नवंबर के महीने में दिल्ली की हवा दोबारा खतरनाक स्तर पर पहुंच गई है. ताजा आंकड़े बताते हैं कि 1 से 19 नवंबर तक दिल्ली में सिर्फ दो दिन ही ऐसे रहे जब हवा थोड़ी बेहतर थी. बाकी दिनों में हवा “बहुत खराब” या “गंभीर” वाली कैटेगरी में गई. बाकी तीन दिन तो स्थिति इतनी खराब थी कि एयर क्वालिटी इंडेक्स 400 से ऊपर, यानी सबसे गंभीर स्तर तक पहुंच गया था.
इसके पीछे कई कारण जिम्मेदार हैं. ये कोई एक-दो दिन का मसला नहीं, बल्कि सालभर की गड़बड़ियों का नतीजा है. दिल्ली की सड़कों पर गाड़ियां लगातार धुआं छोड़ती हैं, जगह-जगह कचरा जलाया जाता है, फैक्ट्रियों और पावर प्लांट्स से भी हानिकारक धुआं निकलता है.
इन सबकी वजह से हवा में जहरीली गैसें और बारीक कण (PM2.5 और PM10) खूब मिल जाते हैं, जो सांस लेते वक्त सीधा हमारे फेफड़ों में चले जाते हैं और परेशानी खड़ी करते हैं.
नवंबर में तेज हुआ असर, पराली का योगदान घटा
11 से 13 नवंबर के बीच दिल्ली में हवा बेहद जहरीली और धुंधली हो गई. इस समय पराली जलाने का असर चरम पर था. हालांकि, इस साल पराली जलाने से जितना प्रदूषण हुआ, वो पिछले सालों से कम था.
2024 में पराली का कुल योगदान 22 फीसदी रहा, जबकि 2023 में ये आंकड़ा 38 फीसदी था. इसके बावजूद, दिल्ली की हवा में भारी धुंध और जहरीला धुआं फैला रहा.
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दिल्ली की हवा को और खराब बनाने वाले असली कारण
इस बार असली वजह यह रही कि सारा साल चलने वाली चीजें - जैसे गाड़ियों का धुआं, उद्योगों से निकलता जहरीला धुआं, पावर प्लांट्स और कचरा जलाने के चलते - हवा लगातार खराब होती गई. इस वजह से दिल्ली “टॉक्सिक कंबल” में लिपटी रहती है. यानी ये समस्या सिर्फ पराली जलाने की वजह से नहीं, बल्कि साल भर की गड़बड़ियों से जमी हुई है.
लोगों की सेहत पर सीधा असर
ऐसी खराब हवा से दिल्ली के लोगों का सेहत पर बुरा असर पड़ता है. सांस की बीमारियां, एलर्जी, फेफड़ों से जुड़ी दिक्कतें बढ़ जाती हैं. सबसे ज्यादा दिक्कत बच्चों और बुजुर्गों को होती है. डॉक्टर्स सलाह देते हैं कि ऐसे दिनों में बाहर कम निकलें, और निकलें तो मास्क पहनना जरूरी है.
नवंबर का डेटा क्या बताता है?
इस बार नवंबर के आंकड़े बताते हैं कि दिल्ली का प्रदूषण बहुत जटिल और पुरानी समस्या है. इसे सुधारने के लिए कोई भी छोटा या एक उपाय नहीं चलेगा. सिर्फ लगातार, नए और गंभीर तरीकों पर ही काम करना होगा, तभी आने वाले वक्त में दिल्ली की हवा फिर से साफ और सेहतमंद बन सकती है.
मिलन शर्मा