दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) की 12 पार्षद सीटों पर उपचुनाव हो रहे हैं, जिसमें सबसे ज्यादा लोगों की नज़रें मुस्लिम बहुल मटिया महल की चांदनी महल सीट पर हैं. तीन दशकों से इस सीट पर पुराने दिल्ली के दिग्गज नेता और पूर्व विधायक शोएब इकबाल के परिवार का कब्ज़ा रहा है. मुस्लिम बहुल इस सीट पर राजनीतिक दलों के साथ-साथ मुस्लिम नेताओं की भी अग्निपरीक्षा होनी है.
चांदनी महल वार्ड के उपचुनाव का ऐलान होने के साथ ही पूर्व विधायक शोएब इकबाल ने आम आदमी पार्टी छोड़ दी, क्योंकि पार्टी ने उनकी मर्जी के खिलाफ प्रत्याशी को उतारा है. इसके चलते शोएब इकबाल के विधायक बेटे आले मोहम्मद इकबाल भी पार्टी लाइन से अलग चल रहे हैं. इस बदले सियासी माहौल में पूर्व विधायक आसिम अहमद खान दोबारा आम आदमी पार्टी में शामिल हो गए हैं.
दिल्ली एमसीडी की 12 पार्षद सीटों पर 30 नवंबर को मतदान है और नतीजे 3 दिसंबर को घोषित किए जाएंगे. इस उपचुनाव को 2027 में होने वाले नगर निगम के चुनाव का लिटमस टेस्ट माना जा रहा है. दिल्ली में रेखा गुप्ता की अगुवाई में बनी बीजेपी सरकार में यह पहला चुनाव है. इस लिहाज से सभी की साख दाँव पर लगी हुई है.
चांदनी महल सीट पर कैसा मुकाबला
शोएब इकबाल मटिया महल विधानसभा सीट से छह बार विधायक रहे हैं. इस बार उन्होंने अपने बेटे आले इकबाल को आम आदमी पार्टी से चुनाव लड़वाया और बेटे ने चुनाव जीता. आले इकबाल के विधायक बनने के चलते चांदनी महल वार्ड पर अब उपचुनाव हो रहा हैय आले इकबाल चांदनी महल वार्ड से पार्षद थे. एमसीडी में आम आदमी पार्टी के मेयर थे तो आले इकबाल उप-मेयर थे.
उपचुनाव में शोएब इकबाल अपने समर्थक प्रत्याशी बनवाना चाहते थे.आम आदमी पार्टी से टिकट न मिलने की वजह से शोएब इकबाल ने पार्टी छोड़ दी. उसके बाद उन्होंने ऑल इंडिया फॉरवर्ड ब्लॉक के प्रत्याशी मोहम्मद इमरान को जिताने की पूरी ताकत लगा दी है. आम आदमी पार्टी ने चांदनी महल सीट से अपने पुराने कार्यकर्ता मुदस्सर उस्मान को उतारा है, तो कांग्रेस से कुंवर शहज़ाद अहमद और भाजपा ने सुनील शर्मा मैदान में उतारे हैं.
शोएब इकबाल का असल इम्तिहान
चांदनी महल सीट पर आम आदमी पार्टी ने शोएब इकबाल की पसंद का उम्मीदवार नहीं बनाया तो उन्होंने पार्टी छोड़ दी और अब इमरान को जिताने के लिए ताकत लगा रहे हैं. चांदनी महल वार्ड मटिया महल विधानसभा सीट का हिस्सा है. इस विधानसभा सीट और चांदनी महल वार्ड पर लंबे समय से शोएब इकबाल का कब्ज़ा है.
शोएब इकबाल सिर्फ एक बार 2015 का विधानसभा चुनाव छोड़कर 1993 से लगातार मटिया महल से जीत रहे हैं. शोएब इकबाल का बेटा आले इकबाल मौजूदा समय में मटिया महल सीट से विधायक है और इससे पहले चांदनी महल से पार्षद थे. इस तरह शोएब इकबाल का सियासी वर्चस्व पूरे इलाके में कायम है, जिसको किसी भी सूरत में अपने हाथों से नहीं निकलने देना चाहते. इसीलिए जब पार्टी ने उनकी मर्जी के खिलाफ कैंडिडेट उतारा तो उन्होंने पार्टी को अलविदा कह दिया.
पूर्व विधायक शोएब इकबाल अब फिर से चांदनी महल सीट को मोहम्मद इमरान को जिताकर अपना दबदबा कायम रखना चाहते हैं, उनके इस मुहिम में उनका विधायक बेटा आले इकबाल भी आम आदमी पार्टी की लाइन से हटकर इमरान को जिताने के लिए पूरा ज़ोर लगा रहे हैं. लेकिन, कांग्रेस से लेकर आम आदमी पार्टी तक शोएब इकबाल के वर्चस्व को तोड़ने के लिए सियासी चक्रव्यूह रचा गया है,
आम आदमी पार्टी का दबदबा रहेगा?
