पूर्व केजरीवाल सरकार के एक और प्रोजेक्ट की होगी जांच, दिल्ली के उपराज्यपाल ने दिए आदेश

यह मामला पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल सरकार के समय शुरू हुई परियोजना से जुड़ा है. 28 जुलाई 2025 को हुई व्यय वित्त समिति (EFC) की बैठक में इस परियोजना में अनियमितताओं की आशंका के चलते एसीबी जांच की सिफारिश की गई थी. पीडब्ल्यूडी, राजस्व विभाग और दिल्ली ट्रांसमिशन लिमिटेड (डीटीएल) से जुड़े मंत्रियों और सरकारी अधिकारियों को भी जांच के दायरे में शामिल किया गया है.

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आरोप है कि परियोजना में 10 साल देरी के कारण सरकारी खजाने को सैकड़ों करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है. (File Photo- ITG) आरोप है कि परियोजना में 10 साल देरी के कारण सरकारी खजाने को सैकड़ों करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है. (File Photo- ITG)

सुशांत मेहरा

  • नई दिल्ली,
  • 07 अक्टूबर 2025,
  • अपडेटेड 5:26 PM IST

दिल्ली के उपराज्यपाल (एलजी) वी.के. सक्सेना ने बारापुल्ला एक्सटेंशन प्रोजेक्ट में देरी, लागत बढ़ोतरी और आर्बिट्रेशन भुगतान से जुड़े मामलों की जांच के लिए राजधानी में एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) को आदेश दिए हैं. यह कदम मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता की सिफारिश के बाद उठाया गया है.

जानकारी के अनुसार, आरोप है कि परियोजना में 10 साल से अधिक की देरी के कारण सरकारी खजाने को सैकड़ों करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है. इसके अलावा, भारत मंडपम अंडरपास निर्माण में भी इस कंपनी, यानी एल एंड टी की लापरवाही सामने आई थी. इसी को ध्यान में रखते हुए एलजी ने निर्देश दिए हैं कि भविष्य में किसी भी बड़ी परियोजना में कार्य आवंटित करने से पहले सभी नियामक और पर्यावरण संबंधी अनुमतियां सुनिश्चित की जाएं.

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बता दें कि यह मामला पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल सरकार के समय शुरू हुई परियोजना से जुड़ा है. 28 जुलाई 2025 को हुई व्यय वित्त समिति (EFC) की बैठक में इस परियोजना में अनियमितताओं की आशंका के चलते एसीबी जांच की सिफारिश की गई थी. इसके बाद मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने जांच को मंजूरी दी.

पीडब्ल्यूडी, राजस्व विभाग और दिल्ली ट्रांसमिशन लिमिटेड (डीटीएल) से जुड़े मंत्रियों और सरकारी अधिकारियों को भी जांच के दायरे में शामिल किया गया है. एलजी ने स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि सभी संबंधित रिकॉर्ड एसीबी को उपलब्ध कराए जाएं ताकि जांच निष्पक्ष और त्वरित ढंग से पूरी की जा सके.

विशेषज्ञों का कहना है कि बारापुल्ला एक्सटेंशन प्रोजेक्ट राजधानी के ट्रैफिक और यातायात व्यवस्था के लिए अहम था, लेकिन वर्षों की देरी और लागत बढ़ोतरी से इसका उद्देश्य अधूरा रह गया. एसीबी जांच से परियोजना में हुई अनियमितताओं, देरी और वित्तीय क्षति का सही आंकलन सामने आने की उम्मीद है.

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