम मावी से हुई. उससे हमने बिना गाड़ी लाए सर्टिफिकेट बनवाने की बात की, वो भी तैयार हो गया, लेकिन एक शर्त पर. वो थी कि गाड़ी की तस्वीर की बजाय वीडियो चाहिए. जैसा मावी ने कहा, हमने वैसा ही किया. मावी को कार का वीडियो भेजा और कार का पीयूसी सर्टिफिकेट बनकर आ गया. पड़ताल के दौरान खुलासा हुआ कि दिल्ली और गाजियाबाद में पीयूसी सेंटर के गोरखधंधे के तार कई राज्यों से जुड़े हुए हैं, क्योंकि तस्वीर गाजियाबाद के सेंटर को भेजी गई और पीयूसी सर्टिफिकेट हरियाणा परिवहन विभाग का मिला. 

अब सवाल यही है कि दिल्ली में प्रदूषण फैलाने का लाइसेंस बांटने वाले हर्ष खन्ना, संतोष और मावी जैसे देश के दुश्मनों का गोरखधंधा कैसे चल रहा है? इसका जवाब है परिवहन मंत्रालय और PUC सेंटर की सांठगांठ. PUC सेंटर का लाइसेंस बांटने का काम राज्य परिवहन विभाग का है. PUC सेंटर पर नजर रखने का काम राज्य के परिवहन विभाग का है. ऐसे में परिवहन विभाग की मिलीभगत के बिना ऐसा गोरखधंधा संभव नहीं. 

'ऑपरेशन लक्ष्मण-रेखा' से खुली अधिकारियों की नींद

जैसे ही आजतक पर दिल्ली में प्रदूषण फैलाने का सर्टिफिकेट देने वाले पीयूसी सेंटर का खुलासा हुआ, रेखा गुप्ता सरकार हरकत में आई. दिल्ली सरकार ने पीयूसी केंद्रों में चल रहे गोरखधंधे पर शिकंजा कसने का ऐलान किया है. सरकार ने कहा कि बेपर्दा PUC सेंटर का लाइसेंस रद्द होगा और राजधानी के 800 PUC केंद्रों की जांच कराई जाएगी. इस दौरान नियमों का उल्लंघन करने वालों पर एक्शन होगा. उधर, आजतक के खुलासे के बाद गाजियाबाद परिवहन विभाग की भी नींद टूटी. गाजियाबाद RTO ने पीयूसी सेंटरों का लाइसेंस रद्द करने के निर्देश दिए हैं.

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दिल्ली की सड़कों पर दौड़ती प्रतिबंधित बसें

एक तरफ दिल्ली हाईकोर्ट टिप्पणी कर रहा है कि एक व्यक्ति दिन में 21,000 बार सांस लेता है, वहीं दूसरी तरफ BS-3 और BS-4 की खटारा बसें धड़ल्ले से दिल्ली में घुस रही हैं. सवाल यही है कि इसका जिम्मेदार कौन है? जब प्रदूषण से लोगों का दम घुट रहा है, अदालतें फिक्रमंद नजर आ रही हैं. तब वो कौन से अवसर हैं, जो दिल्ली का AQI बढ़ाने वाली डग्गामार बसों को दिल्ली के अंदर एंट्री दे रहे हैं. 

आजतक के कैमरे पर बस मालिकों और हेल्परों ने स्वीकार किया कि वे पुलिस और टोल पर 'ले-देकर' (करीब 200 रुपये की रिश्वत) प्रतिबंधित इलाकों में प्रवेश करते हैं. ट्रैफिक पुलिस के एडिशनल सीपी दिनेश के. गुप्ता ने दावा किया कि बॉर्डर्स पर 'राउंड द क्लॉक' निगरानी है, लेकिन हकीकत में 2017 मॉडल की डीजल बसें ग्रैप-4 के नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए दिल्ली के कबीर नगर जैसे इलाकों में सवारियां भर रही हैं.

भले ही अब दिल्ली में ग्रैप 4 की पाबंदियां हटा ली गई हैं, लेकिन ये बसें आजतक की कैमरे में उस वक्त कैद हुईं, जब ग्रैप-4 लागू था. जब बस को यहां दिखाई भी नहीं देना चाहिए था. लेकिन बीएस-3 होने के बावजूद ये दिल्ली के अंदर दाखिल भी हुईं और सवारिया लेकर रवाना भी हुईं. बस नंबर UP22AT0875 (2017 मॉडल, EURO-3 डीजल) और UP38AT2453 जैसी बसों के हेल्परों और मालिकों ने कैमरे पर स्वीकार किया कि ले-देकर सब चलता है. एक बस मालिक ने बताया कि 200 रुपये टोल देकर दिल्ली में एंट्री मिल जाती है और कोई रोकने वाला नहीं.

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2020 से भारत में स्टेज-6 यानी BS-6 लागू हुआ है. इससे पहले के BS-4 और BS-3 वाहन थे, जो दिल्ली में पूरी तरह से बैन हैं. इसके बावजूद ये बसें रोज दिल्ली की सड़कों पर दौड़ रही हैं.

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