सीबीआई ने दिल्ली के केशव पुरम इलाके में छापेमारी के बाद मानव तस्करी गैंग में शामिल सभी 7 आरोपियों को कोर्ट में पेश किया. इसके साथ ही आरोपियों की 4 दिन की रिमांड भी हासिल कर ली है. इस रैकेट के मास्टरमाइंड नीरज और इंदु हैं. गिरफ्तार किए गए लोगों में अस्पताल के वार्ड बॉय समेत कुछ महिला और पुरुष शामिल हैं.
अब तक की जांच के मुताबिक, ये अस्पतालों से बच्चों को चोरी नहीं करते थे. ये गरीब लोगों की सहमति से या जिन लोगों को पैसों की जरूरत होती थी, उनसे बच्चे खरीद लेते थे. कई बार ये गरीबों से एडवांस में बच्चे ले लिया करते थे फिर आगे निःसंतान लोगों को बेचते थे. सीबीआई अब बरामद बच्चों की डिटेल्स खंगाल रही है.
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पहले मिली थी अस्पताल से बच्चे चोरी की जानकारी
अब सीबीआई यह पता करने की कोशिश कर रही है कि इन बच्चों का कहां से खरीदा गया था. इससे पहले ये जानकारी सामने आई थी कि वे बच्चों को अस्पतालों से चुराते थे. इसको लेकर आरोपियों से पूछताछ की जा रही है. माना जा रहा है कि इस जांच में आगे और खुलासे हो सकते हैं. सीबीआई इस मामले में दूसरे राज्यों में भी छापेमारी कर सकती है.
रेस्क्यू किए गए बच्चों में 36 घंटे के नवजात भी था
बताते चलें कि दिल्ली के केशव पुरम इलााके में शुक्रवार को सीबीआई और पुलिस की टीम ने एक घर में छापा मारा था. दो दिनों तक चली रेड के बाद सीबीआई ने मानव तस्करी रैकेट का भंडाफोड़ करते हुए 7 से 8 नवजात बच्चों को रेस्क्यू किया. उनकी उम्र 10 साल से कम है. इसमें एक नवजात की उम्र तो महज 36 घंटे है, जबकि दूसरे की उम्र 15 दिन है.
सोशल मीडिया पर देते थे बच्चों को गोद लेने का विज्ञापन
सीबीआई अधिकारियों ने बताया कि अब तक की जांच से पता चला है कि आरोपी फेसबुक पेज और व्हाट्सएप ग्रुप जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर विज्ञापन देते थे. इसके जरिये वे बच्चे गोद लेने के इच्छुक निःसंतान दंपतियों से जुड़ते थे. आरोपी वास्तविक माता-पिता के साथ-साथ कथित तौर पर सरोगेट माताओं से भी बच्चे खरीदते थे.
4 से 6 लाख रुपये में बेच देते थे मासूम बच्चे
इसके बाद आरोपी नवजात बच्चों को 4 से 6 लाख रुपये में बेच देते थे. आरोपी कथित तौर पर गोद लेने से संबंधित फर्जी दस्तावेज बनाकर कई निःसंतान दंपतियों से लाखों रुपये की ठगी करने में भी शामिल रहे हैं.
हिमांशु मिश्रा