सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण के खतरनाक स्तर को लेकर चिंता जताई है. कोर्ट का कहना है कि प्रदूषण विशेष रूप से बच्चों के लिए घातक है. ऐसे में दिल्ली-एनसीआर में जानलेवा हुए प्रदूषण की स्थिति पर CJI की अगुवाई वाली पीठ के समक्ष अतिरिक्त महाधिवक्ता यानी ASG ने बताया कि केंद्र के पास अल्पकालिक और दीर्घकालिक समाधान की योजना तैयार है.
CJI जस्टिस भूषण रामकृष्ण गवई ने पूछा कि इस परियोजना में डस्ट मिटिगेशन क्या है? इस पर ASG ऐश्वर्या भाटी ने बताया कि यह एंटी-स्मॉग गन और अन्य तकनीकों से व धूल नियंत्रण उपाय किए जाने से संबंधित हैं. नई योजना में प्रदूषण की स्थिति का अचानक औचक निरीक्षण और फील्ड सर्वे की आवश्यकता पर जोर दिया गया है ताकि किसी भी किस्म की लापरवाही ना हो. केंद्र ने साप्ताहिक एक्शन-टेकन रिपोर्ट दाखिल करने की अनुमति मांगी, जिसमें पिछली सुनवाई के दौरान केंद्र को दीर्घकालिक उपाय की योजना पेश करने को कहा गया था.
दिल्ली-NCR में बढ़ते प्रदूषण और जानलेवा होती जा रही हवा पर सुप्रीम कोर्ट ने वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग से अनुरोध किया कि CJI की अध्यक्षता वाली बेंच का यह निर्देश मामले मे एमिकस क्यूरी पराजिता सिंह के द्वारा उठाए जाने के बाद दिया, जिसमें उन्होंने बताया कि वायु प्रदूषण का स्टार गंभीर बना हुआ है. ऐसे में दिल्ली एनसीआर में कुछ स्कूल खेल प्रतियोगिताओं का आयोजन कर रहे हैं, जो बच्चों के स्वास्थ्य के लिए खतरनाक और हितकारी भी नहीं है.
कोर्ट का कहना है कि खराब हवा में बच्चों को खेल प्रतियोगिता में भेजना खतरनाक हो सकता है. कोर्ट नेवायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) को नवंबर-दिसंबर में होने वाले खेल आयोजनों को स्थगित करने पर विचार करने को कहा है.
वहीं, ASG ने कहा कि दीर्घकालिक नीति 2018 से अस्तित्व में है और GRAP प्रणाली न्यायालय के पूर्व निर्देशों के आधार पर 2015 से लागू है और वे इस बात से सहमत हैं कि CPCB में सभी स्तरों पर बहुत सारे पद रिक्त होने से कर्मचारियों की भारी कमी है. इसके साथ ही ययह भी बताया कि CAQM ने एक हलफनामे में प्रदूषण को और बिगड़ने से रोकने के लिए कुछ अतिरिक्त उपायों के साथ-साथ GRAP2 के स्तर पर ही GRAP3 के कुछ उपायों को लागू करने के लिए सक्रिय रूप से कार्य किया है. फिलहाल मामले की सुनवाई अब दिसंबर में होगी.
संजय शर्मा