आम आदमी पार्टी ने चांदनी महल सीट पर अपने प्रत्याशी मुदस्सर उस्मान को जिताकर शोएब इकबाल के वर्चस्व को तोड़ना चाहती है. ऐसे में 2015 में मटिया महल सीट पर शोएब इकबाल को हराने वाले आसिम अहमद खान को दोबारा से आम आदमी पार्टी ने अपने साथ मिला लिया है. आसिम अहमद खान और शोएब इकबाल एक-दूसरे के विरोधी माने जाते हैं.
आसिम के भ्रष्टाचार के आरोप में फँसने के बाद केजरीवाल ने उन्हें पार्टी से निकाला था, तो उस मौके का फायदा उठाकर शोएब इकबाल आम आदमी पार्टी में शामिल हो गए थे. 2020 में खुद विधायक बने और 2025 में उन्होंने अपने बेटे को विधायक बनाया. इस तरह आसिम अहमद खान को राजनीतिक रूप से हाशिये पर जाना पड़ा. अब फिर से उनकी वापसी हुई है ताकि शोएब इकबाल की राजनीति को चुनौती दी जा सके.
पूर्व विधायक आसिम अहमद खान उपचुनाव में मेहनत कर वह आम आदमी पार्टी को जिताकर पूरा क्रेडिट लेने की कोशिश में हैं, ताकि अगले विधानसभा चुनाव में उनका आम आदमी पार्टी से टिकट पक्का हो जाए. इसके अलावा पार्टी ने ओखला से विधायक अमानतुल्लाह खान और बल्लीमरान से विधायक इमरान हुसैन को लगा रखा है ताकि चांदनी महल सीट पर अपनी जीत पक्की कर सके.
कांग्रेस को मुस्लिम वोटों का सहारा
कांग्रेस ने चांदनी महल सीट पर कुंवर शहज़ाद अहमद को उतार रखा है. 2022 में कांग्रेस के प्रत्याशी रहे मोहम्मद हामिद को सिर्फ 2065 वोट मिल सके थे. पार्टी ने इस बार कैंडिडेट बदल दिया है. बीच चुनाव में आसिम खान के पार्टी छोड़ने से कांग्रेस को तगड़ा झटका लगा है.
कांग्रेस के लिए मुस्लिमों के वोटों को साधने की एक बड़ी चुनौती खड़ी हो गई है. इसके लिए कांग्रेस ने दिल्ली में अपने तमाम मुस्लिम नेताओं को लगा दिया है ताकि चांदनी महल चुनाव को त्रिकोणीय बनाया जा सके. ऐसे में कांग्रेसी नेता घोड़ा खोले हुए हैं.
मुस्लिम बहुल सीट पर खिलेगा कमल
बीजेपी ने मुस्लिम बहुल चांदनी महल सीट पर सुनील शर्मा को उतार रखा है. सुनील शर्मा को जिताने के लिए बीजेपी अल्पसंख्यक मोर्चा के तमाम नेता डेरा जमाए हुए हैं. इसके अलावा कांग्रेस, आम आदमी पार्टी और ऑल इंडिया फॉरवर्ड ब्लॉक से मुस्लिम प्रत्याशी मैदान में है. इस तरह तीन मुस्लिम कैंडिडेट के बीच बीजेपी अपनी जीत की उम्मीद लगाए हुए है.
दिल्ली में रेखा गुप्ता की अगुवाई में सरकार बनने के बाद यह पहला चुनाव है, जिसमें बीजेपी का इम्तिहान होना है. इसीलिए रेखा गुप्ता भी चांदनी महल सीट को जीतने के लिए अपनी पूरी ताकत लगा रही हैं. बीजेपी और कांग्रेस की पिछले चुनाव में ज़मानत ज़ब्त हो गई थी. इस तरह से देखना है कि बीजेपी किस तरह से इस पार्षद सीट को अपने कब्ज़े में लेने का ताना-बाना बुना है.
मुस्लिम वोटों का कौन होगा हकदार
चांदनी महल नगर निगम पार्षद सीट पर 80 फीसदी से ज्यादा मुस्लिम मतदाता हैं. बीजेपी को छोड़कर तमाम सियासी दलों ने मुस्लिम कैंडिडेट उतार रखे हैं. ऐसे में उम्मीदवारों के साथ-साथ राजनीतिक दलों का भी असल इम्तिहान होना है. कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने दिल्ली के अपने तमाम मुस्लिम नेताओं को इस सीट पर लगा दिया है. इस तरह इस चुनाव के नतीजे से एक बात साफ हो जाएगी कि दिल्ली का मुसलमान किसके साथ है?
दिल्ली में मुस्लिम वोटर 12 फीसदी से भी ज्यादा है. दिल्ली के कई इलाके ऐसे हैं, जहां पर हार-जीत की भूमिका मुस्लिम वोटर तय करते हैं. 2022 के एमसीडी के चुनाव में मुस्लिम वोटों का झुकाव पुरानी दिल्ली के इलाकों को छोड़कर बाकी के इलाकों में कांग्रेस के साथ खड़ा नज़र आया था. यही वजह है कि कांग्रेस फिर से दिल्ली के मुस्लिम वोट बैंक को अपने कब्ज़े में लेने का दांव चला है, लेकिन चांदनी महल का चुनाव आम आदमी पार्टी और शोएब इकबाल के समर्थक इमरान के बीच सिमट रहा है. इससे मुकाबला रोचक हो गया है.
कुबूल अहमद