दिल्ली में तेज आंधी और बारिश ने भारी तबाही मचाई, जिससे सड़कें और अंडरपास पानी में डूब गए और सामान्य जीवन अस्त-व्यस्त हो गया. द्वारका में पेड़ गिरने से चार लोगों की मौत हो गई, जबकि कई इलाकों में जलभराव से ट्रैफिक बाधित हुआ. शुक्रवार सुबह करीब तीन घंटे में 80 मिलीमीटर बारिश हुई. हालांकि, सवाल उठ रहे हैं कि भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) दिल्ली में आए तेज तूफान और भारी बारिश को लेकर अलर्ट देने में कैसे चूक गया?
दिल्ली में सटीक मौसम भविष्यवाणी क्यों मुश्किल है?
दिल्ली भारत की राजधानी है, ऐसे में यहां की सटीक मौसम जानकारी लोगों तक न पहुंचना आईएमडी बड़ा सवाल खड़ा करती है. हालांकि, दिल्ली का मौसम को लेकर भविष्यवाणी करना थोड़ा मुश्किल है. क्योंकि दिल्ली का क्षेत्रफल छोटा है. इसलिए आईएमडी इसे अलग डिवीजन के तौर पर नहीं मानता है.
दिल्ली, चंडीगढ़ और हरियाणा को आईएमडी एक ही डिवीजन में रखा गया है, जिससे अलर्ट पूरे क्षेत्र के लिए जारी होते हैं. न कि सिर्फ राष्ट्रीय राजधानी के लिए.
आईएमडी किस तरह के अलर्ट जारी करते हैं?
आईएमडी प्रमुख तौर पर तीन तरह का अलर्ट जारी करते हैं. पहला 'लंबी अवधि' के लिए. यानि इसमें महिनों के लिए भविष्यवाणी की जाती है. दूसरा 'मध्यम अवधि' के लिए, इसमें 3–5 दिन के लिए भविष्यवाणी जारी की जाती है. तीसरा 'तत्काल अलर्ट' जारी होता है. इसमें हर घंटे और हर तीन घंटे में मौसम का अपडेट जारी किया जाता है.
दिल्ली में शुक्रवार सुबह जो तूफान के साथ तेज बारिश आई वह 'तत्काल अलर्ट' कैटेगरी में आती है. यानि अचानक बदलते मौसम के श्रेणी में आती है. ऐसे श्रेणी के मौसम बहुत कम समय के लिए ही बनते हैं और बहुत ही छोटे क्षेत्रफल को ही प्रभावित करते हैं.
आईएमडी ने बताया तूफान कैसे बना
मौसम विभाग के प्रमुख डॉ. मृत्युंजय महापात्रा के अनुसार, तूफान वेस्टर्न डिस्टर्बेंस की वजह से आया था. आमूमन हर साल मई महीने में ऐसे तूफान और बारिश इस वजह से आती है. हालांकि, हर साल तूफान थोड़ा हल्का होता है. लेकिन, इस बार बंगाल की खाड़ी और अरब सागर से आई नमी, और तेजी से बदलते तापमान की वजह से तूफान तेज आया.
रेड अलर्ट क्यों नहीं दिया गया?
आईएमडी की ओर से ऑरेंज अलर्ट जारी किया गया था, जो कि तैयारी के लिए होता है. हालांकि, रेड अलर्ट जारी नहीं किया गया था. क्योंकि रेड अलर्ट तब जारी किया जाता है जब एक्शन तुरंत ही लेना होता है. लेकिन, तूफान इतने छोटे क्षेत्रफल और अचानक आया कि इसका रेड अलर्ट देना मुश्किल था.
तकनीक में भारत कर रहा है सुधार
मौसम तकनीक को और बेहतर बनाने के लिए कई तकनीक में बदलाव किए जा रहे हैं. साथ ही संसाधनों में इजाफा किया जा रहा है. वर्तमान में भारत में कुल 40 रडार हैं जो कि 85 फीसदी क्षेत्रफल को कवर करते हैं.
'मिशन मौसम' के तहत लगातार रडार की संख्या बढ़ाई जा रही है. सरकार 40 रडार की संख्या को 126 तक बढ़ाने की योजना बनाई है. साथ ही लाइटनिंग डिटेक्शन, विंड प्रोफाइलर और ह्यूमिडिटी प्रोफाइलिंग जैसे तकनीक लाए जा रहे हैं ताकि मौसम भविष्यवाणी की सटीकता में सुधार हो. बता दें कि बीते पांच सालों में ही मौसम की भविष्यवाणी की सटीकता में 40 से 50 फीसदी का सुधार दर्ज किया गया है.
कुमार कुणाल