दिल्ली सरकार की नई आबकारी नीति ने राजधानी में दारू के धंधे के सारे समीकरण उलट-पुलट कर रख दिए. दिल्ली में तो इसका असर हुआ ही, एनसीआर के पड़ोसी जिलों में भी शराब के शौकीनों की भागदौड़ इससे बढ़ गई. राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) कहे जाने के बावजूद गुरुग्राम, दिल्ली और नोएडा में शराब की अलग-अलग दरें हैं.
एनसीआर में सबसे सस्ती शराब गुरुग्राम में है. शराब की कम कीमत के मामले में गुरुग्राम के बाद दिल्ली का नंबर आता है. शराब की सबसे ज्यादा कीमत नोएडा में है. इससे दिल्ली और नोएडा-गाजियाबाद के कुछ हिस्सों में तस्करी और बूटलेगिंग हो रही है. तस्करी से न केवल राज्य सरकारों को राजस्व का नुकसान होता है, बल्कि सीमा के करीब कुछ क्षेत्रों में बार और पब को भी चपत लगती है.
कन्फ्यूजन से चली कमाई पर कैंची...दूर नहीं हो रहीं दिल्ली में दारू के धंधे की दुश्वारियां!
एक सिंगल माल्ट भारतीय व्हिस्की की कीमत गुरुग्राम में एल1 (थोक) शराब की दुकान में लगभग 3000 रुपये, नोएडा में 8000 रुपये और दिल्ली में 5000 रुपये से अधिक हो सकती है. कीमतों में ये अंतर राज्य सरकारों द्वारा लगाए गए टैक्स के चलते है. दिल्ली की नई शराब नीति से शराब की कीमतों में कमी आई है लेकिन गुरुग्राम अब भी एनसीआर में सबसे सस्ती शराब बेच रहा है.
गुरुग्राम में दाम कम होने के कारण दिल्ली और नोएडा दोनों के सीमावर्ती इलाकों में 6-8 किलोमीटर के दायरे में मौजूद पब, बार, शराब की दुकानों को जबर्दस्त नुकसान होता है क्योंकि ज्यादातर लोग सस्ती शराब पाने के लिए सीमा पार कर जाते हैं. गाजियाबाद में एक पब के मालिक युद्धवीर सिंह कहते हैं कि वसुंधरा, इंदिरापुरम जैसे सीमावर्ती क्षेत्रों में बने पब और बार में ग्राहकों की कमी हैं क्योंकि ज्यादातर लोग सस्ती शराब के लिए दिल्ली चले जाते हैं. दिल्ली और हरियाणा से शराब की तस्करी के कारण कमाई चौपट है.
सीमा पार करते ही कीमतों में 50-60 रुपये का अंतर
बीयर की एक बोतल की कीमत नोएडा से दिल्ली या दिल्ली से गुरुग्राम की सीमा पार करते ही 50 से 60 रुपये तक घट-बढ़ जाती है. नोएडा में जहां बीयर का रेट 150 रुपये प्रति बोतल है, वहीं दिल्ली का औसत रेट 90-100 रुपये और गुरुग्राम के कुछ पबों में 600 रुपये प्रति घड़ा (5 लीटर) बिकता है. इस भारी अंतर की वजह से नोएडा के सेक्टर 18 जैसे इलाकों में पब के कारोबार में भी घाटा होता है.
दिल्ली के महिपालपुर इलाके में एक पब के मालिक मंजीत सिंह कहते हैं कि गुरुग्राम में वहां की नीतियों के कारण सबसे सस्ती बीयर है. दिल्ली के निवासी अक्सर गुरुग्राम पहुंचने के लिए स्थानीय बार छोड़ देते हैं, जहां ठंडी बीयर बहुत कम दर पर बेची जाती है. सेक्टर 18 मार्केट के एक पब के मैनेजर अंकुर कुमार कहते हैं कि हमारे यहां बेहतर पब हैं लेकिन कई लोग दक्षिण दिल्ली के सस्ते पब चुनते हैं. वे बताते हैं कि हरियाणा में सबसे सस्ती शराब होने की वजह से गुरुग्राम और दिल्ली, नोएडा और गाजियाबाद से भीड़ को आकर्षित करते हैं. सस्ती दर के साथ पब तक पहुंचने के लिए लोग एक घंटे या उससे अधिक की यात्रा से भी गुरेज नहीं करते. वैसे समस्या सिर्फ इतनी नहीं है.
दिल्ली की नई आबकारी नीति के बाद मनचाहे ब्रांड की किल्लत से शराब के शौकीन जूझ रहे हैं. दिल्ली की चिलचिलाती गर्मी में अपने आप को कूल रखने के लिए शराब के शौकीन बीयर के भरोसे रहते हैं लेकिन ये शौक पूरा करने के लिए उनको आजकल खूब पसीना बहाना पड़ रहा है. गर्मी में पारा चढ़ने के साथ ही दिल्ली में पानी के साथ बीयर की डिमांड भी बढ़ जाती है. एक के साथ एक मुफ्त के ऑफर से भी बड़ी तादाद में लोगों ने दो महीने का बीयर स्टॉक कर लिया है. ये सोचकर कि कहीं आगे रेट न बढ़ जाए.
बीयर के शौकीनों की कहानी
दिल्ली के प्रीत विहार में रहने वाले संजू ने एक महीने से अपने पसंदीदा ब्रांड की बीयर नहीं खरीदी है. संजू बताते हैं कि अपने पसंदीदा ब्रांड की बीयर खरीदने के लिए हर रोज 300 रुपये का पेट्रोल जलाकर इधर से उधर भागता हूं और अंत में थक-हारकर दूसरे ब्रांड की बीयर खरीदनी पड़ती है. दोस्तों को पार्टी देने के लिए शाहदरा से लगभग पांच किलोमीटर का सफर करके जगतपुरी पहुंचे जतिन को ये उम्मीद थी कि सात बोतल बीयर मिल जाएगी.
जतिन बताते हैं कि पांच किलोमीटर के सफर में सात दुकानों पर बीयर की तलाश की लेकिन सिर्फ एक दुकान पर मिली वो भी सिर्फ एक बोतल. जगतपुरी इलाके के रहने वाले विजेंद्र चार दुकानों में हार्ड चिल्ड बीयर की तलाश करने के बाद लक्ष्मीनगर पहुंचे लेकिन वहां भी मनचाही बीयर नहीं मिल पाई. मजबूर होकर विजेंद्र को लाइट बीयर लेना पड़ा.
क्यों हो रही है बीयर की किल्लत?
गीता कॉलोनी इलाके में आजतक की टीम शराब की दुकान पर पहुंची जहां काउंटर तक पहुंचने के लिए भीड़ में लगभग 20 मिनट जूझना पड़ा. वाकई गर्मी का असर मानो शराब की दुकान पर ही नजर आ रहा हो. एक बोतल शराब के लिए बीयर के शौकीन पसीना बहाते नजर आए. राकेश एक के साथ एक बीयर मुफ्त की उम्मीद लेकर दुकान पर पहुंचे लेकिन सिर्फ एक ही बीयर मिल पाई क्योकि स्टॉक खत्म हो गया था.
दुकानदार सोनू ने बताया कि गर्मी में अक्सर बीयर की डिमांड ज्यादा बढ़ जाती है लेकिन जब से एक के साथ एक बीयर मुफ्त दी जा रही है, खपत दोगुनी हो गई है. सोनू के मुताबिक पहले एक व्यक्ति औसतन दो बोतल खरीदता था उसको अब दो बोतल के साथ दो बोतल मुफ्त मिल रही है. उन्होंने ये भी बताया कि कंपनियां जो बीयर की मैन्युफैक्चरिंग करती हैं, वे मैन्युफैक्चरिंग बढ़ा नहीं पा रही है. इससे बीयर की काफी ज्यादा किल्लत हो रही है.
डिमांड बढ़ी लेकिन सप्लाई नहीं
लक्ष्मी नगर के दुकानदार ने बताया कि एक के साथ एक मुफ्त होने के कारण बीयर की डिमांड दुगनी रफ़्तार से बड़ी है . लोग 3 से 4 महीने का स्टॉक अपने घरों में कर रहे हैं.जिस पर कोई सरकारी रोक नही है.. लेकिन मैन्युफैक्चरिंग उतनी तेजी के साथ नहीं बढ़ी है.इसके पीछे का सबसे महत्वपूर्ण कारण दरअसल ये है. बीयर 6 महीने के अंदर एस्पायर हो जाती है. इसलिए ज्यादातर कंपनियां उतनी ही मैन्युफैक्चरिंग कर रही है जितना वह पहले करती थी लेकिन डिमांड बढ़ी है सप्लाई नहीं जिसके कारण बीयर की किल्लत ज्यादातर दुकानों पर देखने को मिली.
ब्रांड से करना पड़ रहा है समझौता
बीयर का शौक रखने वाले लोगों को उनके मन मुताबिक ब्रांड भी नहीं मिल पा रहा है. लोगों को हाई प्रोफाइल ब्रांड से भी समझौता करना पड़ रहा है. बीयर पीने का शौक रखने वाले सुशील ने बताया कि डेढ़ महीने से उनको उनका मनपसंद राज नहीं मिल पा रहा है. मजबूरन उनको लाइट बीयर से कंप्रोमाइज करना पड़ रहा है.
कितनी है बीयर की डिमांड?
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में औसतन 1 करोड़ 20 लाख पेटी बीयर की हर साल खपत होती है. सिर्फ गर्मी के महीने अप्रैल, मई, जून और जुलाई में ये डिमांड 20 से 25 लाख पेटी हर महीने की होती है. यानी 70 फीसदी बीयर सिर्फ गर्मी के सीजन में ही बिकती है.
शराब की मीडियम ब्रांड की भी किल्लत
प्रीत विहार के रहने वाले विनीत के घर से महज चंद कदमों की दूरी पर शराब की नई दुकान खुली है लेकिन उनकी मनपसंद व्हिस्की नहीं मिल पा रही है. इस व्हिस्की की कीमत लगभग 1700 रुपये प्रति बोतल है जो इन दिनों 25 प्रतिशत डिस्काउंट के बाद लगभग 1275 रुपये की मिल रही है. शॉर्टेज के करण वो नहीं मिल पा रही है. विनीत बताते हैं कि इसके लिए उनको घर से डेढ़ से दो किलोमीटर की दूरी तय कर दूसरी दुकान पर जाना पड़ रहा है लेकिन वहां उन्हें वो डिस्काउंट नही मिल पा रहा जो पड़ोस का दुकानदार दे रहा है.
लोकल ब्रांड में है भारी डिस्काउंट
कृष्णा नगर के रहने वाले जुगल किशोर बताते है कि हजार रुपये से कम कीमत वाली शराब पर ही दुकानदार डिस्काउंट दे रहे हैं. हजार रुपये से ज्यादा की शराब पर किसी दुकान पर 15% तो किसी पर 25% डिस्काउंट मिल रहा है तो कहीं-कहीं बिल्कुल नहीं मिल पा रहा.
अभिषेक आनंद / सुशांत मेहरा